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    'साहब...बस इतना बताइए कि मैं कितनी बार ये मार खाऊं', हापुड़ के थानों में टूट रही न्याय की आशा

    Updated: Sun, 09 Nov 2025 07:22 AM (IST)

    हापुड़ में थाना समाधान दिवस पर फरियादी न्याय की उम्मीद लेकर पहुंचे, पर निराशा हाथ लगी। पिलखुवा में दहेज उत्पीड़न और हत्या के प्रयास की शिकायत पर भी कार्रवाई नहीं हुई। गाजियाबाद के नरेश ने जमीन पर कब्जे की शिकायत की। बाबूगढ़ में फसल काटने की शिकायत पर सिर्फ आश्वासन मिला। बहादुरगढ़ में मारपीट के शिकार सोमपाल को भी न्याय नहीं मिला। पुलिस अधीक्षक ने कार्रवाई का आश्वासन दिया है।

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    हापुड़ में थाना समाधान दिवस पर फरियादी न्याय की उम्मीद लेकर पहुंचे, पर निराशा हाथ लगी। सांकेतिक तस्वीर

    केशव त्यागी, हापुड़। सुबह की पहली किरण के साथ ही फरियादियों का थानों में पहुंचना शुरू हो गया था। उम्मीद थी कि थाना समाधान दिवस में उन्हें न्याय मिलेगा। लेकिन दोपहर होते-होते न्याय की प्यासी यही आँखें निराशा में डूब गईं।

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    शनिवार को जिले भर के सभी थानों में थाना समाधान दिवस मनाया गया। बुजुर्गों की काँपती लाठियाँ, महिलाओं की सिसकियाँ और न्याय की गुहार लगाने वालों की टूटती उम्मीदें पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों के कार्रवाई के आश्वासन से ही शांत हो गईं।

    सभी ने दावा किया कि कार्रवाई होगी। लेकिन कब? यह सवाल हवा में तैरता रहा। इन सबके बीच, इस रिपोर्टर ने फरियादियों की दर्द भरी दास्तान सुनी, जिससे पता चलता है कि समाधान दिवस असल में बढ़ती मस्याओं का दिन क्यों बन गया। पेश है एक रिपोर्ट जो इस विडंबना को उजागर करती है...

    हत्या के प्रयास पर भी कार्रवाई नहीं

    पिलखुवा थाने में एक मोहल्ले की महिला उदास चेहरे के साथ खड़ी थी। पूछताछ करने पर उसने बताया कि उसकी शादी 21 जुलाई 2021 को गाजियाबाद के डासना निवासी एक युवक से हुई थी। शादी में 12 लाख रुपये दहेज दिया गया था। इसके बावजूद, उसे प्रताड़ित किया गया और कार व पाँच लाख रुपये की माँग की गई। उसके पिता ने दो लाख रुपये उधार भी लिए, लेकिन आरोपी का लालच बरकरार रहा।

    उसके देवर ने उसके साथ छेड़छाड़ की और जब उसने विरोध किया, तो उसे पीटा गया। 17 मार्च 2025 को आरोपी ने उसका गला घोंटकर उसकी साँसें थम गईं। उसकी चीखें सुनकर पड़ोसी आए और उसकी जान बचाई। उसके पति ने उसे तीन तलाक भी दे दिया। उसने थाने में रिपोर्ट दर्ज कराने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने इसे पारिवारिक मामला बताकर टाल दिया।

    "साहब... दबंग मेरी जमीन पर कब्जा कर रहे हैं।"

    गाजियाबाद के शास्त्री नगर निवासी नरेश ने पिलखुवा थाने में खड़े होकर बताया कि सिखैड़ा गाँव में उसकी 0.0830 हेक्टेयर ज़मीन है। कुछ दबंगों ने उसके खेत की पक्की चारदीवारी तोड़कर ज़मीन अपनी संपत्ति में मिला ली। इससे उसकी ज़मीन का वास्तविक क्षेत्रफल काफी कम हो गया है, जिससे उसे भारी नुकसान हुआ है।

    मैंने 23 अगस्त 2025 को सीमांकन के लिए प्रार्थना पत्र दिया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। आज मैं अपनी शिकायत लेकर थाने के समाधान दिवस में आया हूँ। मेरी ज़मीन मेरी रोज़ी-रोटी का ज़रिया है, और ये लोग बिना किसी क़ानूनी आधार के उस पर कब्ज़ा कर रहे हैं।

    पांच बार फसल काटी, शिकायत पर सिर्फ आश्वासन

    बाबूगढ़ थाने में भेकनपुर निवासी ऐशवीर ने शिकायत दी कि गाँव में उसकी पुश्तैनी ज़मीन को लेकर अदालत में मामला विचाराधीन है। वह अपने हिस्से की ज़मीन पर फ़सल बोता है, लेकिन दबंग लोग फ़सल काट लेते हैं। पाँच बार दबंग लोग खेत से फ़सल काट चुके हैं। थाने और प्रशासनिक अधिकारियों से शिकायत करने के बाद भी उसे सिर्फ़ कोरे आश्वासन ही मिले हैं। कार्रवाई का वादा करके उसे बार-बार टाल दिया जाता है। ऐसे में दबंग लोग उसकी ज़मीन पर भी कब्ज़ा कर सकते हैं।

    "साहब...बस इतना बताइए कि मैं कितनी बार ये मार खाऊं?"

    बहादुरगढ़ थाने में शिकायत लेकर आए पसवाड़ा गाँव के निवासी सोमपाल, जब हमने बात की तो रो पड़े। रोते हुए उन्होंने बताया कि उनकी आर्थिक स्थिति बहुत खराब है। कुछ लोग उन पर पाँच से ज़्यादा बार हमला कर चुके हैं। "मैं हर बार शिकायत करता हूँ, लेकिन विपक्षी पैसे का इस्तेमाल करके मामला रफा-दफा करवा लेते हैं।"

    28 अक्टूबर को उन्हें बेरहमी से पीटा गया, यहाँ तक कि उनकी पसली भी टूट गई। वह न्याय की गुहार लगाने थाने और अधिकारियों के पास गए, लेकिन हर जगह से उन्हें टरका दिया गया।

    थाना समाधान दिवस में प्राप्त शिकायतों को प्राथमिकता दी जाती है। पुलिस और प्रशासन से संबंधित सभी शिकायतों की जाँच की जाएगी और कार्रवाई की जाएगी। पीड़ितों के साथ कुछ भी बुरा नहीं होने दिया जाएगा।

    -ज्ञानंजय सिंह, पुलिस अधीक्षक