अपहरण और डकैती के आरोपित अधिवक्ता अरिदमन के इलाज के लिए कोर्ट ने जेल अधीक्षक को दिए आदेश
कानपुर में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने एक जूता व्यापारी के अपहरण और डकैती के मामले में जेल में बंद पूर्व मंत्री अरिदमन सिंह के लीवर रोग के इलाज के लिए दायर याचिका पर सुनवाई की। अदालत ने सीएमओ को डॉक्टरों के पैनल से जांच कराने और रिपोर्ट देने का आदेश दिया है कि क्या अरिदमन का इलाज जेल में हो सकता है या अस्पताल में।

जागरण संवाददाता, कानपुर । मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सूरज मिश्रा की कोर्ट ने फुटवियर कारोबारी के अपहरण और डकैती में जेल में बंद बार एसोसिएशन के पूर्व मंत्री अरिदमन सिंह के लिवर की बीमारी के इलाज के प्रार्थनापत्र पर सुनवाई की।
आदेश दिया कि सीएमओ तीन डाक्टरों के पैनल से उसके स्वास्थ्य का परीक्षण कराएं और बताएं कि जेल में ही उसका इलाज हो सकता है या किसी अस्पताल में कराने की जरूरत है। रिपोर्ट आने के बाद जेल अधीक्षक उसके इलाज की समुचित व्यवस्था करें।
डब्ल्यू ब्लाक केशव नगर निवासी और फुटवियर कारोबारी राकेश अरोड़ा ने दीनू उपाध्याय, अरिदमन सिंह, दीपक जादौन, गोपाल सिंह, नारायण भदौरिया, अनूप शुक्ला, विकास ठाकुर उर्फ विक्की के खिलाफ कोतवाली थाने में डकैती, रंगदारी मांगने, अपहरण करने समेत अन्य धाराओं में रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
बहराइच के रुपईडीहा से किया था गिरफ्तार
पुलिस ने उसे बहराइच के रुपईडीहा से गिरफ्तार किया था। कोर्ट ने उसे न्यायिक अभिरक्षा में 26 अगस्त को जेल भेजा था। उसके अधिवक्ता शिवाकांत दीक्षित और राजीव सचान ने बताया कि अरिदमन की तरफ से कोर्ट में शपथ पत्र देते हुए बताया कि उसे डाक्टरों ने लिवर ट्रांसप्लांट की सलाह दी है, लेकिन जेल अधीक्षक उसके इलाज की झूठी जानकारियां दे रहे हैं।
जेल अधीक्षक की ओर से आख्या प्रस्तुत की गई। इसमें बताया गया कि 6 सितंबर को अरिदमन को मेडिकल कालेज के गैस्ट्रो डिपार्टमेंट में भेजा गया था। वहां खून की जांच कराई गई। डॉक्टरों ने सप्ताह भर बाद रिपोर्ट के साथ बुलाया है।
कोर्ट ने कहा कि आरोपी की जांच का कोई प्रपत्र आख्या में संलग्न नही किया गया। यह भी स्पष्ट नहीं हो रहा कि जब पूर्व में आरोपी का इलाज चल रहा था, तो उसके अभिलेखों के आधार पर इलाज की व्यवस्था क्यों नहीं की गई।
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