मोनाड यूनिवर्सिटी में दूसरे दिन भी दस्तावेजों की तलाश में जुटी ईडी, कैंपस और पूर्व कर्मचारियों के घरों पर छापा
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मोनाड यूनिवर्सिटी में फर्जी डिग्री घोटाले की जांच के सिलसिले में दूसरे दिन भी छापेमारी की। टीमों ने कैंपस और पूर्व कर्मचारियों के घरों पर तलाशी ली, कंप्यूटर हार्ड डिस्क जब्त की और सर्वर रूम को सील कर दिया। यह घोटाला 2023 से चल रहा था, जिसमें फेल छात्रों को पैसे लेकर नकली डिग्रियां दी जाती थीं। ईडी को हवाला के जरिए धन के निवेश का शक है।

मोनाड यूनिवर्सिटी के कैंपस में दूसरे दिन भी ईडी का छापा।
जागरण संवाददाता, हापुड़। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम ने छापेमारी के दूसरे दिन शुक्रवार को भी मोनाड यूनिवर्सिटी के कैंपस में डेरा डाले रखा। फर्जी डिग्री घोटाले के वित्तीय पहलुओं की जांच के तहत दिल्ली से रवाना हुई ईडी की चारों टीमें बृहस्पतिवार तड़के हापुड़ पहुंची थीं।
इनमें एक टीम यूनिवर्सिटी के मुख्य कैंपस में, जबकि बाकी तीन टीमें पूर्व कर्मचारियों सनी कश्यप, विपुल चौधरी और इमरान के घरों पर सक्रिय रहीं। कर्मचारियों के घरों से देर रात ईडी के सदस्य लौट चुके हैं, लेकिन कैंपस में दस्तावेजों की छानबीन जारी है। ईडी अधिकारियों और यूनिवर्सिटी प्रशासन ने किसी भी तरह की जानकारी साझा करने से इनकार कर दिया है।
कैंपस के प्रशासनिक भवन, रजिस्ट्रार कार्यालय और अकाउंट सेक्शन में फैली टीमों ने सभी कंप्यूटरों की हार्ड डिस्क जब्त कर ली हैं। सर्वर रूम को सील कर दिया गया है, जबकि मुख्य द्वार पर केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवान तैनात हैं। किसी को भी अंदर प्रवेश की अनुमति नहीं है। बता दें कि मई 2025 में उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) द्वारा उजागर फर्जी डिग्री घोटाले से जुड़ी है।
उस समय यूनिवर्सिटी के चेयरमैन विजेंद्र सिंह हुड्डा, प्रो-चांसलर नितिन कुमार सिंह समेत दस लोगों को गिरफ्तार किया गया था। इनमें सनी कश्यप, कुलदीप, विपुल चौधरी, इमरान और संदीप कुमार जैसे कर्मचारी शामिल थे, जो नकली मार्कशीट और डिग्री तैयार करने में प्रत्यक्ष रूप से लिप्त पाए गए। सनी कश्यप, इमरान और विपुल चौधरी गिरफ्तारी के बाद जमानत पर बाहर हैं। इन तीनों के घरों से ईडी की टीम ने नकदी, बैंक पासबुक और एक लेपटाप बरामद किए हैं।
हवाला कारोबार का शक
एसटीएफ जांच के मुताबिक, मोनाड यूनिवर्सिटी का फर्जी डिग्री रैकेट 2023 से सक्रिय था। फेल छात्रों को 50 हजार से दो लाख रुपये लेकर नकली डिग्री-मार्कशीट जारी की जाती थीं। पांच सालों में 18-22 करोड़ रुपये की कमाई का अनुमान है। ईडी को शक है कि यह धन रियल एस्टेट, शेल कंपनियों और विदेशी खातों में हवाला के जरिए लगाया गया। कैंपस से बैंक स्टेटमेंट, हवाला रसीदें और विदेशी छात्रों की फीस का हिसाब-किताब जांच के दायरे में है। चेयरमैन के निजी निवेश पर भी नजर।

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