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    Pitru Paksha 2025: पूर्णिमा स्नान के साथ रविवार से 16 दिनों का पितृ पक्ष शुरू, क्या करें क्या न करें

    Updated: Sat, 06 Sep 2025 08:06 PM (IST)

    ब्रजघाट में पूर्णिमा के स्नान के साथ पितृ पक्ष (Pitru Paksha 2025) शुरू हो रहा है। रविवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालु गंगा में स्नान करेंगे और अपने पूर्वजों के लिए धार्मिक अनुष्ठान करेंगे। चंद्र ग्रहण भी रात्रि में होगा जिसके चलते मंदिरों के कपाट बंद रहेंगे। पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है ताकि कोई अप्रिय घटना न हो।

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    पूर्णिमा का स्नान रविवार से, श्रद्धालु लगाएंगे गंगा में आस्था की डुबकी।

    संवाद सहयोगी, ब्रजघाट। तीर्थ नगरी ब्रजघाट में रविवार को पूर्णिमा का स्नान होगा। इसी के साथ 7 सितंबर से 16 दिवसीय पितृ पक्ष (Pitru Paksha 2025) शुरू हो जाएगा। वहीं रात्रि चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan) भी होगा। गंगा स्नान को लेकर पुलिस प्रशासन ने तैयारी शुरू कर दी है।

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    तीर्थ नगरी ब्रजघाट एवं पुष्पावती पूठ में रविवार को पूर्णिमा के अवसर पर गंगा स्नान कर श्रद्धालु पुण्य अर्जित करेंगे। पितृ पक्ष शुरू होने के कारण आज श्रद्धालुओं की संख्या में बढ़ोतरी होने का अनुमान लगाया जा रहा है। प्रथम दिन गंगा स्नान आदि कर अनेक लोग गंगा किनारे अपने पितृरों के लिए धार्मिक अनुष्ठान पूर्ण कराते हैं।

    पंड़ित विनोद शास्त्री ने बताया कि पूर्णिमा के साथ ही पितृ पक्ष शुरू हो जाता है। अमावस्या पर जाकर यह पितृ पक्ष पूर्ण हो जाएगा। गंगा स्नान को आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा को लेकर पुलिस प्रशासन सतर्क हो गया था। इसके लिए हाईवे एवं गंगा किनारे पुलिस को सतर्क रहने एवं श्रद्धालुओं को गहरे पानी में जाने से रोकने के लिए विशेष निगरानी बरतने के आदेश दिए गए हैं। गंगा में बाढ़ को देखते हुए गोताखाेरों को तैनात किया गया है।

    इसी के साथ आज रात्रि चंद्र ग्रहण 10.58 से शुरू होकर देर रात 01.26 मिनट पर समाप्त होगा। चंद्र ग्रहण की कुल अवधि तीन घंटे 28 मिनट की रहेगी। इस चंद्र ग्रहण का सूतक आज दोपहर 12.57 बजे शुरू होगा। इस बीच चंद्रग्रहण को देखते हुए मंदिरों के कपाट बंद रहते हैं।

    क्या करें और क्या न करें

    विष्णु पुराण में वर्णित है कि शरीर, द्रव्य, स्त्री, भूमि, मन, मंत्र और ब्राह्मण को शुद्ध रखा जाना चाहिए। गोशाला, देवालय और नदी तट पर श्राद्ध करना उत्तम माना गया है। सोना, चांदी, तांबा और कांसे के बर्तन में भोजन करना उत्तम माना गया है। इसके अलावा पलाश के पत्तल में भोजन करना चाहिए।

    इस दौरान लोहा और मिट्टी के बर्तन का प्रयोग नहीं करना चाहिए। श्राद्ध के समय क्रोध नहीं करना चाहिए। जल्दबाजी में भी श्राद्ध करने से बचना चाहिए। सफेद सुगंधित पुष्प श्राद्ध में प्रयोग करना चाहिए। इसके लिए लाल, काले फूलों का प्रयोग करने से बचना चाहिए।

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