ITI में दोषी प्राचार्यों को सजा नहीं, मिल रहा है प्रमोशन! फर्जी डिग्री से प्राचार्य बनने का खतरनाक खेल
उत्तर प्रदेश व्यावसायिक प्रशिक्षण निदेशालय में दोषी आईटीआई प्राचार्यों को दंड देने के बजाय प्रमोशन दिया जा रहा है। फर्जी डिग्री के आधार पर प्राचार्य बनाने का खेल चल रहा है, जबकि एआईसीटीई ने ऑनलाइन बीटेक डिग्री को अमान्य घोषित किया है। निदेशालय ने इस पर पर्दा डाला और कई प्राचार्यों को दोबारा प्रमोट किया। अब 18 प्राचार्यों की शिकायत की जांच शुरू हुई है, लेकिन जांच बैठक रद्द कर दी गई है।

जागरण संवाददाता, कानपुर। उत्तर प्रदेश व्यावसायिक प्रशिक्षण निदेशालय की चाल भी निराली है। शिकायतों की जांच में दोषी मिले औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आइटीआइ) के प्रधानाचार्यों पर दंडात्मक कार्रवाई के बजाय उन्हें प्रोन्नति का पारितोषिक दिया जाता रहा है। दोबारा हो रही जांच की जद में शामिल कई प्रधानाचार्यों को इसी साल प्रोन्नति दी गई है। इसमें संजीव कुमार को ग्रेड वन का अधिकारी बनाकर मेरठ आइटीआइ का प्रधानाचार्य बनाया जा चुका है।
अनुदेशकों को फर्जी डिग्री के आधार पर प्रधानाचार्य बनाने के खेल में निदेशालय से लेकर शासन तक मजबूत तंत्र सक्रिय है। यह खेल तब हो रहा है, जब अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआइसीटीई) ने फरवरी 2019 में प्रदेश सरकार के सेवा एवं प्रशिक्षण निदेशक को पत्र भेजकर सूचित कर दिया था कि आनलाइन और दूरस्थ शिक्षा से प्राप्त बीटेक डिग्री अमान्य है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इन्हें अमान्य घोषित कर रखा है।
एआइसीटीई के इस पत्र के बाद 2019 में ही दूरस्थ शिक्षा से बीटेक करने वाले सभी अनुदेशकों को पदावनत किया जाना चाहिए था, लेकिन निदेशालय के अधिकारियों ने इस पर परदा डाले रखा और 2025 में ऐसे लगभग आधा दर्जन प्रधानाचार्यों को दोबारा प्रोन्नत कर दिया गया। औरेया जिले की आइटीआइ में प्रधानाचार्य रहे संजीव कुमार भी इसमें शामिल हैं, जिन्हें ग्रेड वन देते हुए मेरठ का प्रधानाचार्य बनाया गया है।
अब हो रही जांच
राज्य व्यावसायिक व प्रशिक्षण निदेशालय ने अब ऐसे 18 प्रधानाचार्यों के बारे में मिली शिकायत की जांच शुरू की है। सभी को शैक्षिक व तकनीकी उपाधियों के साथ 10 अक्टूबर को बुलाया गया था, लेकिन ऐन मौके पर जांच बैठक रद कर दी गई। ऐसे में अब जांच प्रक्रिया भी टलती दिखाई दे रही है। दूसरी ओर निदेशालय का कोई भी अधिकारी यह बताने को तैयार नहीं है कि दोषी प्रधानाचार्यों को किस आधार पर बार-बार प्रोन्नति दी गई है।
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