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    Kanpur News: कानपुर का ये गांव बुखार की चपेट में, बच्ची की मौत, स्वास्थ्य उपकेंद्र में लगा ताला

    By Sarvesh Pandey Edited By: Anurag Shukla1
    Updated: Wed, 20 Aug 2025 03:12 PM (IST)

    कानपुर के बिधनू क्षेत्र के रुस्तमपुर गांव में बुखार से 5 वर्षीय बच्ची अक्षता की मौत हो गई जबकि करीब 100 लोग अब भी बीमार हैं। गांव का स्वास्थ्य उपकेंद्र महीनों से बंद रहने पर ग्रामीणों में आक्रोश है। बच्ची की मौत के तीसरे दिन स्वास्थ्य विभाग की टीम गांव पहुंची दवाएं वितरित कीं और जांच के लिए सैंपल लिए।

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    बीमार ग्रामीण और स्वास्थ्य परीक्षण करती डाक्टरों की टीम। जागरण

    संवाद सहयोगी, जागरण, बिधनू(कानपुर)। बिधनू भैरमपुर ग्राम पंचायत के मजरे रुस्तमपुर में बीते दो सप्ताह से बुखार ने पैर पसार रखा है। सोमवार शाम एलएलआर अस्पताल में बुखार से पीड़ित एक बच्ची की मौत हो गई। वहीं अभी भी गांव करीब 100 लोग तेज बुखार से पीड़ित है। जिनमे से कुछ लोग नर्सिंगहोमों में उपचार करा रहे हैं।

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    गांव में बना स्वास्थ्य उपकेंद्र बंद रहने से ग्रामीणों में आक्रोश हैं। वहीं बच्ची की मौत के तीसरे दिन बुधवार को स्वास्थ्य विभाग की नींद टूटी और गांव पहुंचकर दवाएं वितरित की। साथ ही पंचायत ने भी सफाई का काम शुरू कराया।

    भैरमपुर ग्राम पंचायत का मजरा रुस्तमपुर में करीब 400 की आबादी है। गांव में बीते दो सप्ताह से बुखार ने पैर पसार रखे हैं। जिससे करीब हर घर में एक मरीज बुखार से पीड़ित है। किसान दीपचंद्र की 5 वर्षीय बेटी अक्षता बीते एक सप्ताह से तेज बुखार आ रहा था। जिसे स्वजन पहले बिधनू सीएचसी ले गए। जहां से उसे एलएलआर अस्पताल रेफरनकर दिया गया।

    सोमवार को बच्ची की मौत हो गई। वहीं छोटी बेटी आशना की हालत नाजुक बनी हुई है। जिसका उपचार कल्याणपुर स्थित एक नर्सिंगहोम में चल रहा है। गांव में आज भी हिरम्बी, आरती, सानिया, मुस्कान, राखी, सनी, रवि, राजावती, रामकली, अनीता, राजू, गुड़िया, अर्चना, शनि समेत 100 लोग बुखार से पीड़ित हैं। ग्रामीणों के मुताबिक गांव में प्राथमिक  स्वास्थ्य सेवाओं के लिए स्वास्थ्य उपकेंद्र बना हुआ है। जिसकी एनएएम प्रतीक्षा सचान प्रभारी है।

    ग्रामीणों के मुताबिक बीते कई माह से उपकेंद्र का ताला ही नहीं खुला। एनएएम तो गांव में दिखाई नहीं देती। स्वास्थ्य विभाग के इस कार्यशैली को देखते हुए बुधवार को उपकेंद्र के बाहर ग्रामीणों ने हंगामा करते हुए रोष व्यक्त किया। वहीं बच्ची की मौत की खबर पाकर तीसरे दिन बुधवार को सीएचसी से डाक्टरों की टीम पहुंची। जहां मरीजों को दवा वितरित करने के साथ मलेरिया, टाइफाइड व डेंगू की जांच के लिए खून का नमूना लिया साथ ही स्लाइड बनाई।

    दूसरी तरफ बीते एक साल से गांव में झाड़ू न लगाने वाले सफाई कर्मी भी बुधवार सुबह से गांव पहुंचकर बजबजा रही नालियों की सफाई में जुट गए। सीएचसी चिकित्साधीक्षक डा. नीरज सचान ने बताया कि बीमारी की सूचना पर गांव टीम भेजकर दवा वितरण व जांच कराई जा रही है। 35 रैपिड टेस्ट कराए गए। जिसमे से एक भी पॉजीटिव रिपोर्ट नहीं आई। वायरल बुखार के प्रतीत हो रहे हैं।