Ayurveda Day 2022 : स्वर्ण प्राशन से बच्चों को निरोगी बना रहीं चिकित्सक, 30 वर्षों से कर रहीं असहायों की सेवा
Ayurveda Day 2022 कानपुर में आयुर्वेद दिवस पर स्वर्ण प्राशन से बच्चों को चिकित्सक निरोगी बना रहीं है। 30 वर्षों से आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति से कर रहीं गरीबों असहायों की सेवा। कोरोना महामारी के दौरान स्वर्ण प्राशन कराकर प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाई रोग है।

कानपुर, जागरण संवाददाता। Ayurveda Day 2022 आयुर्वेद शब्द का अर्थ है जीवन विज्ञान। इसमें जीवन, रोगों व औषधियों का वर्णन और विभिन्न औषधियों से रोगों के उपचार की पद्धति है। शहर की चिकित्सक डा. वंदना पाठक ने आयुर्वेद को अपने जीवन में ही नहीं उतारा, बल्कि वह इसके माध्यम से गरीब, असहायों व बच्चों की लगातार सेवा कर उन्हें निरोगी बना रही हैं।
कोरोना महामारी के दौरान उन्होंने बच्चों को संक्रमण से बचाने और उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए स्वर्ण प्राशन देना शुरू किया और अब तक दो हजार से ज्यादा बच्चों को लाभ मिल चुका है।
लालबंगला निवासी डा. वंदना पाठक ने राज्य आयुर्वेदिक संस्थान झांसी से बीएएमएस की डिग्री लेकर मुंबई स्थित पोद्दार आयुर्वेदिक कालेज से पंचकर्म में विशेषज्ञता हासिल की थी। वर्ष 1992 से ही उन्होंने गांवों में कैंप लगाकर आयुर्वेद चिकित्सा से लोगों की सेवा शुरू की है।
पुष्य नक्षत्र में स्वर्ण प्राशन का विशेष लाभ
डा. वंदना ने बताया कि स्वर्ण प्राशन आयुर्वेद के 16 संस्कारों में से एक है। यह एक ऐसी वैक्सीन है जो बच्चों का विभिन्न रोगों से बचाव करती है। ऋतुओं में परिवर्तन होने की स्थिति में बच्चों में संक्रमण से होने वाली बीमारियों का अंदेशा रहता है। स्वर्ण प्राशन बच्चों को इस खतरे से बचाता है।
स्वर्ण प्राशन स्वर्ण भस्म, वचा, गिलोय, ब्राह्मी घृत (घी), गौघृत (गाय का घी), शहद आदि पदार्थों को मिलाकर नौ घंटे तक मर्दन के बाद तैयार किया जाता है। हर माह पुष्य नक्षत्र में स्वर्ण प्राशन का प्रभाव अधिक होता है और इससे बच्चों को ज्यादा फायदा होता है।
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