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    SIR के विरोध पर छलका CEC ज्ञानेश कुमार का दर्द, कविता से कसा तंज

    Updated: Sun, 02 Nov 2025 04:46 PM (IST)

    मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार ने हाल ही में SIR के विरोध को लेकर अपनी भावनाएं व्यक्त कीं। उन्होंने एक कविता के ज़रिए विरोध करने वालों पर तंज कसा। ज्ञानेश कुमार ने कहा कि आलोचना लोकतंत्र का हिस्सा है, लेकिन सच्चे प्रयासों को समझना भी उतना ही ज़रूरी है।

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    जागरण संवाददाता,कानपुर। भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार रविवार को परिवार के साथ शहर पहुंचे। यहां उन्होंने सबसे पहले माथुर वैश्य समाज द्वारा आर्यनगर स्थित दि स्पोर्ट्स हब (टीएसएच) में आयोजित सम्मान में समारोह प्रतिभाग किया। अपने संबोधन के दौरान उन्होंने बचपन की यादों को साझा करते हुए बीते दिनों एसआइआर के विरोध को लेकर कविता के माध्यम से तंज कसते हुए जवाब दिया। इसके साथ ही बिहार चुनाव को लेकर कहा कि देश ही नहीं विश्व के लिए यह चुनाव पारदर्शिता की नजीर बनेगा।

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    मुख्य चुनाव आयुक्त ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि कानपुर में आप सबके बीच आकर मुझे और मेरे परिवार को बहुत अच्छा लग रहा है। एक सच बताना चाहता हूं,जहां से मैं पढ़कर गया था, यानी आईआईटी वहां से जब फोन आया कि एक अवार्ड देना चाहते हैं, तो माता जी ने कहा कि मुन्ना अगर कानपुर जा रहे हो तो समाज के कार्यक्रम में जरूर जाना। शायद आईआईटी वालों ने सोचा होगा कि बिहार चुनाव के चलते मैं नहीं आ पाऊंगा, लेकिन मैं यहां आया हूं तो अपनी मातृ आज्ञा का पालन करने आया हूं।

    उन्होंने कहा, आईआईटी तो बहाना था, आप सबसे मिलना निशाना था। उन्होंने अपने बचपन और परिवार की प्रेरणाओं का जिक्र करते हुए कहा कि वे बनारस के हरिश्चंद्र घाट पर गंगा में तैरना सीखने वाले एक साधारण लड़के थे, जिन्होंने क्विंस कालेज से दसवीं की परीक्षा पास की। इसके बाद लखनऊ और कानपुर से आइआइटी में पढ़ाई पूरी करने के बाद केरल चला गया। परिवार का जिक्र करते हुए कहा कि उनके बाबा स्वतंत्रता सेनानी थे। इसके साथ ही आगरा के डीएवी होमीलाल कालेज के प्रिंसिपल भी थे। अंग्रेजों से टकराव के कारण उन्होंने नौकरी छोड़ दी थी। आज भी आगरा के एत्मादौला की चार मिनारों में से एक से नीचे देखेंगे, तो वहीं उनका स्थापित किया स्कूल चलता है।


    उन्होंने बताया कि उनके पिता ने सेवानिवृत्ति के बाद भी शिक्षा क्षेत्र में योगदान जारी रखा और अब उनका बेटा अर्नब आनंद व पत्नी अनुराधा कुमार उसी परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं।
    मुख्य चुनाव आयुक्त ने अपने संवैधानिक दायित्वों का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत का मुख्य चुनाव आयुक्त होने के नाते मेरी जिम्मेदारी है कि मतदाता सूची का शुद्धिकरण हो, हर नागरिक को मतदान का अधिकार मिले और दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में पारदर्शी चुनाव कराए जाएं। भारत में करीब सौ करोड़ मतदाता हैं,यह संख्या अमेरिका, कनाडा, यूरोप, आस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका के मतदाताओं के शामिल करने के बाद भी आठ करोड़ अधिक है।

