सीओपीडी में कोरोना जानलेवा, सतर्कता जरूरी
प्रदूषण कारक तत्व फेफड़े के अलवियोलाइ में जाकर होते हैं जमा और बनते हैं परेशानी का कारण

जागरण संवाददाता, कानपुर : ठंड की दस्तक के साथ प्रदूषण का स्तर बढ़ने लगा है। ऐसे में सांस रोगियों की समस्या बढ़ रही हैं। कोरोना काल में यदि क्रॉनिक आब्सट्रेक्टिव पल्मोनरी लंग्स डिजीज (सीओपीडी) से पीड़ित संक्रमण की चपेट में आ रहे हैं तो यह जानलेवा साबित हो सकता है।
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के रेस्पिरेट्री मेडिसिन विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ. सुधीर चौधरी का कहना है कि ऐसे में सीओपीडी मरीजों को अतिरिक्त सतर्कता बरतनी चाहिए। उनका कहना है कि प्रदूषण बढ़ रहा है। ऐसे में सांस के साथ हानिकारक तत्व फेफड़ों तक पहुंच जाते हैं। ये फेफड़े के अलवियोलाई (एयर एक्सचेंजर) में जाकर जमा होते हैं। इससे फेफड़े कड़े होने लगते हैं और उनकी कार्यक्षमता प्रभावित होती है। श्वांस नली में सूजन की वजह से सांस लेने में तकलीफ होती है। इससे शरीर में ऑक्सीजन की कमी होती है। यदि कोरोना संक्रमण हुआ तो वह निमोनिया में बदल जाता है जो जानलेवा सिद्ध होता है। धीरे-धीरे बढ़ती है समस्या
डॉ. चौधरी का कहना है कि सीओपीडी अचानक नहीं होती। यह धीरे-धीरे बढ़ती है। प्रदूषण और लंबे समय तक धूमपान करने से फेफड़े क्षतिग्रस्त होने लगते हैं। इसके लक्षण भी धीरे-धीरे उभरते हैं। फूलने लगता है दम
सामान्य व्यक्ति एक मिनट में जहां 14-16 बार सांस लेता है, वहीं सीओपीडी से पीड़ित व्यक्ति को शरीर में ऑक्सीजन का लेवल मेंटेन करने के लिए 26-27 बार सांस लेना पड़ता है। उसका दम फूलने लगता है और बेहोशी तक की नौबत आ जाती है।

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