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    हरदोई में प्राइवेट अस्पताल की लापरवाही से जच्चा-बच्चा की मौत, डॉक्टर और कर्मचारी हुए फरार

    Updated: Sat, 22 Nov 2025 05:37 PM (IST)

    हरदोई में एक निजी अस्पताल की लापरवाही के कारण प्रसव के दौरान जच्चा और बच्चा दोनों की मृत्यु हो गई। परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया है। घटना के बाद डॉक्टर और कर्मचारी फरार हो गए, पुलिस मामले की जांच कर रही है।

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    प्राइवेट अस्पताल की लापरवाही से जच्चा-बच्चा की मौत।

    संवाद सूत्र, संडीला। निजी अस्पताल में सिजेरियन ऑपरेशन के बाद जच्चा-बच्चा की मौत हो गई। परिजनों ने लापरवाही का आरोप लगाकर हंगामा करते हुए अस्पताल में जमकर तोड़फोड़ की। सूचना पर पहुंची पुलिस ने परिजनों को कार्रवाई का आश्वासन देकर शांत कराया।

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    कछौना थाना क्षेत्र के ग्राम बेरुआ मजरा हथौड़ा निवासी गुड्डी को शुक्रवार की दोपहर करीब 12 बजे प्रसव पीड़ा होने पर नगर स्थित एवन हास्पिटल लेकर पहुंचे थे।

    महिला के पति इरशाद ने बताया कि शाम लगभग 7:30 बजे सिजेरियन डिलीवरी के बाद प्रसूता ने मृत बच्चे को जन्म दिया था। प्रसूता अस्पताल में भर्ती थी। उसकी हालत सुधरने के बजाय लगातार बिगड़ती गई।

    अस्पताल प्रशासन ने महिला को लखनऊ रेफर कर दिया, लेकिन रास्ते में उसकी मौत हो गई। वहीं परिजन शव को वापस अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां से डॉक्टर व कर्मचारी अस्पताल छोड़कर फरार हो गए, जिससे नाराज महिला के स्वजनों ने हंगामा करते हुए अस्पताल में तोड़फोड़ की।

    परिजनों ने इलाज में लापरवाही का आरोप लगाते हुए डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। पुलिस ने महिला के परिजनों को समझा-बुझाकर शांत कराया और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। नोडल अधिकारी मनोज सिंह से महिला की मौत के बारे में जानकारी लेने के लिए कई बार फोन मिलाया गया, लेकिन उनका फोन नहीं उठा।

    पहले भी निजी अस्पतालों में हो चुकी प्रसूताओं की मौत

    इससे पूर्व निजी अस्पतालों में प्रसव के दौरान महिलाओं की मौत हो चुकी है। स्वास्थ्य विभाग की मिली भगत के कारण घटना के समय अस्पतालों को लेकर खूब हंगामा होता है और स्वास्थ्य विभाग भी दिखावे की कार्रवाई करता है। कुछ समय बीतने के बाद नाम बदल कर अस्पताल फिर खुल जाते है और मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ करते हैं।

    इन निजी अस्पतालों ने अपना नेटवर्क अपने एजेंटों के माध्यम से गांवों तक फैला रखा है, जो गांवों से मरीज अस्पताल तक लेकर आते है और उसके बदले में उन्हें कमीशन दिया जाता है।