IIT Kanpur के विशेषज्ञों की आई रिपोर्ट, लखनऊ में पकड़ी गई धातु कैलिफोर्नियम नहीं
आइआइटी कानपुर में गुरुवार को लखनऊ पुलिस ने जांच के लिए धातु भेजी थी जिसे कैलिफोर्नियम होने की शंका जताई जा रही थी और अरबों में कीमत आंकी जा रही थी। अब मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग की जांच रिपोर्ट पुलिस को भेजी गई है।

कानपुर, जेएनएन। रेडियो एक्टिव पदार्थ कैलिफोर्नियम बताकर जांच के लिए आइआइटी भेजा गया सैंपल आयरन, कार्बन और सल्फर का मिश्रण निकला। पिछले दिनों लखनऊ की गाजीपुर पुलिस ने आठ लोगों के पास से इसे बरामद किया था। इस पदार्थ में कोई रेडिएशन मैटीरियल नहीं मिला।
मंगलवार को जांच पूरी होते ही, आइआइटी कानपुर की ओर से तैयार रिपोर्ट गाजीपुर पुलिस को भेज दी गई। बीते गुरुवार को आइआइटी कानपुर में सैंपल आया था, तब प्रोफेसर यह तय नहीं कर पा रहे थे, कि मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग से जांच कराई जाए या फिर केमिकल इंजीनियरिंग से। हालांकि निदेशक प्रो.अभय करंदीकर ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग को जांच सौंपी थी। इसके बाद मंगलवार को जांच पूरी हो गई और रिपोर्ट गाजीपुर पुलिस को भेज दी गई। रिपोर्ट भेजे जाने की पुष्टि आइआइटी के निदेशक ने की।
ये था मामला
पुलिस ने बीते गुरुवार तड़के दुनिया के दूसरे सबसे महंगे रेडियो एक्टिव पदार्थ 340 ग्राम संदिग्ध धातु सहित आठ लोगों को पकड़ा था। पकड़े गए धातु को कैलिफोर्नियम बताया जा रहा था, जिसकी कीमत अरबों में आंकी जा रही थी। गिरोह का सरगना अभिषेक चक्रवर्ती निवासी कानपुर रोड एलडीए कालोनी कृष्णानगर, महेश कुमार निवासी नेवादा न्यू एरिया बिहार, रविशंकर निवासी शाहजहांपुर पटना बिहार, अमित कुमार सिंह मानसनगर कृष्णानगर, शीतल गुप्ता उर्फ राज गुप्ता गुलजार नगर बाजारखाला, हरीश चौधरी लौकिहवा बस्ती, रमेश तिवारी निवासी कठौतिया सांवडी पैकुलिया बस्ती और श्याम सुंदर गांधीनगर बस्ती पुलिस के हत्थे चढ़े थे। महेश और रविशंकर बिहार से इसे लेकर आए थे। शुद्ध कैलिफोॢनयम की कीमत करीब 27 लाख डालर प्रति ग्राम (करीब 19 करोड़ रुपये) होती है। इसकी बिक्री मिलीग्राम में होती है।

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