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    धौलाना भूमि घोटाला में तहसील कोर्ट का क्लर्क निलंबित, जांच में 13 अधिकारी-कर्मचारी मिले दोषी

    Updated: Mon, 06 Oct 2025 11:43 PM (IST)

    हापुड़ के धौलाना तहसील में भूमि घोटाले का मामला फिर से सामने आया है। जांच में एक लिपिक को दोषी पाए जाने पर उसे निलंबित कर दिया गया है। तत्कालीन उपजिलाधिकारी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे जिसकी जांच में उन्हें दोषी पाया गया। अब बड़े अधिकारियों पर भी कार्रवाई की आशंका है जिससे क्षेत्र में खलबली मची है। जांच रिपोर्ट लखनऊ मुख्यालय को भेज दी गई है।

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    भूमि घोटाले में लिपिक निलंबित, अधिकारियों में अफरा-तफरी

    जागरण संवाददाता, हापुड़। धौलाना तहसील में हुए बहुचर्चित भूमि घोटाले का मामला एक बार फिर से चर्चा में बन गया है। घोटाले की लंबे समय से चल रही जांच में एक लिपिक दोषी पाया गया है।

    जिसके बाद डीएम अभिषेक पांडेय ने सोमवार को उसे निलंबित कर दिया है। लिपिक के निलंबन होने से जिन अधिकारियों पर भी जांच चल रही है, उनमें अफरा-तफरी का माहौल है।

    बीते वर्ष धौलाना के वकील राहुल गहलौत ने तत्कालीन उपजिलाधिकारी संतोष उपाध्याय पर भ्रष्टाचार और पद के दुरुपयोग के गंभीर आरोप लगाते हुए 11 बिंदुओं की शिकायत मुख्यमंत्री कार्यालय को भेजी थी।

    शिकायत का संज्ञान लेते हुए मुख्य सचिव संजय प्रसाद के निर्देश पर तत्कालीन मंडलायुक्त जे. सेल्वा कुमारी ने जांच दल गठित किया था। इस जांच दल में अपर मंडलायुक्त जसजीत कौर, अमित कुमार सिंह और एडीएम संदीप कुमार को शामिल किया गया था।

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    सूत्रों के अनुसार जांच रिपोर्ट में उपजिलाधिकारी संतोष उपाध्याय को आठ बिंदुओं पर दोषी पाया गया। आरोप था कि उन्होंने नोएडा विकास प्राधिकरण की अनुमति लिए बिना सैकड़ों एकड़ भूमि को अकृषक घोषित कर दिया और अपने पद का दुरुपयोग करते हुए कई नियम विरुद्ध आदेश पारित किए।

    जांच में कुल 13 अधिकारी और कर्मचारियों को भूमि घोटाले में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से दोषी पाया गया था। इसी क्रम में शनिवार को जिलाधिकारी ने तहसील न्यायालय में तैनात लिपिक आसिम राणा को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने के आदेश जारी किए हैं।

    बड़े अधिकारियों पर जल्द गिर सकती है गाज

    भूमि घोटाले में आसिम राणा के निलंबन के बाद अब कार्रवाई का दायरा बड़े अधिकारियों तक पहुंचने वाला है। छोटे कर्मचारियों पर हुई सख्त कार्रवाई के बाद अब प्रशासन की निगाहें उन अधिकारियों पर ही टिक गई है।

    सूत्रों के अनुसार, जांच रिपोर्ट में गंभीर रूप से दोषी पाए गए एक एसडीएम व तहसीलदार पर भी जल्द विभागीय कार्रवाई हो सकती है। बताया जा रहा है कि जिला प्रशासन ने दोनों अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए लखनऊ मुख्यालय को विस्तृत रिपोर्ट भेज दी है

    शासन स्तर से अनुमति मिलते ही उनके खिलाफ भी कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है। इस संबंध में एडीएम को कई बार काल की गई, लेकमिन उनका फोन रिसीव नहीं हो सका।

    यह पूरा मामला अज्ञानता का है। कोई भूमि घोटाला हुआ ही नहीं है। राजस्व के नियम साल दर साल बदलते रहते हैं। जो नए नियमों को नहीं जानते, वह मानते हैं कि घपला हुआ है। वह जांच में मामला साफ हो गया था। किसी लिपिक के निलंबित होने की जानकारी नहीं है।

    - संतोष उपाध्याय- तत्कालीन एसडीएम व वर्तमान सिटी मजिस्ट्रेट गाजियाबाद।

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