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    गाढ़ी कमाई ही नहीं भावनाओं से भी खेल रहे साइबर जालसाज, लालच में फंसकर लोग होते साइबर अपराध का शिकार

    By Alok TiwariEdited By: Anurag Shukla
    Updated: Mon, 17 Nov 2025 10:11 PM (IST)

    साइबर अपराध समाज के लिए एक गंभीर चुनौती है, जिसमें जालसाज लोगों की भावनाओं और गाढ़ी कमाई को निशाना बना रहे हैं। जागरूकता की कमी के कारण लोग आसानी से ठगी का शिकार हो जाते हैं। साइबर बुलिंग, डीप फेक वीडियो और डिजिटल अरेस्ट जैसे अपराधों से लोगों की जिंदगी बर्बाद हो रही है। साइबर अपराध से बचने के लिए जागरूकता और सतर्कता बहुत ज़रूरी है।

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    आलोक तिवारी, जागरण, कानपुर। साइबर अपराध से समाज का हर वर्ग पीड़ित है। इससे बचाव के लिए जागरूकता की एकमात्र उपाय है। बीते दिनों प्रदेश की पुलिस के मुखिया (डीजीपी) तक स्वीकार कर चुके हैं। जागरूकता के आभाव में जालसाज लोगों को अपने झांसे में लेकर उनकी जीवन भर की गाढ़ी कमाई साफ कर देते हैं। लेकिन बात अब सिर्फ गाढ़ी कमाई तक सीमित नहीं रह गई है। इंटरनेट, इंटरनेट मीडिया और स्मार्ट फोन के बढ़ते इस्तेमाल के कारण साइबर बुलिंग, ई-कामर्स धोखाधड़ी, डिजिटल अरेस्ट, डाटा चोरी, फिशिंग, रैंसमवेयर हमले, मैलवेयर फैलाना, डीप फेक वीडियो और फोटो जैसे कई साइबर अपराध हमारे सामने चुनौती बनकर खड़े हैं।

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    साइबर बुलिंग और डीप फेक वीडियो और फोटो लोगों का जीवन तक बर्बाद कर रहे हैं। डिजिटल अरेस्ट की घटनाओं में भी कई बार लोग लोकलाज के भय के कारण अपनी जीवनलीला समाप्त कर लेते हैं। डिजिटल दुनिया ये खतरे अधिक चुनौतीपूर्ण इसलिए भी हैं क्योंकि बल का प्रयोग करके नहीं बल्कि भावनाओं से खिलवाड़ कर इन्हें अंजाम दिया जा रहा है। जानकारों के मुताबिक किसी भी साइबर अपराध में आपकी प्रतिक्रिया सबसे ज्यादा मायने रखती है। इसके अलावा जालसाज टाइमफ्रेम तय करके आपकों लालच देते हैं, जिसमें फंसकर लोग साइबर अपराध का शिकार होते हैं। इससे बचाव के लिए जागरूकता और चीजों का सत्यापन जरूर करें।

     

    साइबर जालसाज अब माहौल और समाज में होने वाली गतिविधियों को ध्यान में रखकर ठगी कर रहे हैं, जिससे लोग आसानी से उनके झांसे में फंस जाते है। साइबर ठगी के लिए जालसाज आपसे ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड) लेकर खाते की रकम साफ कर देते हैं, लेकिन अब ये पैटर्न पुराना हो गया है। अब वे त्योहार, साहलग आदि को ध्यान में रखकर घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। मौजूदा समय में सहालग का सीजन चल रहा है, ऐसे में वे आपके इंस्टेंट मैसेजिंग एप ( वाट्सएप, टेलीग्राम आदि) पर एक शादी का कार्ड भेज रहे हैं, जिस पर क्लिक करते ही आपके खाते में मौजूद रकम साफ हो जाएगी या आपके मोबाइल हैक हो जाएगा।


    त्योहार और समाज में होने वाली गतिविधियों के हिसाब से ठगी के इस मल्टीमीडिया मैसेज का प्रारूप बदलता रहता है, लेकिन ठगों के मंसूबे वही रहते हैं। बीते दिनों शहर में इस तरह की ठगी के मामले सामने आ चुके हैं। दरअसल, साइबर जालसाज एपीके (एंड्राइड पैकेज किट) फाइल के जरिये फर्जी शादी का कार्ड भेज रहे हैं। कार्ड खोलते ही आपके फोन में एक मालवेयर एप इंस्टाल हो जाएगा, जिसकी आपको भनक तक नहीं लगेगी। इस एप के जरिये आपकी स्मार्ट फोन फोटो गैलरी की तस्वीरें और बैंक डिटेल जालसाजों तक पहुंच जाएंगी और वे इसके जरिये आसानी के वारदात को अंजाम दे देंगे।


