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    IIT Kanpur के स्थापना दिवस समारोह में RBI गवर्नर, CEC व CM के सलाहकार समेत 21 पूर्व छात्र सम्मानित

    Updated: Mon, 03 Nov 2025 12:38 AM (IST)

    आईआईटी कानपुर के स्थापना दिवस समारोह में देश-विदेश में अपनी पहचान बना चुके 21 पूर्व छात्रों को सम्मानित किया गया। सम्मान पाने वालों में आरबीआई गवर्नर, मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) और मुख्यमंत्री के सलाहकार सहित कई प्रतिष्ठित व्यक्तित्व शामिल रहे।

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    आइआइटी के स्थापना दिवस पर मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार को सम्मानित करते मुख्यअतिथि आदिल जैनुल भाई साथ में निदेशक मणीन्द्र अग्रवाल,प्रो.ब्रज भूषण व अभेय करकरे (बाएं से दाएं)। जागरण

    जागरण संवाददाता, कानपुर। आइआइटी कानपुर को बायोटेक सिलिकान वैली यानी कंप्यूटेशनल इंजीनियरिंग के साथ किए जाने वाले चिकित्सा अनुसंधानों का अग्रणी बनने की दिशा में काम करना चाहिए। यह बात आइआइटी कानपुर के 66 वें स्थापना दिवस समारोह के मुख्य अतिथि व आइआइटी रोपड व आइआइटी गोवा के बोर्ड आफ गवर्नर्स के चेयरमैन आदिल जैनुलभाई ने कही। उन्होंने कहा कि अगले 10 से 15 सालों में आइआइटी कानपुर को देश के आर्थिकी का केंद्र बनने के तौर पर भी विकास करने की जरूरत है।

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    उन्होंने कहा कि विकसित भारत प्रोजेक्ट में आइआइटी कानपुर की भूमिका नेतृत्वकर्ता की होनी चाहिए। अमेरिका समेत यूरोप व दुनिया में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जो शीर्ष 500 रिसचर्स हैं, उनमें से 100 भारत से हैं और उन 100 में भी अधिकतर आइआइटी के पूर्व छात्र रहे हैं । मेरे दो सर्वाधिक प्रिय शिक्षकों में एमआइटी के प्रो. राबर्ट लेंगर और स्टैनफोर्ड के प्रो. चेरिटन हैं जिन्होंने शोध व अनुसंधान के अलावा अपने संस्थान के पर्यावरण व समाज के विकास में भी बड़ा योगदान दिया। आइआइटी कानपुर ने सबसे पहले सेमेस्टर प्रणाली लागू कर छात्रों के समग्र विकास की अवधारणा प्रस्तुत की। यहां सी3आइहब जैसे कई केंद्र हैं जो महत्वपूर्ण अनुसंधान कर रहे हैं। शोध से उत्पाद तक की यात्रा में आइआइटी ने तीव्र प्रगति की है।

    इससे पहले स्थापना दिवस समारोह का शुभारंभ मुख्य अतिथि आदिल जैनुलभाई, आइआइटी निदेशक प्रो. मणीन्द्र अग्रवाल, प्रो. अमेय करकरे ने दीप जलाकर किया। प्रो. अग्रवाल ने संस्थान की प्रगति गतिविधियों के साथ ही भविष्य की योजनाओं के बारे में सभी को जानकारी दी। मुख्य अतिथि के संबोधन के बाद इंस्टी्ट्यूट फेलो अवार्ड, विशिष्ट एल्युमिनाइ अवार्ड, विशिष्ट सर्विस अवार्ड, युवा एल्युमिनाइ अवार्ड संस्थान के उन पूर्व छात्रों को दिया गया जो देश और दुनिया में अपनी प्रतिभा और योग्यता का डंका बजा रहे हैं।