    ऐसे में हर राज्य का चुनाव एक विश्वस्तरीय प्रक्रिया बन जाता है। अभी बिहार में जो चुनाव चल रहे हैं, वह दुनिया के दस सबसे बड़े चुनावों में एक है। बिहार में इस बार मतदाता सूची के शुद्धिकरण के दौरान साढ़े सात करोड़ मतदाताओं में से किसी ने भी शिकायत नहीं की, यानी जीरो अपील रही। यह अपने आप में विश्व की सबसे बड़ी उपलब्धि है। इस अभियान की सफलता ने साबित किया है कि भारतीय मतदाता और चुनाव आयोग दोनों लोकतंत्र के प्रति कितने सजग हैं।


    अपने संबोधन ही मुख्य चुनाव आयुक्त का पूर्व में हुए विरोध का भी दर्द छलक पड़ा। उन्होंने कवि जयशंकर प्रसाद की लिखी पक्तियां उठन गजरती सिंघु लहरिया, कुटिल काल के जालों सी, चली आ रही फन फैल आ रही व्यालों-सी पढ़ते हुए कहा कि मैं तैराक हूं, लहरों में जाता हूं, विरोध और बढ़ जाता है। आप जितनी तेज दौड़ेंगे, सामने की हवा उतनी ही तेज लगेगी। लेकिन समाज और देश के आशीर्वाद से मैं निडर होकर आगे बढ़ता रहूंगा।

    उन्होंने बताया कि आने वाले समय में तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और गुजरात में भी मतदाता सूची शुद्धिकरण का अभियान चलाया जाएगा। जब यह अभियान पूरे देश में पूरा होगा, तब भारत के हर नागरिक को गर्व होगा कि उसका चुनाव आयोग विश्व का सबसे पारदर्शी संस्थान है। पूर्व में हुए लोकसभा चुनाव के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि चुनाव आयोग में लोकसभा चुनावों के दौरान 1.8 करोड़ कर्मचारियों ने संपन्न कराया, जो दुनिया की किसी भी संस्था से अधिक है।

    भारत सरकार में जहां 65 लाख सरकारी विभागों में लोग काम करते हैं और दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी वालमार्ट में 20 लाख कर्मचारी हैं, वहीं चुनाव आयोग 1.8 करोड़ लोगों की टीम के साथ लोकतंत्र की इस विशाल प्रक्रिया को सफल बनाता है। अंत में कहा कि बिहार में चुनाव कानून व्यवस्था के साथ होंगे। मतदाता के लिए चुनाव लोकतंत्र का पर्व है और यह चुनाव पूरी दुनिया के लिए नजीर बनेगा।

    माता-पिता और पत्नी को संस्था ने किया सम्मानित

    माथुर वैश्य समाज के पदाधिकारियों ने इससे पहले मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार, उनकी पत्नी अनुराधा कुमार, पिता डा. सुबोध कुमार गुप्ता और माता सत्यवती को सम्मानित किया। परिवार के सभी सदस्यों को शाल, पुष्पगुच्छ और स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। मुख्य चुनाव आयुक्त के पिता डा.सुबोध गुप्ता ने कहा कि बेटे के कार्यक्रम आकर सम्मानित होना गर्व की बात है। वह इसी तरह देश और समाज का नाम आगे बढ़ाते रहे। इससे ज्यादा खुशी की बात एक पिता के लिए और नहीं हो सकती। कार्यक्रम में राजेन्द्र गुप्ता, इं.एसके गुप्ता, अजय गुप्ता, सीए राम कुमार गुप्ता, आशू गुप्ता, राधिका गुप्ता, गीतिका गुप्ता, सत्यप्रकाश गुप्ता, अनिल गुप्ता, डा.आरसी गुप्ता, सीए हरेन्द्र गुप्ता, डा. राममोहन गुप्ता सहित समाज के अन्य लोग मौजूद रहे।