All Souls Day 2020: कब्रों पर कैंडल जलाकर मसीह समाज के लोगों ने पूर्वजों को किया याद
कानपुर के चुन्नीगंज के कब्रिस्तान में विशेष सजावट की गई है और सुबह से ईसाई समुदाय के लोग अपने पूर्वजों की कब्र पर आकर पुष्प गुच्छ रखकर प्रार्थना कर रह ...और पढ़ें

कानपुर, जेएनएन। कानपुर के ईसाई समुदाय ने सोमवार को श्रद्धा के साथ आल सोल्स डे (आत्माओं का दिन) मनाया। चुन्नीगंज स्थित ईसाई कब्रिस्तान में काफी संख्या में मसीह समाज के लोगों ने अपने पुरखों और दुनिया से अलविदा कह चुके लोगों की कब्रों पर फूल, माला, मोमबत्ती आदि जलाकर श्रद्धांजलि दी। सभी ने अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। कब्रिस्तान में आने वालों से अपील की गई कि वह मास्क व सैनिटाइजर लेकर आएं और प्रार्थना के दौरान शारीरिक दूरी बनायें रखें।
सोमवार को सुबह से ही चुन्नीगंज स्थित ईसाई कब्रिस्तान में मसीही समुदाय के लोगों ने अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की. कब्र पर फूल माला चढ़ाकर मोमबत्ती जलाई। मौके पर पादरी डायमंड यूसुफ ने सामूहिक प्रार्थना की, इस दौरान फादर ने कहा कि प्रभु हम पर दया करो, हम पर दया करो. फादर ने आत्मा की शुद्धिकरण के लिए विशेष प्रार्थना की और अनंत जीवन प्राप्ति की कामना की।
प्रार्थना के समापन के बाद क्रिश्चियन समुदाय के पुरुष, महिलाएं और बच्चों ने अपने पूर्वजों के कब्र को फूल मालाओं से सजाया. कब्र के किनारे मोमबत्ती जला कर प्रार्थना की। दूसरी तरफ आत्मा शुद्धिकरण के लिए विशेष प्रार्थना की।
क्यों मनाया जाता है ऑल सोल डे
पादरी डायमण्ड यूसुफ ने बताया कि, 4 वीं शताब्दी के बाद से संतों और शहीदों का जश्न मनाने की परंपरा को ईसाइयों ने शुरुआत की थी। इस दिन लोग अपने पुरखों की मन पसन्द चीजों को कब्र के पास रखते हैं.उनके जीवन से प्रेरणा लेने के लिए कब्र की पूजा की जाती है। इस दिन कब्रिस्तानों की साफ-सफाई करके पूरे कब्रिस्तान परिसर को सजाया जाता है। उन्होंने बताया कि इस दिन कब्र में फूल चढ़ाकर,अगरबत्ती जलाकर पूजा की जाती है. अपने पूर्वजों के प्रति आदर व्यक्त करते हुए ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि उनकी आत्मा को शांति प्रदान करते हैं।

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