    आइआइटी का इंस्टीट्यूट फेलो अवार्ड संस्थान के कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग विभाग के वरिष्ठ विज्ञानी प्रो. टीवी प्रभाकर को दिया गया। अन्य सम्मानित होने वालों में देश के मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार (1985 बैच के सिविल इंजीनियर), उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सलाहकार अवनीश कुमार अवस्थी (1985 बैच के इलेक्ट्रिकल इंजीनियर), रिजर्व बैंक आफ इंडिया के गवर्नर संजय मल्होत्रा (1989 बैच के कंप्यूटर साइंस इंजीनियर) को विशिष्ट एल्युमिनाइ अवार्ड से सम्मानित किया गया। कंप्यूटर साइंस के क्षेत्र में मिलने वाला सर्वोच्च सम्मान गोडेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले पूर्व छात्र व कार्नेल विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर ईशान चट्टोपाध्याय को युवा एल्युमिनाइ अवार्ड से सम्मानित किया गया।

    इनको भी मिला अवार्ड

    विशिष्ट एल्युमिनाइ अवार्ड

    यूनिवर्सिटी आफ कैलीफोर्निया के प्रो. वेंकटेसन सुदर्शन (1973 के एमएससी), यूनिवर्सिटी आफ रोहडे के प्रो. अर्जित बोस (1976 के केमिकल इंजीनियर), कार्नेगी मेलन यूनिवर्सिटी की प्रो. रेमा पदमन (1981 की केमिकल इंजीनियर), मेटाकैपिटल मैनेजमेंट के फाउंडर डा. दीपक नरूला (1985 के इलेक्ट्रिकल इंजीनियर), आइआइएम बेंगलुरू के प्रो. ऋषिकेष (1986 के एमएससी), पाशमार्क के सीईओ मनीष चंद्रा (1987 के कंप्यूटर साइंस इंजीनियर), एक्यूराकैप कंसल्टेंसी के फाउंडर डा. नरेश चंद्र गुप्ता (1988 के कंप्यूटर साइंस इंजीनियर), इनवेस्टक्राप के वाइस चेयरमैन ऋषि कपूर (1988 के इलेक्ट्रिकल इंजीनियर), आइआइटी बांबे के प्रो. अमित अग्रवाल (1996 के मैकनिकल इंजीनियर), फार्टेनिक्स एंड सिम्बियन के फाउंडर अंबुज कुमार (2002 के इलेक्ट्रिकल इंजीनियर)।

    विशिष्ट सेवा सम्मान

    -टेस्ला डिजाइन के श्रीश जोशी (1978 के केमिकल इंजीनियर), क्लाकनर पेंटाप्लास्ट के डायरेक्टर वित्त असीम शुक्ला (1983 के केमिकल इंजीनियर), बिम आउटसोर्सिंग के प्रोग्राम लीडर निशीथ मोहन (1988 के मैकेनिकल इंजीनियर)।

    विशिष्ट युवा एल्युमिनाइ अवार्ड

    -शाप 101 के फाउंडर अभिनव जैन (2009 के कंप्यूटर साइंस इंजीनियर), यूनिवर्सिटी आफ कैलीफोर्निया के प्रो. दिनेश भराडिया (2010 के इलेक्ट्रिकल इंजीनियर), कार्नेल यूनिवर्सिटी के प्रो. ईशान चट्टोपाध्याय (2011 के कंप्यूटर साइंस इंजीनियर), मैंकेंजी के पार्टनर भावेश मित्तल (2013 के केमिकल इंजीनियर)।

    चुनाव आयुक्त बोले, आइआइटियन ही संभाले हैं नोट और वोट

    वाराणसी की गंगा में तैराकी सीखने वाला एक साधारण लड़का जब आइआइटी कानपुर पहुंचा तो कभी कल्पना में भी नहीं था कि देश के मुख्य चुनाव आयुक्त की कुर्सी मिलेगी। आइआइटी कानपुर के स्थापना दिवस समारोह में विशिष्ट एल्युमिनाइ अवार्ड प्राप्त करने के मौके पर मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि यह आइआइटी कानपुर की शिक्षा और परिवेश की देन है जो मन और तन दोनों ही स्तर पर सर्वश्रेष्ठ बनना सिखाती है। मेरे दोस्त संजय भी आज सभागार में हैं वह देश का नोट और मैं वोट संभाल रहा हूं।

