Chhath Puja 2022: सूर्य देव को अर्घ्य देकर 36 घंटे का महाव्रत पूरा, देखें- कानपुर में छठ पर्व की खास तस्वीरें
Chhath Puja 2022 कानपुर में छठ पर्व का उल्लास बिखरा रहा भोर पहर गंगा नदी के घाटों और नहर पर सुहागिनों ने उदीयमान सूर्य देव को अर्घ्य देकर महाव्रत का पाराण किया और सुख-समृद्धि की कामना की।

कानपुर, जागरण संवाददाता। महापर्व छठ में चौथे दिवस सोमवार की भोर 6:17 बजे भगवान सूर्य ने दर्शन दिए तो सुहागिनों ने अर्घ्य देकर 36 घंटे के महाव्रत का पारण किया। गंगा नदी किनारे घाटों और नहर किनारे भोर पहर से आस्था का सैलाब उमड़ता रहा।
ढोल-नगाड़े बजते रहे और आतिशबाजी की मनोहारी छटा बिखरती रही। उगा हो सूरज देव अरग के बेर..., उगीं हे दीनानाथ..., कोसी भराई अंगना...और कांच ही बांस के बहंगिया... जैसे गीतों की गूंज कानों पर पड़ती रही।

घाटों पर भगवान सूर्य की प्रथम किरण का इंतजार कर रही व्रतियों ने अर्घ्य देने से पहले सिंदूर भराई की रस्म अदा की। व्रतियों ने एक दूसरे की मांग में सिंदूर लगाकर अखंड सौभाग्य की प्रार्थना की।
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सुबह 6:17 व्रतियों ने भगवान सूर्य को अर्घ्य देने की शुरुआत की। भगवान सूर्य और छठ मइया के जयकारों की गूंज के बीच व्रतियों ने अर्घ्य महाव्रत का पारण किया।
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गंगा किनारे घाटों और पनकी व अर्मापुर समेत नहर किनारे महिलाओं ने छठी मइया का मंगलगान करके पूजन किया।

पूजन करके जलधारा में दीपदान किया और वेदियों पर प्रज्वलित दीप मनोहारी छटा बिखेरती रही।
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पूजन के बाद व्रतियों ने ठेकुआ का प्रसाद ग्रहणकर 36 घंटे के इस महाव्रत का पारण किया।

सुहागिनों ने छठी मइया से संतान की दीर्घायु व परिवार कल्याण की कामना की।

घाटों पर भक्तों में व्रतियों ने ठेकुआ का प्रसाद वितरित कर महापर्व धूमधाम से मनाया। सूर्य की प्रथम किरण के साथ ही ढोल नगाड़े और आतिशबाजी घाटों पर शुरू हो गई।

यहां उमड़ा आस्था का सैलाब : पनकी, अरमापुर, सीटीआइ, गुजैनी, हाथी पार्क नसीमाबाद, दबौली, शास्त्री नगर और गंगा बैराज सहित शहर के विभिन्न पूजन स्थलों पर पहुंचे। भोर अर्घ्य से पहले मनोकामना पूर्ति के लिए वेदी के समक्ष कोसी पूजन किया गया। व्रतियों और उनके स्वजन ने ढोल नगाड़े और आतिशबाजी के बीच सूर्य देवता का स्वागत किया।

घाटों पर चलता रहा सेल्फी का दौर: आरती पूजन के साथ घाटों पर सेल्फी का दौर भी चला। वेदी पूजन और भगवान सूर्य को अर्घ्य के दौरान व्रतियों ने अपने स्वजन के साथ खूब सेल्फी ली और पर्व की यादों को कैमरों में कैद किया।

मुंबई से आकर जाना महत्व : पनकी नहर पर महापर्व में शामिल होने के लिए लावण्या मिश्रा मुंबई से शहर पहुंचीं। उन्होंने संध्या अर्घ्य और भोर पूजन अर्घ्य के महत्व को जाना और इसे भारत की संस्कृति का प्रतीक बताया। महापर्व छठ मनाने के लिए वे विशेष रूप से शहर आईं। उन्होंने कहा कि लोक आस्था का महापर्व परिवारों की एकता और देश की अखंडता का प्रतीक है। इसका साक्षी बनकर बेहद खुशी हो रही है। प्रतिवर्ष महापर्व में शामिल होकर छठ पूजन करूंगी।

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