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    DM के फरमान से विभागों में मचा हड़कंप, एक्सपर्ट कमेटी का गठन कर 1 महीने में मांगी रिपोर्ट

    Updated: Wed, 27 Aug 2025 03:20 PM (IST)

    हापुड़ में सड़क हादसों को कम करने के प्रयासों के बावजूद ब्लैक स्पॉट पर बार-बार हादसे हो रहे हैं। जिलाधिकारी ने इस पर नाराजगी जताई है और रिपोर्ट तलब की है। विशेषज्ञ कमेटी गठित की गई है जो ब्लैक स्पॉट के कारणों और सुधार कार्यों की जांच करेगी। अधिकारियों में इस मामले को लेकर हड़कंप मचा हुआ है।

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    हादसे होने वाला ब्लैक स्पाट हाईवे पर स्थित निजामपुर कट।

    ठाकुर डीपी आर्य, हापुड़। हापुड़ में सड़क हादसों में कमी लाने को लगातार प्रयास किए जाते हैं। हर महीने रोड सेफ्टी की मीटिंग डीएम की अध्यक्षता में होती हैं। प्रत्येक एक्सीडेंट का गहनता से अध्ययन एक्सपर्ट की टीम करती है। एक्सीडेंट होने के कारणों की जांच करने के साथ ही उनको दूर करने के प्रयास किए जाते हैं।

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    इसके लिए हर साल ब्लैक स्पाट का चयन किया जाता है। ब्लैक स्पाट के चयन के साथ ही उनको दूर करने के लिए जिम्मेदार विभाग को सौंपा जाता है। संबंधित विभाग एक-दो महीने में ब्लैक स्पाट को ठीक करा देने की रिपोर्ट देता है। इसके लिए मोटी धनराशि के बिल विभाग से पास करा लिए जाते हैं।

    वहीं, इसके बावजूद संबंधित क्षेत्र में हादसे होने और उनके मौत होने का सिलसिला जारी रहता है। यह प्रक्रिया दशकों से अनवरत चल रही है। कुछ दिन बाद वही स्थान दोबारा से ब्लैक स्पाट की सूची में आ जाते हैं और पहले वाली प्रक्रिया दोहराई जाती है। ब्लैक स्पाट, मीटिंग, बजट, सुधार और फिर मिटिंग का यह खेल अनवरत रहा है।

    अबकी बार जिलाधिकारी अभिषेक पांडेय ने ब्लैक स्पाट ठीक कराने की रिपोर्ट वाले इसी बिंदू को पकड़कर जवाब तलब किया है। इससे संबंधित विभागों में हड़कंप मचा है। स्थिति यह है कि जिले की सड़कें लगातार खून से लाल हो रही हैं। जिन स्थानों को ब्लैक स्पाट के रूप में चयनित किया गया, फिर उनको ठीक करा देने का दावा किया गया।

    वहीं पर फिर से हादसे हो रहे हैं। इस पर डीएम ने नाराजगी प्रकट की है। उन्होंने सीधा-सपाट सवाल मीटिंग में रखा, तो जवाब किसी के पास नहीं था। डीएम ने पूछा कि एक ही जगह-जगह पर बार-बार और बड़े-बड़े हादसे क्यों हो रहे हैं? इनको क्यों नहीं रोका जा रहा है। इस पर अधिकारी ब्लैक स्पाट आर रेड स्पाट की परिभाषा समझाने लगे। इस पर डीएम ने एक्सपर्ट कमेटी का गठन कर एक महीने में रिपोर्ट मांगी है।

    अब टीम पांच साल में ठहराए गए एक-एक ब्लैक स्पाट की रिपोर्ट तैयार करेगी। इसमें संबंधित ब्लैक स्पाट पर हादसा होने के कारण, ब्लैक स्पाट को ठीक कराने वाली एजेंसी और ब्लैक स्पाट ठीक हो जाने के बाद संबंधित क्षेत्र पर हादसों की रिपोर्ट मांगी गई है। इससे अधिकारियों में हड़कंप मचा है।

    दरअसल, ब्लैक स्पाट का निर्धारण परिवहन विभाग करता है। इन स्थानाें पर हादसे होने की रिपोर्ट पुलिस तैयार करती है और ब्लैक स्पाट काे ठीक कराने का कार्य पीडब्ल्यूडी के एक्सपर्ट करते हैं। इसके बाद भी हादसे होते रहने से डीएम नाराज हैं।

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    एक ही स्थान पर लगातार हादसे होना चिंता का विषय है। ब्लैक स्पाट को ठीक करा देने के बाद भी हादसे होना और भी गंभीर है। ऐसे स्थानों की रिपोर्ट तैयार करने के लिए पीडब्यूडी की बजाय किसी बड़े इंजीनियरिंग कालेज के एक्सपर्ट के साथ मिलकर टीम बनाने की जरूरत है। जिससे समस्या की पहचान कर समाधान तक पहुंचा जा सके। - छवि सिंह चौहान- एआरटीओ

    ब्लैक स्पाट ठीक होने वाली चीज ही नहीं है। यह गलतफहमी है कि ब्लैक स्पाट को ठीक कराकर एक्सीडेंट रुक जाएंगे या कम हो जाएंगे। एक्सीडेंट ब्लैक स्पाट के कारण नहीं होते हैं। हमको समझना होगा कि यह चालक की गलती से होते हैं। हाईवे इतना साफ और सही बना है। दूर तक दिखता भी है। फिर भी हादसे हो रहे हैं। हम दोबारा से सर्वे करा रहे हैं, लेकिन होने वाला कुछ नहीं है। - शैलेंद्र सिंह-एक्सईएन - पीडब्ल्यूडी