    इससे बचाव के लिए आप अनजाने लिंक पर क्लिक न करें। इसके अलावा अनजाने मल्टीमीडिया मैसेज ( फोटो, वीडियो, जीआइएफ) डाउनलोड न करें। इसके अलावा एक घंटे (गोल्डन आवर) के भीतर 1930 नंबर पर काल कर साइबर सेल को जानकारी दें। बैकिंग और यूपीआइ एप में हमेशा पिन, बायोमीट्रिक को डिवाइस से अलग रखें। गोल्डन आवर में शिकायत दर्ज कराने पर ठगे की रकम को वापस दिलाया जा सकता है।


    डिजिटिल अरेस्ट भी बड़ा संकट बनकर सामने आ रहा है। इसमें जालसाज लोगों को काल करके खुद को किसी सरकारी जांच एजेंसी या पुलिस अधिकारी बताते हैं और उन्हें किसी अपराध में लिप्त होने की जानकारी देते हैं। इसके बाद लोगों पर भावनात्मक रूप से हमलाकर उन्हें अपराध के बचाने के नाम पर रकम की मांग करते हैं। कई बार वे लोकलाज के भय के कारण अपना जीवन तक गवां देते हैं। ई-मेल के जरिए भी ऐसे संदेश भेजे जा रहे हैं, जो अविश्वसनीय लगते हैं, ये फिशिंग के मामले हैं। इसमे ठग आपके कंप्यूटर तक पहुंचकर व्यक्तिगत जानकारी चुराते हैं।


    भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम (सीईआरटी-एन) के मुताबिक, कोई भी सरकारी जांच एजेंसी आधिकारिक संचार के लिए वाट्सएप या स्काइप जैसे प्लेटफार्म का उपयोग नहीं करतीं। जबकि आनलाइन ठग इन्हीं का इस्तेमाल कर रहे हैं। शुरुआत में शक होने पर तुरंत फोन काट दें। फोन पर लंबी बातचीत करने से बचें। साइबर ठग डिजिटल अरेस्ट के लिए पीड़ितों को फोन काल, ई-मेल से संदेश भेजते हैं।


    बताते हैं कि आप मनी लॉन्ड्रिंग या चोरी जैसे अपराधों के तहत जांच के दायरे में हैं। ऐसे किसी काल और ई-मेल पर ध्यान न दें। साइबर ठग कॉल पर बातचीत के दौरान गिरफ्तारी या कानूनी कार्रवाई की धमकी देते हैं। उनकी बातचीत और फर्जी तर्कों से घबराहट हो सकती है, लेकिन घबराना नहीं है। न ही बैंक डिटेल व यूपीआइ आइडी शेयर करनी है। कॉल या वीडियो कॉल पर ठगों के सवालों और तर्कों का जवाब देने में जल्दबाजी न करें। शांत रहें, सिर्फ सुनें। काल के स्क्रीनशॉट या वीडियो रिकॉर्डिंग सेव करें ताकि आवश्यक होने पर उपयोग कर सकें।

     

    साइबर बुलिंग में डीपफेक वीडियो बन रहे खतरा

    साइबर बुलिंग पहले बच्चों तक ही सीमित थी, लेकिन अब डीपफेक वीडियो ( एआइ की मदद से तैयार वीडियो) के जरिये समाज के हर वर्ग को टारगेट किया जा रहा है। इसमें जालसाज किसी व्यक्ति का डीपफेक वीडियो बनाकर उन्हें विभिन्न इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म पर अपलोड कर अपमानित करते हैं। इन्हें हटाने के अवज में रकम की मांग करते हैं। इसके अलावा किसी सेलिब्रिटी का डीपफेक वीडियो बनाकर किसी उत्पाद या सेवा का झूठा प्रचार भी किया जा रहा है। बीते दिनों विभिन्न क्षेत्रों की कई नामचीन शख्सियत इस पर आपत्ति जता चुकी हैं। हालांकि कई इंटरनेट मीडिया पर अब एआइ से तैयार फोटो वीडियो पर एआइ लेबल की सुविधा दी गई है।

     

