जीएसटी दरों से राहत फिर भी कारोबारी परेशान, जानें क्यों नए आर्डर लेने से डर रहे
कानपुर के व्यापारी नवरात्र से पहले जीएसटी दरों में कटौती के कारण स्टॉक भरने में हिचकिचा रहे हैं। दरों में बदलाव के कारण उन्हें इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) समायोजित करने में समस्या आ रही है जिससे उनकी कार्यशील पूंजी फंसने का डर है। व्यापारी नवरात्र के बाद डिलीवरी लेने की योजना बना रहे हैं ताकि वे नई दरों के अनुसार टैक्स का भुगतान कर सकें।

जागरण संवाददाता, कानपुर। त्योहार के पहले यूं तो कारोबारी अपनी दुकानों में माल भर लेते हैं और यह समय दुकान, शोरूम, गोदामों में सामान पूरी तरह भरा होता है लेकिन इस बार मामला थोड़ा धीमा है। कारोबारियों को लग रहा है कि अभी माल भर लिया तो कार्यशील पूंजी फंस जाएगी और वे उसकी इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) को महीनों समायोजित नहीं कर पाएंगे।
कारोबारियों की इस सोच का कारण बहुत सारी वस्तुओं की जीएसटी की टैक्स दरों में आई कमी है। तमाम वस्तुओं पर जीएसटी की दरों को बदले जाने की घोषणा कर दी गई है। नवरात्र के पहले दिन से इन दरों को बदला जा रहा है। काफी सारी वस्तुओं को 28 प्रतिशत से 18 प्रतिशत की दर में लाया गया है तो वहीं तमाम वस्तुओं और सेवाओं को 12 प्रतिशत से पांच प्रतिशत में लाया गया हैं। इतना ही नहीं कुछ वस्तुएं 18 प्रतिशत से भी पांच प्रतिशत की दर में भी लाई गई हैं।
दरों के बदलने में अब एक सप्ताह का समय रह गया है। कारोबारियों को लग रहा है कि इस समय वे जो माल खरीदेंगे, उसमें उन्हें ज्यादा टैक्स चुकाना होगा। एक सप्ताह बाद वही माल लेने पर कम टैक्स देना होगा। यानी अभी जो माल 28 प्रतिशत टैक्स देकर मिलेगा, वह एक सप्ताह बाद 18 प्रतिशत में मिलेगा और बाद में जब अभी खरीदे गए माल की आइटीसी समायोजित करनी होगी तो 28 की जगह 18 प्रतिशत ही आइटीसी समायोजित होगी क्योंकि 22 सितंबर या उसके बाद की बिक्री पर 18 प्रतिशत टैक्स ही कारोबारी ले पाएंगे और उसी दर से वे आइटीसी समायोजित कर सकेंगे। इस तरह 10 प्रतिशत आइटीसी उनके क्रेडिट लेजर में ही पड़ी रह जाएगी जिसे समायोजित करना मुश्किल हो जाएगी।
दूसरी ओर जो माल अभी 12 प्रतिशत में खरीदा जाएगा, वह एक सप्ताह बाद पांच प्रतिशत में खरीदा जाएगा। इससे जब टैक्स चुकाते समय आइटीसी समायोजित की जाएगी, तो सात प्रतिशत आइटीसी को समायोजित करना आसान नहीं होगा। इसकी वजह से कारोबारी की पूंजी काफी समय के लिए फंस जाएगी।
मर्चेंट्स चैंबर की जीएसटी कमेटी के सलाहकार धर्मेन्द्र श्रीवास्तव के मुताबिक कारोबारी त्योहार के समय अपनी पूंजी फंसाना नहीं चाहते। इसलिए वे बड़ा आर्डर देंगे लेकिन उसकी डिलीवरी नवरात्र से लेंगे ताकि जिस टैक्स दर पर वह माल खरीदें, उसी दर पर उसे बेच सकें। इससे उनके सामने आइटीसी की समस्या नहीं आएगी और कार्यशील पूंजी भी नहीं फंसेगी।
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