Dog Bite: यूपी के इस जिले में आवारा कुत्तों का आतंक... रोजाना 400 लाेगों को बना रहे शिकार
हाथरस में गर्मी के कारण कुत्तों के काटने के मामले बढ़ रहे हैं जिससे अस्पतालों में एंटी रेबीज वैक्सीन लगवाने वालों की भीड़ उमड़ रही है। शहर से गांव तक कुत्ते लोगों पर हमला कर रहे हैं खासकर महिलाएं बच्चे और बुजुर्ग खतरे में हैं। नगर पालिका की लापरवाही से स्थिति और खराब हो रही है। चिकित्सक रेबीज से बचाव के लिए सावधानी बरतने की सलाह दे रहे हैं।

संवाद सहयोगी, जागरण. हाथरस। भीषण गर्मी के बढ़ते ही कुत्तों के काटने की घटनाओं में चिंताजनक इजाफा हो रहा है। गर्मी के मौसम में आक्रामक हो रहे कुत्ते हर दिन सैकड़ों लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। जिला अस्पताल और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर प्रतिदिन 400 से अधिक लोग एंटी रेबीज वैक्सीन लगवाने पहुंच रहे हैं। इनमें बड़ी संख्या ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले लोगों की है।
शहर से लेकर देहात तक, आए दिन कुत्तों के काटने की घटनाएं सामने आ रही हैं। घायल लोग अस्पतालों में इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। औसतन प्रतिदिन 400 लोगों को एंटी रेबीज वैक्सीन दी जा रही है, जिनमें से 50 मरीज पहले से इलाज करा रहे हैं। मरीजों की लगातार बढ़ती संख्या ने चिकित्सकों को भी हैरान कर दिया है। हालात इतने खराब हैं कि रात के समय शहर की कालोनियों और मुख्य मार्गों पर दोपहिया वाहनों का चलना भी जोखिम भरा हो गया है। झुंड में घूमने वाले कुत्ते महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों पर विशेष रूप से हमला कर रहे हैं। नगर पालिका की ओर से इन कुत्तों से निपटने के लिए अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है, जिससे लोगों में दहशत का माहौल बना हुआ है। शुक्रवार को भी जिला अस्पताल और विभिन्न सीएचसी पर वैक्सीन लगवाने के लिए मरीजों की भारी भीड़ देखी गई, जिनमें बच्चों और बुजुर्गों की संख्या अधिक रही। गर्मी में कुत्ते ज्यादा आक्रामक हो जाते हैं, जो लोगों पर हमला कर घायल कर रहे हैं। इसका पता इसी बात से चल रहा है कि जिला अस्पताल से लेकर सीएचसी और पीएचसी पर एंटी रेबीज लगवाने के लिए मरीजों की संख्या बढ़ रही है।
ऐसे करें बचाव
- कुत्तों से बच्चों को दूर रखें
- कुत्तों के काटने पर शरीर की उस जगह को 10 से 12 बार साबुन से धोएं
- घर के आसपास रहने वाले कुत्तों के लिए पानी की व्यवस्था करें
- गर्मी में कुत्तों को परेशान न करें
- पालतू कुत्तों को रेबीज का टीका लगवाएं
सासनी में 75 लोगों को लगाई एंटी रेबीज
सासनी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में प्रतिदिन एंटी रेबीज के इंजेक्शन लगवाने के लिए मरीजों की भीड़ पहुंच रही है। शुक्रवार को सीएचसी में 75 मरीजों को इंजेक्शन लगाए गए। चिकित्साधीक्षक का कहना है कि सीएचसी में एंटी रेबीज का पर्याप्त स्टाक उपलब्ध है। प्रतिदिन 70 से 80 मरीजों को एंटी रेबीज इंजेक्शन लगाया जा रहा है।
सादाबाद सीएचसी में 60 मरीजों को लगी वैक्सीन
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सादाबाद में भी एंटी रेबीज के इंजेक्शन लगवाने वाले मरीजों की खूब भीड़ पहुंच रही है। प्रतिदिन यहां 60 से 70 मरीजों को एंटी रेबीज का इंजेक्शन लगाया जाता है। शुक्रवार को सुबह आठ बजे से दोपहर दो बजे तक 60 मरीजों को एंटी रेबीज इंजेक्शन लगाए गए हैं। जबकि मुरसान सीएचसी पर 40 मरीजों ने एंटी रेबीज वैक्सीन लगवाई है।
मौसम में बदलाव से बदल रहा कुत्तों का व्यवहार
पशु चिकित्सा अधिकारी डा. विजय सिंह ने बताया कि मौसम में बदलाव होने से कुत्तों में तनाव की स्थिति पैदा हो जाती है। इससे कुत्तों का व्यवहार हिंसक हो रहा है। बदलते मौसम में अक्सर कुत्ते हिंसक हो जाते हैं। वहीं, समाज के लोगों के व्यवहार से भी कुत्तों के व्यवहार पर प्रभाव पड़ता है। लोग कुत्तों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं करते हैं। इससे भी कुत्तों के व्यवहार पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है।
जिले के स्वास्थ्य केंद्रों पर एंटी रेबीज की कोई कमी नहीं है। यदि किसी को कुत्ता व बंदर काटता है, तो जिला अस्पताल सहित सीएचसी, पीएचसी पर तुरंत टीका लगवाएं। डा. मंजीत सिंह, सीएमओ
नगर पालिका में कुत्तों का रजिस्ट्रेशन शून्य
नगर पालिका में पालतू कुत्ते का रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है। जबकि नियम के अनुसार हर पालतू कुत्ते का पंजीकरण अनिवार्य है। नगर पालिका की लापरवाही और जागरूकता की कमी के कारण न तो लोग रजिस्ट्रेशन करवा रहे हैं। न ही प्रशासन कोई सख्ती दिखा रहा है। इससे न सिर्फ स्वास्थ्य खतरे में पड़ रहा है। बल्कि आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या पर भी कोई नियंत्रण नहीं हो पा रहा है।
क्या है रेबीज
रेबीज एक घातक वायरस है, जो संक्रमित कुत्तों या जानवरों की लार में मौजूद होता है और इन जानवरों के काटने से फैलता है। अगर किसी व्यक्ति में एक बार रैबीज के लक्षण दिखने लगते हैं तो ज्यादातर मामलों में ये मौत का कारण बन सकता है। इसलिए समय से किसी भी जानवर में काटने पर अस्पताल में चिकित्सक से अवश्य मिलें।
रेबीज के लक्षण
रेबीज के लक्षण जल्दी दिखाई नहीं देते। जब किसी व्यक्ति को कोई संक्रमित जानवर काटता है या वह रैबीज के संपर्क में आता है तो वायरस लक्षण को पैदा करने से पहले शरीर के जरिये दिमाग तक पहुंचता है, इसके बाद ही ही लक्षण दिखाई देते हैं। रेबीज किसी व्यक्ति के शरीर में एक से तीन महीने तक निष्क्रिय रह सकता है। रैबीज के लक्षणों की बात करें तो इसका सबसे पहला संकेत है बुखार आना। घबराहट होना, तेज सिर दर्द होना, बुरे सपने और अत्यधिक लार आना, नींद न आना।

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