    गेमिंग एप से भी कर रहे ठगी

    जालसाज अपना गेमिंग ऐप बनाकर भी ठगी कर रहे हैं। इसमें वे कई तरह के खेल में लोगों को रकम जीतने का लालच देते हैं। हालांकि गेम खेलने के एवज में लोगों को पहले निश्चित रकम ली जाती है। या एक पक्ष पर सट्टा लगवाया जाता है। इस खेला का पूरा नियंत्रण जालसाज के पास ही रहता है। इसमें जिस पक्ष की ओर से ज्यादा रकम लगाई जाती है उस पक्ष की हार होती है, जबकि कम रकम लगाने वाले की जीत होती है। इससे उसके मन में एक विश्वास पैदा होता है और अगली बार वह ज्यादा रकम लगाकर अपनी कमाई गवां देता है। बीते दो माह पहले ही काकादेव निवासी एक बच्चे ने ऐसे ही एक गेमिंग एप रकम हारकर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली थी

     

    इंटरनेट मीडिया के जरिये न करें खरीदारी

    इंटरनेट माडिया (फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी जलासाज सक्रिय हो गए हैं। वे महंगे-महंगे ब्रांडस के प्रोडक्ट सस्ते में देने का झांसा देकर लोगों को अपने जाल में फंसाते है। इसके बाद आपसे रकम लेकर ब्लाक कर देते हैं और वह प्रोडक्ट आप तक कभी नहीं पहुंचता है। इन दिनों इस तरह के साइबर अपराध तेजी से बढ़े हैं। कई इंटरनेट मीडिया पेज पर कैश आन डिलीवरी का भी झांसा दिया जाता है। इसमें आपके घर तक समान की डिलीवरी भी की जाती है, लेकिन वह सामान नकली होता है। इससे बचाव के लिए इंटरनेट मीडिया के जरिये खरीदारी न करें। आनलाइन खरीदारी के लिए विश्वसनीय ई-कामर्स प्लेटफार्म का इस्तेमाल करें।

     

    डार्क वेब से खरीद रहे डाटा, लीज बैंक खातें का कर रहे इस्तेमाल

    जानकारों ने बताया कि साइबर अपराध को अंजाम देने के लिए जालसाज डार्क वेब के जरिये डाटा खरीदते हैं। इसमें आपसे संबंधित सारी जानकारी होती है जो किसी ई-कामर्स प्लेटफार्म, आनलाइन कैंपेन आदि के जरिये हासिल की गई होती है। इसके जरिये जालसाज आपके बारे में जानकारी जुटाते हैं। इसके बाद ठगी की रकम को लोगों से लीज पर लिए गए खाते में मंगाते हैं। ये खाते कम-पढ़े लिखे और गरीब वर्ग के लोगों को मामूली रकम का लालच देकर कुछ महीने के लिए लीज पर लिए जाते हैं।

     

    गोल्डन आवर में दर्ज कराएं शिकायत

    साइबर सेल के पुनीत तोमर ने बताया कि गोल्डन आवर का मतलब 60 मिनट से है। पीड़ित अगर तय समय के भीतर 1930 पर काल कर सही तथ्यों के साथ ठगी की जानकारी देते हैं तो वहां बैठे अधिकारी उनकी शिकायत साइबर सेल की वेबसाइट cybercrime.gov.in पर दर्ज कर लेते हैं। इसके बाद जिस बैंक के खाते में ठगी की रकम ट्रांसफर हुई होती है, वहां की साइबर सेल उन रुपयों को फ्रीज कर देती है। सभी बैंकों की साइबर सेल 24 घंटे खुली रहती है।


    इन बातों का रखें खास ध्यान

    • अनजाने लिंक को क्लिक न करें
    • अनजाने एप इंस्टाल न करें
    • गेमिंग एप पर सट्टा न लगाएं
    • बैकिंग और यूपीआइ एप में हमेशा पिन, बायोमीट्रिक को डिवाइस से अलग रखें
    • वीडियो/ फोटो का सत्यापन जरूर करें, कहीं वह डीपफेक तो नहीं
    • बीत तीन सालों के साइबर ठगी मामले

     

    ::::::वर्ष-मुकदमे-गिरफ्तारी -ठगी की रकम -रिफंड

     

    • 2023-34 -2 -5,51,13,876 रुपये- 1,47,71,623 रुपये2024 -102- 41 -26,77,98,115 रुपये -3,89,55,126 रुपये

    • 2025(जून तक) -36 -10 -करीब नौ करोड़ रुपये -करीब 41 लाख रुपये