TET के आदेश पर यूपी सरकार के रिवीजन दाखिल करने का शिक्षकों ने किया स्वागत, सीएम योगी का शिक्षकों ने जताया आभार
हरदोई में टीईटी अनिवार्यता पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ सरकार के पुनर्विचार याचिका दायर करने के निर्णय का शिक्षकों ने स्वागत किया है। लगभग 3446 परिषदीय विद्यालयों के 9000 से अधिक शिक्षकों को इससे राहत मिलेगी जिनमें से कई टीईटी उत्तीर्ण नहीं हैं। शिक्षकों ने सरकार के इस कदम को उनके सम्मान की रक्षा बताया है।

जागरण संवाददाता, हरदोई। परिषदीय विद्यालयों की प्राथमिक और उच्च प्राथमिक कक्षाओं में पढ़ाने वाले शिक्षकों के लिए टीईटी (शिक्षक पात्रता परीक्षा) की अनिवार्यता के उच्चतम न्यायालय के आदेश का रिवीजन दाखिल करने की घोषणा की शिक्षकों ने सराहना की है। शिक्षकों का कहना है कि मुख्यमंत्री ने बेसिक शिक्षा विभाग को रिवीजन दाखिल करने का आदेश देकर शिक्षकों का सम्मान रखा है।
जनपद में 3446 परिषदीय विद्यालय संचालित हैं। इनमें नौ हजार से अधिक शिक्षक कार्यरत हैं, जिसमें वर्ष 2011 के बाद तैनात शिक्षक तो टीईटी उत्तीर्ण है। इससे पूर्व के बिना टीईटी के शिक्षण कार्य कर रहे हैं। उच्चतम न्यायालय ने आदेश दिया कि जिन शिक्षकों ने टीईटी उत्तीर्ण नहीं की है, उन्हें दो साल में टीईटी उत्तीर्ण करनी होगी। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से शिक्षकों में नाराजगी थी।
शिक्षकों का कहना था कि विभिन्न परीक्षा उत्तीर्ण कर जो वर्षों से शिक्षक कार्य कर रहे हैं, उनकी योग्यता की फिर परीक्षा लेने ठीक नहीं है। शिक्षक इस आदेश के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करते हुए सरकार से रिवीजन दाखिल करने की मांग के साथ ही खुद भी न्यायालय जाने की बात कह रहे थे। रोजाना इसको लेकर विरोध प्रदर्शन भी हो रहे थे। उसी बीच मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तरफ से शिक्षकों को राहत की खबर दी गई, जिसके बाद शिक्षकों में खुशी छा गई और शिक्षकों ने इसकी सराहना की है।
डेढ़ हजार शिक्षक नहीं कर पाते टीईटी के लिए आवेदन
जनपद में करीब ऐसे डेढ़ से दो हजार शिक्षक तैनात हैं, जो जिनकी बीटीसी के माध्यम से भर्ती हैं। उनको शैक्षिक योग्यता इंटर है। ऐसे में वह टीईटी आवेदन ही नहीं कर सकेंगे। परीक्षा देना तो दूर की बात है।
सात सौ से अधिक मृतक आश्रित भी होते प्रभावित
जनपद में सात सौ से अधिक मृतक आश्रित के रूप में शिक्षक के पद पर तैनात हैं, जो अभी तक अप्रशिक्षित हैं, विभागीय प्रशिक्षण नहीं दिया गया है। ऐसे में वह भी शिक्षक प्रभावित होंगें।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अध्ययन कर केंद्र सरकार से अध्यादेश लाने की मांग हो रही थी। संघ खुद भी उच्चतम न्यायालय जाने की तैयारी कर रहा था। अब सरकार खुद रिवीजन दाखिल कर रही है तो यह खुशी की बात है और हम मुख्यमंत्री का आभार जताते हैं। संघ की तरफ से भी सरकारी वकील के साथ वकील खड़ा किया जाएगा।- योगेश त्यागी, अध्यक्ष उत्तर प्रदेश जूनियर हाई स्कूल शिक्षक संघ
टीईटी की अनिवार्यता का निर्णय शिक्षकों के हित में नहीं है। इसके विरोध में शिक्षक संघ ने तैयारी कर रखी है। ताकि शिक्षकों का अहित न हो क्योंकि जिन शिक्षकों ने वर्षों पहले तैयारी की थी, उन्हें आज के दौर में परीक्षा देना मु्श्किल पड़ सकता है। अब मुख्यमंत्री ने इसके लिए खुद आदेश दिया है, जोकि सराहनीय है। हम सभी इसका स्वागत करते हैं।- आलोक मिश्र, अध्यक्ष उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ
राष्ट्रीय शैक्षिक संघ शिक्षकों के हक की लड़ाई के लिए तैयार है और टीईटी की अनिवार्यता का विरोध किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने शिक्षकों के हित में जो निर्णय लिया है, उसका स्वागत किया जा रहा है और यह होना भी चाहिए था, क्योंकि शिक्षकों की योग्यता पर सवाल ठीक नहीं था।- शचींद्र मिश्र, संयोजक राष्ट्रीय शैक्षिक संघ
मुख्यमंत्री ने जो फैसला लिया है, उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ उसका स्वागत करता है और शिक्षकों के हितों में संघ कभी समझौता नहीं होने देगा। टीईटी की अनिवार्यता स्वीकार नहीं है और इसे कभी स्वीकार किया भी नहीं जाएगा। इसके लिए शिक्षक संघ हर संघर्ष के लिए तैयार है।- अक्षत पांडेय, अध्यक्ष उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ
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