GST घटने से कार विक्रेताओं को टेंशन, खड़ा हुआ ये संकट
GST दरों में कमी से कार खरीदारों को फायदा होगा लेकिन विक्रेताओं की चिंता बढ़ गई है। 21 सितंबर से कंपनसेशन सेस की व्यवस्था खत्म होने और जीएसटी कम होने से दाम घटाना अनिवार्य होगा जिससे विक्रेताओं की फंसी रकम का संकट है। कार कंपनियां कीमतें घटाकर स्टाक खत्म करने में मदद कर रही हैं पर नई नीति न आने पर विक्रेताओं के लिए मुश्किल हो सकती है।

राजीव सक्सेना, जागरण, कानपुर। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरें घटने से कार खरीदार तो फायदे में होंगे, लेकिन विक्रेताओं की चिंता बढ़ गई है। जिनके पास वाहनों का स्टाक है, वह कंपनसेशन सेस जमा कर चुके हैं। 21 सितंबर से सेस की व्यवस्था खत्म हो जाएगी और जीएसटी कम होने से दाम घटाना अनिवार्य होगा। विक्रेता चिंतित हैं कि उनकी फंसी रकम कैसे निकलेगी। हालांकि इस संकट को दूर करने के लिए कार कंपनियां आगे आई हैं और टाटा, महिंद्रा, रेनो व टोयोटा ने कारों की कीमतें घटा दी हैं। ताकि 22 सितंबर से पहले ही विक्रेताओं का स्टाक खत्म हो सके। सेंट्रल बोर्ड आफ इनडायरेक्ट टैक्स एंड कस्टम, मेरठ जोन के चीफ कमिश्नर संजय मंगल ने बताया कि कंपनसेशन सेस का समायोजन सिर्फ 21 सितंबर तक किया जा सकेगा।
जीएसटी लागू होने के समय कारों व तंबाकू उत्पादों पर कंपनशेसन सेस लगाया गया था ताकि राज्यों को जो नुकसान हो उसकी क्षतिपूर्ति की जा सके। कंपनियां जब विक्रेताओं को कार बेचती हैं तो यह सेस उसी समय ले लेती हैं। चार मीटर से छोटी और 1,500 सीसी तक की पेट्रोल की कार पर सेस एक प्रतिशत होता है और डीजल कारों पर तीन प्रतिशत। चार मीटर से बड़ी और 1,500 सीसी से ऊपर की कारों पर यह 17 प्रतिशत हो जाता है। डीलर जब अपना लाभ जोड़ते हुए कार बेचते हैं तो ग्राहक से इस कंपनसेशन सेस भी लेते हैं। बाद में यह समायोजित हो जाता है।
कारों पर अब तक 28 प्रतिशत जीएसटी लग रहा था। अब 22 सितंबर से चार मीटर लंबी और 1,200 सीसी तक की कारों पर 18 और इससे ऊपर की कारों पर 40 प्रतिशत जीएसटी लगेगा। नई व्यवस्था में कंपनसेशन सेस खत्म कर दिया गया है। यानी इसे ग्राहक से नहीं लिया जा सकेगा और न समायोजित किया जा सकेगा। जीएसटी के इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) को जीएसटी से समायोजित किया जाता है, उसी तरह कंपनसेशन सेस को उसीसे समायोजित करने की व्यवस्था है।
15 अगस्त को जीएसटी में राहत के संकेत मिलने के बाद से ही कारों की बिक्री में कमी आनी शुरू हो गई थी। कानपुर में अगस्त 2024 में 1,500 कारें बिकी थीं, वहीं अगस्त 2025 में 1,400 की ही बिकी हो सकी। सितंबर में और भी खराब स्थिति है। अलग-अलग विक्रेताओं के पास शहर में करीब आठ हजार कारें हैं। बिक्री कम होने से कई विक्रेता सितंबर माह का कोटा उठाने से मना कर चुके हैं। सबसे बड़ी समस्या तो उनके साथ है, जो बड़ी और महंगी कारें बेचते हैं।
कार विक्रेताओं के मुताबिक अभी और कंपनियां कीमतें गिरा सकती हैं ताकि उनकी कारें बिक सकें और सेस समायोजित हो सके। मर्चेंट्स चैंबर आफ उत्तर प्रदेश की जीएसटी कमेटी के सलाहकार धर्मेन्द्र श्रीवास्तव ने बताया कि अगर कोई नई नीति नहीं लाई गई तो विक्रेताओं के लिए मुश्किल स्थिति होगी। कार शोरूम के महाप्रबंधक शैलेन्द्र तिवारी के मुताबिक ग्राहकों के लिए कंपनियां कई आफर दे रही हैं, लेकिन डीलरों के लिए मुश्किल है।
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