कुत्ते या बंदर के काटने पर अब नहीं जाना पड़ेगा दिल्ली-मेरठ, अब हापुड़ में ही सीरम की उपलब्धता से मरीजों को राहत
हापुड़ में अब कुत्ते काटने के गंभीर मामलों के लिए सीरम उपलब्ध होगा जिससे मरीजों को दिल्ली-मेरठ जाने की जरूरत नहीं होगी। जिला अस्पताल में सीरम की डोज स्टोर कर दी गई है। शरीर के ऊपरी हिस्से में या गहरे घाव होने पर सीरम लगवाना जरूरी है क्योंकि ऐसे मामलों में वैक्सीन कारगर नहीं होती। अब यह सीरम जिला अस्पताल में मुफ्त मिलेगा।

जागरण संवाददाता, हापुड़। कुत्ते के काटने के मामलों में अब लोगों को दिल्ली और मेरठ की दौड़ नहीं लगानी होगी। अब जिले में ही उनको सीरम उपलब्ध होगा। सीरम की डोज जिला अस्पताल में स्टोर कर ली गई हैं।
अभी तक सीरम के केस में घायलों को दिल्ली या मेरठ भेजना पड़ता था। स्थानीय स्तर पर सीरम की उपलब्धता नहीं थी। शासन की ओर से इसको दिल्ली और मेरठ-अलीगढ़ के मेडिकल काॅलेज में ही उपलब्ध कराया जाता था।
सीरम उपलब्ध होने से अब कुत्ते काटने के गंभीर मामलों में भी स्थानीय स्तर पर उपचार संभव हो सकेगा। इससे रेबीज से संक्रमण के मामलों में कमी आ सकेगी।
सामान्यतया कुत्ताें-बंदरों के काटने के मामलों में एंटी रेबीज वैक्सीन दी जाती है। जिले में रोजाना करीब 800 लोगों को एंटी रेबीज वैक्सीन दी जाती है। वैक्सीन का समय पर और नियमानुसार क्रम में लगवाना आवश्यक है।
वैक्सीन को निर्धारित तापमान में स्टोर रखने और समय व क्रम के अनुसार लगाने पर ही यह प्रभावी होती है। ऐसे कई मामले सामने आते रहे हैं, जिनको वैक्सीन लगने के बाद भी रैबीज का संक्रमण हो जाता है।
चिकित्सकों का मानना है कि इसका मुख्य कारण जानकारी का अभाव है। लोगों को परंपरागत ढर्रें से अलग हटकर नई चिकित्सकीय खोज के अनुसार उपचार लेने की जरूरत है।
गंभीर मामलों में वैक्सीन नहीं होती कारगर
लोगों को यह जानना जरूरी है कि वैक्सीन और सीरम कब-कब लगाए जाते हैं। शरीर के किसी भी हिस्से में यदि कुत्ता इस प्रकार काट लेता है, जिससे घाव गहरा होकर फट जाता है। खाल पलट जाती है। उसमें वैक्सीन की बजाय सीरम लगवाना होता है।
इसके साथ ही नाभी से ऊपर के हिस्सों में कुत्ते के काटने पर सीरम ही लगाया जाता है। पेट, सीना, गला, कंधा, गाल, माथे या सिर पर भले ही कुत्ते का एक दांत ही लगा हो, फिर भी सीरम ही लगवाना होगा।
इन मामलों में वैक्सीन काम नहीं करती है। वहीं हाथ व नाभी से नीचे के शरीर पर कुत्ते का दांत लगने की स्थिति में वैक्सीन ही लगाई जाएगी।
घाव को धोना है जरूरी
कुत्ते-बंदर के काटने पर सबसे पहले घाव को बहते हुए या पानी की धार के साथ धोना चाहिए। घायल वा साबुन लगाकर लगातार पांच से दस मिनट से पानी से धोया जाए। उसके बाद साफ कपड़े से पोछकर उस पर एंटी सेप्टिक लोशन डिटाल-सेविलान आदि लगाना होता है।
उसके तत्काल बाद अपने चिकित्सक से संपर्क करें। घाव की स्थिति देखकर चिकित्सक तय करेगा कि वैक्सीन लगनी है या सीरम। चिकित्सक जो सलाह दें, उसके अनुसार उपचार कराएं।
कुत्ता काटने पर बड़ा घाव होने या शरीर के ऊपरी हिस्से पर कांटने पर वैक्सीन की बजाय सीरम लगाया जाता है। सीरम की एक डोज चार से पांच हजार रुपये में आती है। अब यह जिला अस्पताल में निशुल्क उपलब्ध है। वहीं कुत्ते काटने से होने वाली मौत को भी आपदा में शामिल किया गया है। मौत होने पर पोस्टमार्टम अवश्यक कराएं।
- डाॅ. सुनील त्यागी- सीएमओ
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।