दीदियों के हाथों बनी LED झालरों से दीपावली पर जगमगाएंगे घर, भारत को विकसित बनाने पर जोर
हाथरस में 'हर घर देव निवास' समूह की महिलाएं प्रधानमंत्री मोदी के स्वदेशी अपनाने के आह्वान पर झालरें बना रही हैं। इन महिलाओं को दोगुना लाभ हो रहा है और वे घर की आर्थिक स्थिति सुधारने में मदद कर रही हैं। नीतू देवी के नेतृत्व में यह समूह दीपावली के लिए रंग-बिरंगी झालरें तैयार करता है, जिनकी लागत 150 रुपये होती है और बाजार में 300 रुपये तक बिकती हैं। स्वदेशी झालरों की मांग बढ़ रही है।

गंगोली गांव की नीतू देवी महिलओं को बना रही आत्मनिर्भर। जागरण
योगेश शर्मा, जागरण, हाथरस। थोड़ी की सी चमक दमक के चक्कर में हमारा समाज विदेशी वस्तुओं की तरफ दौड़ रहा है जबकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आह्वान है कि स्वदेशी अपनाएं और भारत को विकसित बनाएं। मोदी जी के आह्वान पर हाथरस के कई स्वयं सहायता समूह काम कर रहे हैं।
इन्हीं एक समूह हाथरस ब्लाक के गांव गंगौली का है जो हर घर देव निवास के नाम से बना है। इस समूह की महिलाएं सिर्फ मैटेरियल लाकर झालर तैयार करती हैं। इस काम में समूह की महिलाओं को दोगुना लाभ हो रहा है इसलिए इस काम के प्रति दूसरे समूह की महिलाअों का भी रुझान बढ़ा है।
हाथरस की महिलाएं इन दिनों चौका चूल्हा संभालने के साथ घर की आर्थिक स्थिति को भी बेहतर के साथ स्वदेशी वस्तुएं बनाने पर जोर दे रही हैं। महज आठवीं पास हाथरस के गांव गंगोली की नीतू देवी बताती हैं कि पति सुभाष चंद्र बिजली मिस्त्री हैं। वह घर-घर जाकर बिजली का काम कुछ साल पहले तक करते थे। तभी दिमाग में आइडिया आया कि क्यों न महिला स्वयं सहायता समूह बनाकर झालर बनाने का काम किया जाए।
आम आदमी का मानना होता है कि जो दम अपने यहां बनी झालरों में होती है वह चाइनीज झालरों में नहीं। चाइनीज की झालरें एक सीजन भी नहीं चल पातीं। इस दीपावली पर उनको बदलना ही पड़ता है। जबकि यहां की बनी झालरों में दम होता है और सालों-साल चलती हैं।
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नीतू बनाती हैं भले ही वह कम पढ़ी मगर महिलाओं को सशक्त बनाने में किसी से कम नहीं हैं। हर घर देव निवास के नाम से समूह की स्थापना की और उनमें गांव की जिन जरूरतमंद महिलाओं को जोड़ा उनमें सरिता, सुधा देवी, विजय कुमारी, भागवती, सपना, ममता, खुश्बू और संगीता आदि हैं।
समूह दीपावली से कई महीने पहले रंग-बिरंगी झालरों को शुरू करता है और फिर दीपावली आने तक खूब झालरों की मांग रहती है। एक झालर में लागत 150 रुपये तक आती जो बाजार में 300 रुपये तक बिक जाती है।
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