सीएनजी बसों के चालक और परिचालकों की छंटनी, इलेक्ट्रिक बसों के आने से समायोजन हो सकता विकल्प
सीएनजी बसों के बढ़ते इलेक्ट्रिक बस परिवहन के कारण कई चालक और परिचालक छंटनी के शिकार हो सकते हैं। हालांकि, इलेक्ट्रिक बसों के आने से कुछ कर्मचारियों के लिए नई समायोजन की संभावनाएं भी खुल सकती हैं।

जागरण संवाददाता, कानपुर। शहर में चलने वाली सीएनजी सिटी बसों का संचालन बंद होने के बाद नई सीएनजी बसें आने के आसार कम हैं। ऐसे में कानपुर सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विस लिमिटेड (केसीटीएसएल) ने चालक व परिचालकों की छंटनी करने की प्रक्रिया शुरू की है। जनवरी तक 100 नई इलेक्ट्रिक बसें आने के संकेत मिले हैं। ऐसे में छंटनी के बाद शेष चालक व परिचालकों को इलेक्ट्रिक बसों में समायोजित किया जाएगा।
पहले चरण में 60 वर्ष की आयु पूरी करने वाले परिचालक हटेंगे। दूसरे चरण में सबसे कम आय लाने वाले परिचालकों को चिह्नित कर उन्हें सेवामुक्त किया जाएगा। फिर जो परिचालक शेष बचेंगे, उनको इलेक्ट्रिक बसों में समायोजित किया जाएगा। संभावना है कि जनवरी तक इलेक्ट्रिक बसों के बढ़ने की संभावना है। इसलिए वहां परिचालकों की जरूरत पड़ेगी।
संचालन प्रबंधक अभिनव निगम ने बताया कि मुख्यालय स्तर से इलेक्ट्रिक बसों का बेड़ा बढ़ाए जाने का पता चला है। इसलिए सीएनजी बसों के चालक व परिचालकों काे वहां समायोजित किया जाएगा।फिलहाल, छंटनी करने की प्रक्रिया पर बात चल रही है।
बता दें, केसीटीएसएल के पास 110 सीएनजी बसें थी। जो वर्तमान में कंडम होकर खड़ी हो गई हैं। ये सीएनजी बसें घंटाघर-मूसानगर, नौबस्ता-बिंदकी, घंटाघर-भोगनीपुर, रामादेवी-अकबरपुर, रावतपुर-बिल्हौर, नौबस्ता-भोगनीपुर, नौबस्ता-जहानाबाद, घंटाघर-मखौली, जाजमऊ-आइआइटी, रावतपुर-गहलो, घंटाघर-देवमई, फजलगंज-रूरा रूट पर संचालित थी। जिनमें औसतन 14 हजार यात्री रोजाना सफर करते थे। अब इन रूटों पर सीएनजी बसों का संचालन बंद होने से नगरीय परिवहन व्यवस्था बेपटरी होने की कगार पर पहुंच गई है।
इधर, मरम्मत और नई बैटरी के इंतजार में कंडम हो रहीं बसें
सीएनजी बसों के कंडम होने के बाद अब शहरवासी ई-बसों पर निर्भर हैं। ई-बसों के फेरे बढ़ने के बाद बैटरी बैकअप घटने लगा है। रोजाना औसतन 11 हजार शहरवासी नगरीय बस परिवहन सुविधा का लाभ ले रहे हैं। कानपुर सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड (केसीटीएसएल) ने वर्ष 2021 में 100 ई-बसों का संचालन शुरू किया गया था। चार साल में ई-बसों की संख्या सिमटकर 77 रह गई है।

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