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    हापुड़ में जिम्मेदारों की नाक के नीचे दौड़ रही डग्गामार बसें, यात्रियों की जान पर मंडरा रहा खतरा

    Updated: Thu, 16 Oct 2025 05:00 PM (IST)

    हापुड़ में पुलिस और परिवहन विभाग की मिलीभगत से डग्गामार बसें चल रही हैं, जो नियमों का उल्लंघन कर यात्रियों की जान जोखिम में डाल रही हैं। बिना फिटनेस और परमिट के चलने वाली इन बसों में क्षमता से अधिक यात्री और प्रतिबंधित सामान लादा जाता है। पुलिस और आरटीओ की मौजूदगी के बावजूद इन पर कोई कार्रवाई नहीं होती। एआरटीओ प्रवर्तन ने दीपावली के बाद बड़ा अभियान चलाने की बात कही है।  

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    जागरण संवाददाता, हापुड़। माैत का पयार्य बनकर बन दौड़ रही डग्गामार बसों की जानकारी पुलिस से लेकर परिवहन विभाग तक के अधिकारियों को है। दोनों विभागों के अधिकारियों का समर्थन डग्गामार वाहनों के संचालन को मिला हुआ है।

    यही कारण है कि डग्गामार वाहन मानकों को ताक पर रखकर फर्राटा भर रहे हैं। रोजाना 50 से ज्यादा बस और सौ से ज्यादा ईको व छोटे वाहन जिले से होकर निकलते हैं। इनका संचालन प्रदेश के साथ ही दिल्ली, हरियाणा व राजस्थान तक होता है। उसके बावजूद कहीं पर भी जिम्मेदार कार्रवाई नहीं करते हैं।

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    स्थिति यह है कि डग्गामार का संचालन ठेकेदारों के संरक्षण में किया जाता है। वह सभी जिम्मेदारों को मैनेज करके रखते हैं। यही कारण है कि आमजन की सुरक्षा को ताक पर रखकर वाहन चल रहे हैं। उसके बावजूद इनपर यथोचित कार्रवाई नहीं की जाती है।

    वाहनों के संचालन के लिए परिवहन विभाग ने गाइडलाइन निर्धारित की हुई हैं। उनमें वाहनों की फिटनेस व परमिट आदि को लेकर मानक निर्धारित हैं। इनका सीधा संबंध यात्रियों की सुरक्षा से है। वाहनों में बैठने वालों के लिए भी नियम और संख्या निर्धारित हैं। उसके बावजूद कहीं पर पालन नहीं होता है।

    हापुड़ बॉर्डर क्षेत्र का जिला है। ऐसे में कानपुर, लखनऊ, इलाहाबाद, शाहजहांपुर, रामपुर, बरेली, मुरादाबाद, अलीगढ़ और रामपुर, संभल-बिजनौर से आने वाले वाहन यहां से होकर निकलते हैं। सुबह-शाम को हाईवे पर डग्गामार की लंबर लाइन देखी जा सकती हैं। यह वाहन अत्यंत तीव्र गति से चलते हैं, जिससे कई बार हादसों का कारण बनते हैं।

    नहीं होते हैं सुरक्षा के उपाय

    यह वाहन ज्यादातर लंबे रूट पर चलते हैं। वहीं यात्रियों को निर्धारित संख्या से ज्यादा बैठा लेते हैं। इनके संचालन का समय व स्थान भी निर्धारित होता है। ऐसे में यात्री वहीं पर पहुंच जाते हैं। संख्या ज्यादा होते से यह ओवरलोड रहते हैं। वहीं सामान भी भरपूर लादकर चलते हैं। इनमें कई प्रतिबंधित सामान भी होते हैं।

    सामान के प्रतिबंधित होने और ज्यादा होने के चलते कई बार आग लग जाती है। टायर आदि फटकर क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। जेत रफ्तार होने के चलते दूसरे वाहनों से टकरा जाते हैं। वहीं खटारा वाहन होने के चलते इनमें आग लगने की आशंका भी ज्यादा रहती है।

    नहीं की जाती है कार्रवाई

    जिले में कई थाने और पुलिस चौकी हाईवे पर हैं। उसके साथ ही हाईवे पर दिपरात पुलिस वाहन की तैनात रहती हैं। इसके साथ ही टोल पर भी पुलिस की चेकिंग रहती है। उसके बावजूद डग्गामार पर कार्रवाई नहीं की जाती है। आरटीओ की प्रवर्तन टीम दिनरात चेकिंग करती हैं। उसके बावजूद डग्गामार को छूट दी हुई हैं। डग्गामार पर कार्रवाई खानापूर्ति से आगे नहीं बढ़ पाती है। यहां तक कि इनकी फिटनेस भी समय पर नहीं कराई जाती।

    वहीं, ऐसे में हादसे होने की आशंका ज्यादा रहती है। लगातार शिकायत भी की जाती हैं, उसके बावजूद जिम्मेदारों की तंद्रा टूटने का नाम नहीं लेती है। स्थिति यह है कि डग्गामार वाहनों और अवैध संचालन के पीछे प्रभावी नेटवर्क काम करता है, जो जिम्मेदारों को मैनेज करने का कार्य करता है।

    डग्गामार वाहनों पर नियंत्रण को लेकर हम गंभीर हैं। संसाधनों के अभाव में कई बार प्रभावी कार्रवाई नहीं की जाती है। पुलिस का भी अपेक्षित सहयोग नहीं मिल पाता है। अब टीम का गठन करके दीपावली के बाद में बड़ा अभियान चलाया जाएगा। किसी हाल में डग्गामार का मनमाना संचालन नहीं होने दिया जाएगा। - रमेश चौबे- एआरटीओ प्रवर्तन