तीन पत्नी समेत मां की हत्या, बीमा क्लेम कर वसूले 39 करोड़ रुपये; खुलासे के बाद पुलिस महकमे समेत इलाके में सनसनी
हापुड़ में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है जहां विशाल नामक व्यक्ति ने बीमा राशि के लिए अपनी मां और पत्नियों की हत्या कर दी। उसने दुर्घटना का नाटक करके करोड़ों रुपये का क्लेम हासिल किया। पुलिस की शुरुआती लापरवाही के बाद अब मामले की दोबारा जांच हो रही है। विशाल ने फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल कर बीमा कंपनियों को धोखा दिया।

ठाकुर डीपी आर्य, हापुड़। यह साजिश, बीमा, हत्या और एक भारी भरकम दावे, यानी मृत्यु बीमा, की घटना है। एक-एक करके, कई अपनों की हत्या होती है और एक मोटी रकम का दावा अपराधी करता है, फिर पुलिस अधिकारियों और डॉक्टरों को मोहरा बनाकर उन्हें अपनी कहानी में उलझा देता है।
जी हां, अपराध का यह एक ऐसा भयावह चेहरा है जो कम ही लोगों ने देखा या सुना होगा। किसी उपन्यास या फिल्म जैसा यह अनोखा अपराध हापुड़ ज़िले में हुआ। एक साथ नहीं, बल्कि साल-दर-साल, आठ सालों में, मेरठ में इसकी साजिश रची गई और हापुड़ में ही अंजाम दिया गया।
पुलिस अधिकारियों की मिलीभगत से पहले, कहानी इतनी उलझी हुई थी कि उसे सुलझाना नामुमकिन था। आखिरकार जब इसकी गुत्थी सुलझने लगी, तो पुलिस की लापरवाही के कारण यह गुत्थी और भी उलझती जा रही है।
इस जघन्य अपराध का मुख्य अपराधी पुलिस की हिरासत में है, लेकिन पुलिस उसके साथियों से पूछताछ करने के लिए एक हफ्ते में 30 किलोमीटर दूर मेरठ के एक निजी अस्पताल तक भी नहीं पहुंच पाई है।
मेरठ निवासी विशाल ने अपनी मां और तीन पत्नियों की हत्या कर दी, एक दुर्घटना का नाटक किया और भारी भरकम बीमा क्लेम हासिल कर लिया। अब, जब उसके पिता की बीमा राशि 39 करोड़ रुपये तक पहुँच गई है, तो वह जाँच का निशाना बन गया है और इस समय जेल में है।
मेरठ के गंगानगर निवासी फ़ोटोग्राफ़र मुकेश चंद ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि उनका बेटा विशाल उनका इतनी बड़ी रकम का बीमा क्यों करवाएगा। उनकी सालाना आय 12 लाख रुपये है और बीमा राशि 39 करोड़ रुपये है। विशाल ने अपनी मां और पत्नी एकता का भी करोड़ों रुपये का बीमा करवाया था।
उसने 2017 में बीमा पॉलिसियों का जाल बुनना शुरू किया। उसने परिवार के सदस्यों के नाम दर्जनों पॉलिसियां लीं, जिनमें वह दुर्घटना मृत्यु कवर का लाभार्थी था। इन पॉलिसियों का कुल मूल्य 50 करोड़ रुपये से ज़्यादा है। उसने अपने खून के रिश्तेदारों की हत्या करके बीमा क्लेम हासिल किया।
अपनी पहली पत्नी एकता की मृत्यु के बाद, उसने बीमा का खेल जारी रखते हुए तीन और शादियां कीं। उसकी चौथी पत्नी श्रेया के इसका शिकार होने से पहले ही उसकी साजिश का पर्दाफाश हो गया।
पॉलिसी खरीदने से शुरू हुआ खेल
पुलिस जांच से पता चला है कि उसकी योजना बीमा पॉलिसी खरीदने से शुरू हुई थी। उसने बीमा कंपनी के एजेंटों को धोखा दिया और उनके साथ हेराफेरी की। एजेंट विशाल को एक बड़े व्यवसायी के रूप में पेश करते थे, जिसके परिणामस्वरूप उसकी आय से कहीं अधिक बीमा पॉलिसियां बन जाती थीं।
इसके लिए, वह कई अलग-अलग कंपनियों से पॉलिसियां प्राप्त करता था, और अपने सहयोगियों के रूप में फर्जी आयकर रिटर्न और फर्जी आधार कार्ड प्रस्तुत करता था। एक-दो साल तक नियमित प्रीमियम देकर पॉलिसियों को बनाए रखता था। फिर वह क्लेम लेने के लिए अपनी पत्नी की हत्या की साजिश रचता था। वह आवश्यक दस्तावेज़ भी पहले ही तैयार कर लेता था। उसने फर्जी दस्तावेज बनाने वाले व्यक्ति से मोटी रकम भी ऐंठ ली।
पुलिस की लापरवाही जारी
पुलिस ने आकस्मिक अपराधों के तहत आरोप पत्र दाखिल करके मामले पहले ही बंद कर दिए थे। अब, उच्च अधिकारियों के आदेश पर, नए सिरे से जांच शुरू हो गई है। विशाल के दो दोस्त, दो अस्पताल कर्मचारी और शादी तय करने वाली महिला की गिरफ्तारी अभी बाकी है।
इसके बावजूद, पुलिस 30 किलोमीटर दूर मेरठ के उस अस्पताल तक नहीं पहुंच पाई है, जहां हत्या के मामलों को दुर्घटना बताकर मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किए गए थे।
इन बातों को नजरअंदाज किया गया
- पुलिस ने दुर्घटनास्थल की गहन जांच नहीं की।
- किसी भी मामले में दुर्घटना में शामिल वाहन का पता नहीं चला।
- घटनास्थल के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की किसी भी स्थिति में जांच नहीं की गई।
- धोखाधड़ी में शामिल और मरीजों को मेरठ रेफर करने वाले स्थानीय डॉक्टरों से पूछताछ नहीं की गई।
- पुलिस ने मेरठ के किसी भी नामी अस्पताल में एक भी मामले की जांच नहीं की।
- हापुड़ पुलिस ने एक बीमा कंपनी की शिकायत पर सरकार द्वारा दिए गए आदेश की जाँच में कोताही बरती।
- लाखों कमाने वाले परिवार के करोड़ों के बीमा की जांच नहीं की गई।
- बीमा कर्मचारियों की भूमिका की जांच नहीं की गई।
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