    सिविल इंजीनियरिंग में प्रवेश लेने पर पहले साल के 15 अगस्त तक जो रैगिंग हुई , उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। यूपी बोर्ड से 10 वीं और 12 वीं टाप करने की वजह से मेरी संस्थान में हमेशा खोज होती रहती थी कि वह लड़का कौन है। यहां मैंने पाया कि अगर कक्षा में देर से पहुंचे तो क्विज के 10 नंबर और सो गए तो पांच नंबर कम हो जाते थे। रविवार की शाम को कैंटीन में सबसे अच्छा भोजन मिलता था लेकिन जब पहुंचते तो गेट पर नोटिस लिखा मिलता कि अभी क्विज शुरू होने जा रही है। सोते - जागते किसी भी वक्त क्विज की चुनौती से जूझ़ना पड़ता था। उन्होंने बताया कि एक बार आइसक्रीम की ब्रिक पर इंग्लिश चैनल जितनी तैराकी की शर्त लगी थी। अगर उसे रिकार्ड किया गया होता तो गिनीज बुक आफ रिकार्डस में शामिल होती। मैंने यहां जो सीखा वह मानसिक और शारीरिक दोनों स्तर की मजबूती का सबक था जो जीवन में हमेशा काम आया। मेरे पिता डा. सुबोध कुमार गुप्ता ने यहीं जीएसवीएम कालेज से पढ़ाई की और गोल्ड मेडल प्राप्त किया। उनको कालेज में सीवी रमन पुरस्कार भी मिला था।

    पिता को याद कर मंच पर भावुक हुए अवनीश अवस्थी

    मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के वरिष्ठ सलाहकार और 1985 में आइआइटी कानपुर से इलेक्टि्रकल इंजीनियरिंग में बीटेक करने वाले अवनीश अवस्थी रविवार को आइीआइटी के स्थापना दिवस समारोह में अपने पिता को याद कर भावुक हो उठे। डबडबाई आंख और भर्राए गले से उन्होंने बताया कि उनके दिवंगत पिता का यह बड़ा सपना था जो पूरा हो रहा है। इतना ही संतोष है कि मेरी मां के साथ मेरा पूरा परिवार पत्नी मालिनी अवस्थी, बेटे, बेटी,दामाद और नाती भी यहां मौजूद हैं। परिवार के बगैर देश की बड़ी जिम्मेदारी को निभाना मुश्किल होता है। आइआइटी कानपुर और निदेशक प्रो. मणीन्द्र अग्रवाल के साथ रिश्तों को याद करते हुए कहा कि कोरोना महामारी आई तो आइआइटी ने बढ़ कर अपना योगदान किया। महामारी से देश को बचाने में यहां के विज्ञानियों और इंजीनियरों के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। आक्सीजन की कमी नहीं होने दी गई तो आइआइटी का भी योगदान रहा है। यहां से सीखा हुआ मेरे करियर में काम आया जब प्रदेश की ऊर्जा व्यवस्था को संभालने का मौका मिला।

    आइआइटी से मिली जीवन को दिशा

    1989 में कंप्यूटर साइंस बीटेक करने वाले रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने विशिष्ट एल्युमिनाई अवार्ड मिलने पर कहा कि जहां से जीवन को दिशा मिली वहीं पर सम्मान मिलने के अहसास को बताया नहीं जा सकता है। मेरे जीवन में आइआइटी के शिक्षकों और यहां के परिवेश का बड़ा योगदान है। इसके साथ ही मेरे करियर को दिशा देने में मेरी पत्नी का भी बड़ा सहयोग रहा है। खुद पीएचडी होने के बावजूद उन्होंने अपने जीवन में मेरे करियर को प्राथमिकता दी।

    तीन बजे जागने वाली मां को याद किया तो बजीं तालियां

    आइआइटी के पूर्व छात्र व फार्टेनिक्स एंड सिम्बियन के फाउंडर अंबुज कुमार ने सम्मान मिलने के बाद जब अपनी मां के योगदान को याद किया तो पूरा सभागार तालियों से गूंज उठा। उन्होंने कहा कि जब मैं छोटा था तो मेरी मां सुबह पढ़ने के लिए जगा देती और खुद घर के काम में जुट जाती थीं। तो मैं सोचता कि सुबह तीन बजे कौन घर में झाड़ू लगाता है लेकिन अब समझता हूं कि वह मेरा साथ देने के लिए घर के काम में जुट जाती थीं।