यूपी में पीएम आवास योजना के लिए पात्र मिले 77,361 लोग, 11 नवंबर को होगी समीक्षा
उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत 77,361 लोग पात्र पाए गए हैं। इन लाभार्थियों के आवेदनों की समीक्षा 11 नवंबर को होगी। सरकार का लक्ष्य है कि सभी योग्य लाभार्थियों को शीघ्र ही आवास उपलब्ध कराया जाए, जिसके लिए पारदर्शी प्रक्रिया अपनाई जाएगी।

पीएम आवास योजना के लिए पात्र मिले 77,361 लोग।
जागरण संवाददाता, जौनपुर। छत विहीन परिवारों के लिए राहत भरी खबर है। आवास एप पर फीड हुए एक लाख, 63 हजार, 134 आवेदनों में 77 हजार 361 आवेदनकर्ता पात्र मिले हैं। आवास के लिए 69 हजार, 482 ने खुद से आवेदन किया है। पात्रों को प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) से जोड़ने की मुहिम सभी 21 ब्लाकों में एक साथ 14 अक्टूबर तक चली थी। सर्वे के दौरान डाटा सीधे आवास एप पर फीड किया गया। खास बात यह है कि यह सूची 2029 तक मान्य होगी।
इस बार फीडिंग का पूरा कार्य सरकारी कर्मियों से कराया गया। छह सौ सर्वेयरों ने इसे पूरा किया। इतना ही नहीं फीडिंग के दौरान कर्मचारियों का भी मोबाइल नंबर के साथ ही पैन कार्ड अपलोड किया गया है, जिससे कहीं भी किसी स्तर पर गड़बड़ी न हो सके।
वर्ष 2016 से अब तक 57 हजार, 224 लाभार्थियों को आवास दिया गया, लेकिन कुछ को अभी तक छांव नहीं मिल सकी है। ऐसे में लक्ष्य निर्धारित होते ही बड़ी संख्या में जरूरतरमंदों का खुद के घर का सपना सच होगा।
खुद से फीडिंग करने वालों का सत्यापन
इस बार जरूरतमंदों के लिए खुद से भी पोर्टल पर आवेदन करने का विकल्प दिया गया है। इस कड़ी में 69 हजार, 482 ने खुद से आवेदन किया है, जिसका सत्यापन पूर्ण कर लिया गया है।
11 नवंबर को सभी बीडीओ संग होगी समीक्षा
11 नवंबर को विकास भवन सभागार में सभी बीडीओ की बैठक बुलाई गई है। इसमे आवास एप पर फीड किए लाभार्थियों की एक बार पुन: समीक्षा के साथ ही आगे की रूपरेखा तैयार की जाएगी। साथ अबतक हुई पूरी प्रक्रिया को दोबारा मंथन होगा, जिससे कमियों को दूर किया जा सके। समीक्षा रिपोर्ट को मुख्य विकास अधिकारी से भी अवगत कराया जाएगा।
प्रधानमंत्री आवास के लिए अभीतक 77 हजार 361 लाभार्थी पात्र मिले हैं। खुद से आवास की मांग करने वाले सभी आवेदनकर्ताओं का सत्यापन पूर्ण कर लिया गया है। इस प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी बनाया गया है। 11 नवंबर को होने वाली बैठक में सभी बीडीओ को बुलाया गया है। इसमे इस पूरी प्रक्रिया की एक बार दोबारा समीक्षा की जाएगी। -केके पांडेय, परियोजना निदेशक, डीआरडीए।

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