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    जौनपुर में आवारा कुत्तों का आतंक, दो वर्षों में कुत्‍तों ने 81 हजार को काट कर किया घायल

    Updated: Tue, 12 Aug 2025 05:15 PM (IST)

    जौनपुर में कुत्तों का आतंक बढ़ता जा रहा है जहां दो वर्षों में 81 हजार से अधिक लोग शिकार हुए हैं। नगर पालिका परिषदों और नगर पंचायतों में कुत्तों को पकड़ने की कोई व्यवस्था नहीं है जिससे लोगों में दहशत है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी स्थिति जस की तस है।

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    दो वर्षों में श्वानों ने 81 हजार को काट कर किया घायल।

    जागरण संवाददाता, जौनपुर। श्वान जान का दुश्मन बनते जा रहे हैं। दो वर्षों में 81 हजार 513 लोग इसके शिकार हुए। हैरत की बात यह है कि इन्हें पकड़ने के लिए न तो तीन नगर पालिका परिषदों में किसी तरह की व्यवस्था है न ही नौ नगर पंचायतों में।

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    नगर पालिका परिषद से लेकर नगर पंचायतों तक में कार्य के नाम पर लाखों रुपये के बजट का वारा- न्‍यारा किया जा रहा है, लेकिन जानलेवा इन श्वानों को पकड़ने के लिए न तो कभी कार्य योजना बनी और न ही अधिकारियों ने सोचा। ऐसे में यह आतंक का पर्याय बने हुए हैं।

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    सड़कों पर बच्चों पर हमला करने वाले श्वानों के खिलाफ मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि श्वानों को को उठाकर आश्रय गृहों में रखें। अब इस आदेश के इस समस्या के समाधान होने की उम्मीद काफी हद तक जग गई है। आए दिन यह किसी न किसी को काटकर घायल कर रहे हैं। झुंडों में निकलने वाले कुत्तों से सबसे अधिक खतरा बुजुर्गों व छोटे बच्चों को रहता है। कई बार स्कूल जाते वक्त श्वान बच्चों को दौड़ा लेते हैं। इसके अलावा सुबह की सैर में भी जोखिम बना रहता है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है दो वर्षों में 81 हजार 515 श्वानों ने काटा। जिला अस्पताल में 60 हजार 750 वायल खर्च किए गए।

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    आठ वर्षीय मासूम की हो चुकी है मौत

    मीरगंज: क्षेत्र के मीरपुर में पागल श्वान के काटने से वर्ष 2021 वनवासी बस्ती में आठ वर्षीय मासूम की मौत हो गई थी।बबूल के आठ वर्षीय पुत्र कृष्णा को श्वान के काटने के बाद उसकी मां रेनू मीरगंज के एक निजी चिकित्सक के यहां ले गई थी। एंटी रेबीज के लिए 300 रुपये नहीं होने पर वह इसे लगवा नहीं सकी थी। स्वजन को स्वास्थ्य केंद्रों में मुफ्त में एंटी रेबीज लगाए जाने की जानकारी नहीं थी। हालत बिगड़ने पर कुछ दिनों के बाद कृष्णा की मौत हो गई थी।

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    एक वर्ष बाद दिखा असर, गई जान

    थानागद्दी: क्षेत्र के नाऊपुर गांव निवासी 38 वर्षीय धर्मेंद्र गौड़ को एक वर्ष पूर्व श्वान ने काट लिया था। घरवालों ने एंटी रेबीज नहीं लगवाया। इसके तकरीबन एक वर्ष बाद जिस स्थान पर श्वान ने काटा था वहां दर्द शुरू हो गया। आस-पास कई डाक्टरों को दिखाने के बाद स्वजन मुंबई ले गए, जहां छह जुलाई को उपचार के दौरान धर्मेंद्र की मौत हो गई।

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    पिछले वर्ष मड़ियाहूं में पागल श्वन ने कइयों को काटा था

    पिछले वर्ष जुलाई में मड़ियाहूं के ददरा गांव में पागल श्वान ने तकरीबन आधा दर्जन लोगों को काटकर घायल कर दिया था। गांव के ही एक व्यक्ति ने श्वान को पाला था। उक्त श्वान के काटने से अभयराज, शिखा यादव, साक्षी व रजत कुमार सहित अन्य घायल हो गए थे। गांव के लोगों ने श्वान से निजात पाने के लिए पुलिस से शिकायत किया था। पुलिस के हस्तक्षेप के बाद मालिक ने उसे बाहर लेजाकर छोड़ा था, जिसके बाद लोगों ने राहत की सांस ली थी।

    निश्चित तौर पर यह एक गंभीर समस्या है। फिलहाल श्वानों को पकड़ने के लिए किसी तरह की व्यवस्था नहीं है। इसे लेकर जिलाधिकारी से भी वार्ता की जाएगी, जिससे आमजन को इस समस्या से निजात दिलाई जा सके। - मनोरमा मौर्य, नगर पालिका परिषद अध्यक्ष, जौनपुर।

    श्वानों को पकड़ने अथवा इन्हें आश्रय स्थल पर रखने को लेकर फिलहाल अभीतक कोई पहल नहीं की गई है। श्वानों के काटने के बढ़ रहे मामलों को लेकर अब निश्चित तौर पर इसके लिए कुछ अवश्य किया जाएगा। - कपिल मुनि, नगर पालिका अध्यक्ष, मुंगराबादशाहपुर।

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    नगर पालिका परिषद में इस तरह की कोई व्यवस्था नहीं है, जिससे श्वानों को पकड़ा जा सके। जो भी आदेश है उसमे पशु पालन विभाग की मदद ली जाएगी और अनुपालन कराने के लिए भी पूरा प्रयास किया जाएगा। - प्रदीप गिरी, अधिशासी अधिकारी, नगर पालिका परिषद, शाहगंज।

    इतनी बड़ी संख्या में श्वान लोगों को काट रहे हैं इसकी जानकारी नहीं थी। इन्हें पकड़ने के लिए जल्द ही ठोस नीति बनाई जाएगी। फिलहाल नगर पालिका अथवा नगर पंचायत में श्वानों को पकड़ने के लिए न तो कोई मद है और न ही व्यवस्था। - अजय कुमार अंबष्ट, सीआरओ।

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