डाॅ. शाहीन के बाद जीएसवीएम से बर्खास्त तीनों डॉक्टर गए थे सऊदी अरब, बैंक खातों की जांच में जुटी एजेंसियां
दिल्ली बम धमाके के षड्यंत्र में शामिल डा. शाहीन के बाद जीएसवीएम से बर्खास्त तीन डाक्टरों की विदेश यात्रा जांच के दायरे में है। डा. हामिद अंसारी ने बताया कि वे शाहीन को नहीं जानते, पर अन्य दो के साथ सऊदी अरब नौकरी के लिए गए थे। जांच एजेंसियां यात्रा के उद्देश्य की पड़ताल कर रही हैं। शाहीन के बैंक खातों और संपर्कों की भी जांच हो रही है।

जागरण संवाददाता, कानपुर। दिल्ली बम धमाके के षड्यंत्र में शामिल डा. शाहीन के बाद गणेश शंकर विद्यार्थी मेमोरियल (जीएसवीएम) मेडिकल कालेज से बर्खास्त हुए तीनों डाक्टरों ने विदेश यात्रा की थी। इनमें से एक डा. हामिद अंसारी राजकीय मेडिकल कालेज, कानपुर देहात में तैनात हैं और कानपुर में परिवार के साथ रहते हैं।
दैनिक जागरण से उन्होंने बताया कि शाहीन के बारे में नहीं पता, लेकिन वह और उनके साथ बर्खास्त हुए हफीजुल रहमान व डाक्टर निसार अहमद नौकरी के लिए सऊदी अरब गए थे। वहां वे सात साल रहे। इस समय वे दोनों लखनऊ के निजी अस्पतालों में काम कर रहे हैं। वह नौकरी के लिए ही विदेश गए या फिर किसी अन्य कारण से, इसकी पूछताछ की तैयारी जांच एजेंसियां कर रही हैं।
जीएसवीएम मेडिकल कालेज में वर्ष 2006 से 2013 तक फार्माकोलाजी की प्रवक्ता व विभागाध्यक्ष रही डा. शाहीन को अनुपस्थित रहने के कारण बर्खास्त कर दिया गया था। फिजियोलाजी विभाग में रहे हफीजुल रहमान, एनाटामी के हामिद अंसारी व सर्जरी विभाग के निसार अहमद भी वर्ष 2013 के अंत में बिना सूचना दिए गायब हो गए थे। इन तीनों को शासन ने 2021 में बर्खास्त कर दिया था।
दैनिक जागरण ने तीनों डाक्टरों को तलाशा तो डाॅ. हामिद अंसारी के बारे में पता चला। वह बंगाल में आसनसोल के मूल निवासी हैं। सितंबर 2010 से सितंबर 2013 तक जीएसवीएम मेडिकल कालेज में उन्होंने काम किया। ट्रांसफर की प्रक्रिया और सैलरी कम होने पर वह परिवार के साथ सऊदी अरब चले गए और वहां की जजान यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में 15 हजार रियाल में नौकरी की।
उनके साथ गए डा. हफीजुल रहमान भी जजान यूनिवर्सिटी में काम करते थे। डा. निसार भी कुछ समय बाद पहुंचे, मगर वह एक निजी अस्पताल में नौकरी करते थे।
डाॅ. हामिद के अनुसार वर्ष 2020-21 में वह कानपुर लौटे और यहीं के एक निजी मेडिकल कालेज में वर्ष 2021 में ज्वाइन किया, जहां छह दिसंबर तक 2023 तक काम किया। सात दिसंबर को राजकीय मेडिकल कालेज, कानपुर देहात में बतौर एसोसिएट प्रोफेसर शुरुआत की।
उनका कहना है कि डा. शाहीन जीएसवीएम के एल ब्लाक में रहती थी, जबकि वह टाइप फोर में। दोनों का कभी आमना-सामना नहीं रहा।
शाहीन के बैंक खातों की जांच में जुटी एजेंसियां
डा. शाहीन और डा. मोहम्मद आरिफ मीर के व्हाइट कालर टेरर के तार अब कई डाक्टरों से जुड़ते दिख रहे हैं। जांच एजेंसियां शाहीन के संपर्क वाले डाक्टरों व स्टाफ का डाटा जुटा रही हैं। डा. शाहीन को फंडिंग की आशंका में जांच एजेंसियां उसके सैलरी अकाउंट की जांच के साथ ही पेचबाग क्षेत्र के बैंक के अकाउंट की तलाश भी कर रही हैं। यही नहीं डा. आरिफ और बर्खास्त तीन डाक्टरों के भी खाते जांचे जा रहे हैं।
शाहीन और आरिफ से जुड़े एक दर्ज ठिकाने चिन्हित
जांच में जुटी एजेंसियों को आतंकी शाहीन और डाक्टर आरिफ के लगभग एक दर्जन स्थानीय ठिकानों की जानकारियां मिली हैं। पुलिस के साथ-साथ एजेंसियां इन ठिकानों पर खुफिया नजर रख रही हैं। सूत्रों के मुताबिक चमनगंज और बेकनगंज क्षेत्रों से इतर शहर में जाजमऊ, काकादेव, रावतपुर क्षेत्रों में भी इन्होंने अपने नेटवर्क खड़े कर लिए थे।
डाक्टर आरिफ ने अशोक नगर में किराए का मकान लिया था। मकान के ठीक बगल में फातिमा कान्वेंट स्कूल है। पुलिस और एजेंसियां यहां लगे कैमरों की जांच कर रही हैं। यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि कहीं आरिफ स्कूली छात्रों को बरगलाने का काम तो नहीं कर रहा था।

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