UP News: हापुड़ में तेंदुए की दहशत, सवालों के घेरे में वन विभाग; क्या बोले अधिकारी?
तेंदुए की आहट से जनता भयभीत है लेकिन वन विभाग इसको लेकर ज्यादा गंभीर नहीं होता है। पिछले तीन महीनों में तहसील क्षेत्र के कई गांवों में तेंदुआ दिखाई दिया है लेकिन वन विभाग ने हर बार तेंदुआ होने से इंकार कर दिया है। ऐसे में विभाग की कार्यशैली पर भी सवाल खड़ा होने लगा है। आगे विस्तार से पढ़िए पूरी खबर।

ध्रुव शर्मा, गढ़मुक्तेश्वर (हापुड़)। हापुड़ में तहसील क्षेत्र में पिछले एक दशक में तेंदुए की चहलकदमी लगातार देखी गई है। इसको लेकर समय-समय पर अलग-अलग गांवों की वीडियो अथवा फोटो वायरल होते रहते है।
वहीं, कई बार तो यह वीडियो हापुड़ ब्लाक क्षेत्र के गांवों तक के वायरल होते रहते है। तेंदुए की आहट से जनता भयभीत है, लेकिन वन विभाग इसको लेकर ज्यादा गंभीर नहीं होता है। ज्यादा शोर मचने पर अथवा एक ही स्थान पर कई लोगों को दिखाई देने पर भी वन विभाग तेंदुआ होने की पुष्टि नहीं करता है। अधिक बात बढ़ने पर वह सर्च आपरेशन चलाकर अपने कर्तव्य की इति श्री कर लेता है।
तेंदुए को त्यागने पड़े थे प्राण
करीब डेढ़ दशक पूर्व सबसे पहले झडीना गांव की तरफ नहर पटरी पर अक्सर तेंदुआ दिखाई देने की सूचना आती थी, लेकिन लोग इसको लेकर ज्यादा विश्वास नहीं करते थे। इसके बाद बहादुरगढ़ के चांदनेर गांव में पहली बार तेंदुआ और ग्रामीणों का आमना सामना हुआ। इसमें तेंदुए ने कई लोगों को जख्मी कर दिया था, लेकिन जवाब में ग्रामीणों के हमले में तेंदुए को अपने प्राण त्यागने पड़े थे।
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इसके बाद से तेंदुए और ग्रामीणों के बीच कई बार आमना सामना हुआ, लेकिन वन विभाग फिशिंग कैट बताकर लोगों को गुमराह करता रहा। इसके बाद लोग अधिकारियों के जवाब सुनकर शांत हो जाते है। चंद दिनाें अथवा महीनों बाद तेंदुआ फिर से दिखाई देने लगता है, लेकिन वन विभाग अपने पुराने ढर्रे से आगे नहीं बढ़ता है।
वन विभाग नहीं दे रहा ध्यान
पिछले पांच वर्षो में हालात ऐसे हो गए है कि तहसील क्षेत्र के अनेकों गांवों में लोगों ने तेंदुआ देखा भी और उसका हमला भी झेला, लेकिन वन विभाग ने इसकी पुष्टि नहीं की। किसी वजह से ग्रामीणाें ने यदि तेंदुएं की वीडियो बनाकर वायरल कर दी तो मजबूरी में सर्च आपरेशन की औपचारिकता पूर्ण कर अपने कर्तव्य की इति श्री कर ली।
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बताया गया कि कुछ माह पूर्व अक्खापुर के जंगल में बने एक कुएं में तेंदुआ का शावक मिला था। ग्रामीणों की सूचना पर वन विभाग ने रेस्क्यू किया था। इसी दौरान अठसैनी के पास एक तेंदुआ सड़क दुर्घटना में मर गया। ऐसे में पूर्ण संभावना है कि तेंदुए की संख्या एक से अधिक है, लेकिन वन विभाग अज्ञात कारणों से इस बात को सच्चे मन से स्वीकार करने में हिचक रहा है।
पिछले तीन माह में इन गांवों में दिखा तेंदुआ
तहसील क्षेत्र के गांव दौताई, पोपाई, अक्खापुर, हशूपुर सहित कई गांवों में एक दर्जन से अधिक बार लोगों को तेंदुआ दिखाई दिया। इस बीच में गोवंश के अवशेष मिलने, लोगों पर हमला करने, खेतों से निकलते हुए दूसरे खेत में प्रवेश करने आदि की घटनाएं सामने आई, लेकिन वन विभाग ने हर बार तेंदुआ होने से इंकार कर दिया। ऐसे में विभाग की कार्यशैली पर भी सवाल खड़ा होने लगा।
बोले अधिकारी
गढ़-मेरठ मार्ग से गंगा की तरफ का एक बड़ा हिस्सा सेंचुरी क्षेत्र में आता है। इसमें जंगली जानवरों की उपस्थिति रहती है। एक बार में तेंदुआ यदि चलना शुरू हो जाए तो वह 15 किलोमीटर तक चलता है। वहीं, तेंदुआ एक दिन में 50 किलोमीटर तक का मूवमेंट करता है। ऐसे में संभावना है कि तेंदुआ क्षेत्र में हो सकता है। इसके लिए समय-समय पर पिजंरा लगाया जाता है। विभाग द्वारा लोगों से विशेषकर छोटे बच्चों को जंगल और अंधेरे में घर के बाहर नहीं जाने देने की अपील की है। इसके लिए गांवों में धार्मिक स्थलों पर लगे माइक से प्रचार कराया जा रहा है। - करण सिंह, वन क्षेत्राधिकारी
कुछ अनसुलझे सवाल
- यदि सेंचूरी क्षेत्र से तेंदुए की आवक क्षेत्र में हो सकती है तो वन विभाग ग्रामीणों की बात को क्यों झुठलाता है।
- अनेक बाद तेंदुआ दिखाई देने के बाद भी फिशिंग कैट बताकर मामले को क्यों दबा दिया जाता है।
- तेंदुए की सूचना को गंभीरता से विभाग क्यों नहीं लेता है।
- किसी दिन इंसान की जान को खतरा हुआ तो इसका जिम्मेदार कौन होगा।
- पिछले तीन माह में अनेक सूचना के बाद भी कोई ठोस प्रयास क्यों नहीं किए गए।

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