कानपुर के भूमाफिया और वकील अखिलेश दुबे को मिली जमानत, क्या जेल से बाहर आएगा?
कानपुर के भूमाफिया और वकील अखिलेश दुबे को रंगदारी के एक मामले में जमानत मिल गई है जिसमें वकील संदीप शुक्ला ने उन पर मुकदमा दर्ज कराया था। अदालत ने दुबे को रंगदारी मामले में जमानत दे दी। इधर पूर्व पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार जिन्होंने दुबे के खिलाफ कार्रवाई की थी मंगलवार को अपने पद से रिलीव हो गए।

जागरण संवाददाता, कानपुर। कानपुर के भूमाफिया और वकील अखिलेश दुबे को रंगदारी से संबंधित मामले में बढ़ी धाराओं में जमानत मिल गई है। वकील संदीप शुक्ला ने उन पर मुकदमा दर्ज कराया था। इसके लिए अखिलेश दुबे की तरफ से जमानत के लिए प्रार्थना पत्र दिया गया था। बता दें कि पूर्व पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार ने आपरेश महाकाल अभियान के तहत शिकायत मिलने पर भूमाफिया अखिलेश दुबे पर कार्रवाई की थी। वहीं, तबादला हो जाने के बाद मंगलवार को पूर्व पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार रिलीव हो गए हैं।
दो मुकदमे में मिली जमानत
अपर जिला जज प्रथम सुदामा प्रसाद की कोर्ट ने अधिवक्ता संदीप शुक्ला द्वारा दर्ज कराए गए रंगदारी से संबंधित मुकदमे में बढ़ी धाराओं में भी अधिवक्ता अखिलेश दुबे को जमानत दे दी है। रंगदारी मांगने के मुकदमे में जमानत मिलने के बाद पुलिस ने विवेचना में दो धाराएं और बढ़ा दी थी। इनमें जमानत के लिए अखिलेश दुबे की तरफ से प्रार्थनापत्र दिया गया था। अखिलेश दुबे पर पांच मुकदमे हैं। दो मुकदमों में जमानत मिल चुकी है। तीन मुकदमों में जमानत न होने के कारण अभी उन्हें जेल में ही रहना होगा।
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ये था पूरा मामला
कोतवाली में अधिवक्ता संदीप शुक्ला ने अखिलेश दुबे व पप्पू स्मार्ट समेत 10 लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इसमें कहा था कि उन्होंने राजा ययाति के किले और लोक निर्माण विभाग की सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा करने वाले हिस्ट्रीशीटर पप्पू स्मार्ट के गिरोह के लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। इससे रंजिश मानकर गिरोह के लोगों ने अखिलेश दुबे के साथ मिलकर उन्हें पाक्सो एक्ट के दो झूठे मुकदमों में फंसा दिया। इन्हें खत्म कराने के नाम पर 10 लाख रुपये रंगदारी मांगी। प्रतिष्ठा बचाने के लिए उन्होंने एक लाख रुपये दिए लेकिन इसके बाद भी यह लोग नहीं माने। इस मुकदमे में पहले रंगदारी मांगने, धमकी देने, गाली गलौज देने (धारा 388, 504 व 506) में रिमांड लिया गया था। इसमें अखिलेश को जमानत मिल गई थी। बाद में विवेचक ने झूठे साक्ष्य देने या गढ़ने और किसी अपराध का झूठा आरोप लगाने (धारा 195 व 211) की बढ़ोत्तरी कर दी थी। इस पर अखिलेश की तरफ से दोबारा जमानत प्रार्थनापत्र दाखिल किया गया था। प्रार्थनापत्र में गलत तरीके से धाराएं बढ़ाने की बात कही गई जबकि अभियोजन की ओर से अखिलेश के खिलाफ गंभीर आरोप होने की बात कही गई। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने अखिलेश का जमानत प्रार्थनापत्र मंजूर कर लिया।
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