यूपी के इस जिले में स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही, कोरोना काल में गाजियाबाद से कन्नौज भेजी गईं दवाओं की खेप खराब
उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से कोरोना काल की दवाएं गोदाम में ही एक्सपायर हो गईं। दवाओं का सही रखरखाव न होने के कारण यह स्थिति हुई। उच्च अधिकारियों ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं, जिसके बाद दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।

जागरण संवाददाता, कन्नौज। कोरोना काल 2020-21 में जब पीड़ित लोग दवा के लिए भटक रहे थे, तब दवाएं ट्रांसपोर्ट के गोदामों में पड़ी-पड़ी धूल खा रही थीं। आखिरकार वक्त के साथ इनकी मियाद खत्म हो गई और ये जीवन रक्षक दवाएं गोदामों में ही एक्सपायर हो गईं। चार दिन पहले हाईवे किनारे बड़ी मात्रा में एक्सपायर सरकारी दवाओं के फेंके जाने की वजह अब साफ होने से स्वास्थ्य विभाग में खलबली मची हुई है। दवाएं इतनी बड़ी मात्रा में पाई गई थीं कि बैकहो लोडर लगाकर 15 से अधिक बाेरियाें में भरवाया गया था।
15 अक्टूबर को गाजियाबाद-कानपुर ग्रीनफील्ड हाईवे के किनारे पाल चौराहा क्षेत्र में बड़ी मात्रा में फेंकी गई दवाओं का चार दिन बाद खुलासा हुआ है। इन दवाओं को जलाने की भी कोशिश की गई थी। मामला इंटरनेट मीडिया में प्रचलित होने पर पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की टीम मौके पर पहुंची थी। इसके बाद गोदाम के अंदर भारी मात्रा में एक्सपायर दवाएं मिलीं। कई कार्टून पूरी तरह सड़ चुके थे, जबकि कुछ पर जलाने के निशान भी मिले। ये दवाएं कोविड-19 महामारी के दौर में जिले के सरकारी अस्पतालों के लिए गाजियाबाद से भेजी गई थीं। लेकिन विभागीय लापरवाही और जिम्मेदार अधिकारियों की अनदेखी के चलते इन्हें कभी ट्रांसपोर्ट से उठाया ही नहीं गया।
ट्रांसपोर्ट मालिक की मानें तो उसने कई बार स्वास्थ्य विभाग को सूचना दी थी कि दवाएं लंबे समय से गोदाम में रखी हैं, बावजूद इसके कोई अधिकारी देखने तक नहीं आया। बात आई-गई हो गई और दवाएं वहीं पड़ी रहीं। हाल ही में जब ट्रांसपोर्टर को अपना किराये का गोदाम खाली करना पड़ा। तब मकान मालिक ने अंदर रखे बक्सों के बारे में पूछा, तो पता चला कि वे दवाएं हैं। ट्रांसपोर्टर के मुताबिक इसके बारे में स्वास्थ्य अधिकारियों को अवगत कराया गया। इसके बाद भी विभागीय अधिकारियों ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया। इसके बाद कुछ दवाओं को पाल चौराहा के पास फेंक दिया गया और रात के अंधेरे में उन्हें जलाने की भी कोशिश की गई। पुलिस जांच में पुष्टि हुई कि यह दवाएं ट्रांसपोर्ट गोदाम से ही फेंकी गई थीं।
पुलिस ने पूछताछ के बाद ट्रांसपोर्टर को छोड़ा
पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की संयुक्त टीम ने मौके से भारी मात्रा में दवाएं बरामद कीं और जांच के लिए सीएमओ कार्यालय भेजा गया था। चौकी प्रभारी पाल चौराहा दिनेश सिंह ने बताया कि पुलिस ने मामले को लेकर ट्रांसपोर्ट मालिक से पूछताछ की थी, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की ओर से लिखित शिकायत न मिलने के कारण उसे छोड़ना पड़ा।
स्वास्थ्य विभाग की टीम कर रही जांच
डिप्टी सीएमओ डा. मो अजहर सिद्दीकी ने बताया कि आयुर्वेद अस्पताल के निकट बड़ी तादात में फेंकी गई एक्सपायरी डेट की सरकारी दवाओं को लेकर जांच पड़ताल की जा रही है। पाल चौराहा स्थित ट्रांसपोर्ट कंपनी जाकर टीम ने गोदाम में जांच पड़ताल की है और वहां से कुछ और दवाएं मिली हैं, जिनको कब्जे में लिया गया है। ट्रांसपोर्टर से पूछताछ की गई है। उसने बताया कि साल 2020-21 के आसपास यह सरकारी दवाएं गाजियाबाद से आई थीं। जिसको लेकर स्वास्थ्य विभाग को सूचना भी दी गई थी। बावजूद इसके किसी ने दवाओं को रिसीव नहीं किया। लिहाजा दवाएं खराब हो गईं। तभी उसने दवाएं हाईवे के निकट फेंक दिया। ट्रांसपोर्टर ने दवाओं की कोई भी बिल्टी नहीं उपलब्ध कराई है। स्वास्थ्य विभाग के रिकार्ड में दवाओं का कोई भी साक्ष्य नहीं मिल पा रहा है। मामले की जांच की जा रही है।
संयुक्त निदेशक स्वास्थ्य डा. डीके मिश्रा ने बताया कि मामले की जांच कराई जा रही है। विभाग इस पूरे मामले पर गंभीरता से काम कर रहा है। दवाएं कैसे वहां पड़ी रहीं और कहां से भेजी गईं यह जांच के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा।
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