UP News: 2003 में 2 भाइयों को किया था किडनैप, 22 साल बाद कोर्ट ने सुनाई सात-सात साल की सजा
वर्ष 2003 में रामपुरा थाना क्षेत्र से दो युवकों के अपहरण के मामले में स्पेशल जज डकैती कोर्ट ने दो दोषियों को सात-सात साल की सजा सुनाई है और 20-20 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। डकैत निर्भय सिंह गूजर सहित पांच आरोपित थे जिनमें से दो की मौत हो गई और एक को बरी कर दिया गया। यह फैसला 22 साल बाद आया है।

जागरण संवाददाता, उरई। रामपुरा थाना क्षेत्र के ग्राम पचोखरा से 24 फरवरी 2003 को दो युवकों का अपहरण हो गया था। जिसकी युवकों के चाचा ने थाने में की थी। पुलिस ने तीन मार्च को अपहरण का मुकदमा दर्ज कर लिया था।
मुकदमे में डकैत निर्भय सिंह गूजर सहित पांच आरोपितों के नाम प्रकाश में आए थे। जिसमें निर्भय सहित दो की ट्रायल के दौरान मौत हो गई, जबकि एक को साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया गया। दो दोषियों को स्पेशल जज डकैती कोर्ट ने सात-सात साल की सजा व 20-20 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है।
शासकीय अधिवक्ता महेंद्र विक्रम सिंह ने बताया कि रामपुरा थाना क्षेत्र के ग्राम पचोखरा निवासी हरीशंकर ने तीन मार्च 2003 को पुलिस को बताया था कि 24 फरवरी 2003 को उसके भतीजे महेंद्र पाल त्रिपाठी, देवेंद्र कुमार त्रिपाठी अपनी बाइक से सुबह 10 बजे अपने घर से उरई अपनी बहन सुनीता से मिलने गए थे।
26 फरवरी 2003 को अवनीश कुमार अपने खेत को देखने गया तो अरहर के खेत में उसकी बाइक खड़ी मिली। तभी उसने आसपास देखा तो कोई दिखाई नहीं दिया। घर आकर उनके साथ स्वजन को इसकी जानकारी दी थी। खोजने पर देवेंद्र व महेंद्र का कोई पता नहीं चला था।
जब वह सुनीता के पास गया तो उसने बताया कि 24 फरवरी की शाम को ही महेंद्र व देवेंद्र शाम 5 बजे पचोखरा के लिए वापस चले गए थे। उसने आशंका जताई थी कि उसके भतीजों का अपहरण कर लिया गया है। पुलिस ने 3 मार्च 2003 को ही मुकदमा दर्ज कर लिया था।
जांच में पुलिस को लालू उर्फ लल्लू उर्फ लल्लूराम व निर्भय सिंह गुर्जर का नाम अपहरण में संज्ञान आया था। इसके बाद पुलिस ने दोनों को विवेचना में नामजद करते हुए 16 जुलाई 2005 को न्यायालय में चार्जशीट दाखिल कर दी थी।
वादी द्वारा न्यायालय 319 के तहत 22 अप्रैल 2015 को मानसिंह उर्फ पप्पू, राजेंद्र, सुखबीर सिंह को अपराध में तलब किया गया था। मुकदमा के ट्रायल के दौरान 25 जनवरी 2006 को निर्भय सिंह गुर्जर व 6 अगस्त 2013 को सुखवीर सिंह की भी मौत हो गई थी।
22 साल चले मुकदमा के ट्रायल के बाद स्पेशल जज डकैती कोर्ट डा. अवनीश कुमार ने अधिवक्ताओं की बहस, साक्ष्यों व गवाहों के आधार पर लल्लूराम व राजेंद्र को अपहरण के मामले में सात-सात साल की सजा व 20-20 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया। जुर्माना की आधी धनराशि दोनों पीड़ितों को मिलेगी। आरोपित मानसिंह को साक्ष्य के अभाव में दोष मुक्त किया गया था।
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