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    कानपुर विश्वविद्यालय दीक्षांत समारोह एक लाख से अधिक छात्रों को मिली उपाधि, छात्राओं का दबदबा

    Updated: Wed, 17 Sep 2025 12:09 PM (IST)

    कानपुर के छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के 40वें दीक्षांत समारोह में महाविद्यालयों और कैंपस के 102536 छात्र-छात्राओं को उपाधियां दी गईं। समारोह में 97 पदक और 75 पीएचडी डिग्री प्रदान की गई जिसमें छात्राओं ने बाजी मारी। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में हुए इस कार्यक्रम में अच्छा काम करने वाले छह शिक्षकों को सम्मानित किया गया। मानद उपाधि से सम्मानित होने वाली जाहिदा अमीन की अनुपस्थिति रही।

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    दीक्षांत समारोह को संबोधित करतीं राज्यपाल आनंदीबेन पटेल। जागरण

     जागरण संवाददाता, कानपुर। छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय (सीएसजेएमयू) के 40वें दीक्षांत समारोह में महाविद्यालयों और कैंपस के कुल 102536 छात्र-छात्राओं को उपाधियां दी गई। समारोह में 97 पदक, 75 पीएचडी डिग्री अवार्ड की गई।

    पदक, उपाधियां पाने में छात्राएं अव्व्ल रही। अच्छा काम करने वाले छह शिक्षकों को सम्मानित किया गया। मानद उपाधि से सम्मानित होने वाली जाहिदा अमीन की अनुपस्थित में राज्यपाल ने मानद उपाधि देने की घोषणा की।

    छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय (सीएसजेएमयू) के 40वें दीक्षा समारोह में राज्यपाल ने विवि का सर्वोच्च कुलाधिपति स्वर्ण पदक कोमल कमल को दिया। 69 विद्यार्थियों को मिले कुल 97 पदकों में 45 पदक बेटियों के हिस्से में आए हैं। वहीं, 75 छात्रों को पीएचडी उपाधि दी गई, जिसमें 50 बेटियां शामिल हैं। दीक्षा समारोह का शुभारंभ शोभा यात्रा के साथ हुआ। मंच पर राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्य अतिथि डीआरडीओ के चेयरमैन डा. समीर कामत, प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय, राज्यमंत्री रजनी तिवारी व विवि के कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक मौजूद रहे।

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    वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई सभागार में आयोजित दीक्षा समारोह में 1,02,536 छात्र-छात्राओं को डिग्री दी गई। विवि के 90.52 फीसदी अंक लाने वाली स्कूल आफ क्रिएटिव एंड परफार्मिंग आर्ट्स की छात्रा कोमल कमल को सर्वोच्च कुलाधिपति स्वर्ण समेत छह पदकों से सम्मानित किया गया। वीएसएसडी कालेज की आराधना तिवारी और डीडब्ल्यूटी कालेज के जीत शर्मा को चार-चार पदक दिए गए। 23 छात्र-छात्राओं को दो या दो से अधिक पदक मिलें। समारोह में कैम्पस के 13 और महाविद्यालयों के 46 छात्रों को पदक मिला।

    सर्वाधिक 53 पीएचडी कला संकाय के छात्रों को प्रदान की गई।जिसमें हिंदी साहित्य में 17 और अर्थशास्त्र में 8 , विज्ञान संकाय में 11, चिकित्सा में 2, वाणिज्य में 3, विधि में 2, जीवन विज्ञान में 2 और कृषि व प्रबंधन में एक-एक पीएचडी शामिल है।

    महिलाओं के सशक्तीकरण में अहम योगदान करने वाली जम्मू कश्मीर की जाहिदा अमीन को मानद उपाधि से सम्मानित किया गया। हालांकि वह उपाधि लेने के लिए समारोह में उपस्थित नहीं हो पाई। राज्यपाल ने इस अवसर पर विश्वविद्यालय के पांच स्टार्टअप को पुरस्कृत और 6 शिक्षकों काे सम्मानित किया ।

    श्रेया घोषाल की तरह गायिका बनना चाहती हैं कुलाधिपति स्वर्ण पदक विजेता

    कुलाधिपति स्वर्ण समेत छह पदकों को गले में डाले हुए मंच से नीचे आई कोमल कमल ने बताया कि उनका सपना बालीवुड सिंगर श्रेया घोषाल की तरह पार्श्वगायिका बनना है। छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय के स्कूल आफ क्रिएटिव एंड परफार्मिंग आर्ट्स से एमए संगीत- गायन में परास्नातक डिग्री लेने वाली कोमल को 90.52 प्रतिशत अंक मिले हैं। उन्हें परास्नातक में सर्वश्रेष्ठ और विश्वविद्यालय में सर्वश्रेष्ठ समेत कई श्रेणियों के लिए सम्मानित किया गया है। बारासिरोही, कल्याणपुर में रहने वाली कोमल के पिता नरेशचंद्र कमल निजी कंपनी में नौकरी करते हैं जबकि मां तारा कमल घर संभालती हैं। अभी नेट - जेआरएफ की भी तैयारी कर रही हैं जिससे संगीत शिक्षिका के तौर पर करियर शुरू कर सकें। संगीत में प्रभाकर उपाधि लेने के बाद परास्नातक किया है। कई प्रतियोगिताओं में भी पुरस्कृत हो चुकी हैं। कोमल के बड़े भाई रोहित कुमार विश्वविद्यालय में ही कार्यरत हैं। वह अपनी सफलता का श्रेय विश्वविद्यालय की डा. रिचा मिश्रा को देती हैं।

    आइईएस टापर रजत बोले पढ़ने के शौक ने दिलाया मेडल

    पढ़ने के शौक ने रेलवे इंजीनियर रजत कुमार सिंह को एलएलबी पाठ्यक्रम में कुलाधिपति कांस्य पदक दिला दिया। फजलगंज स्थित रेलवे के एमडीडीटीआइ का प्रिसिंपल रहने के दौरान उन्होंने एलएलबी पाठ्यक्रम में प्रवेश लिया और मेडल जीत लिया। उन्होंने बताया कि 2009 में गोरखपुर स्थित मदन मोहन मालवीय इंजीनियरिंग कालेज से बीटेक की डिग्री पूरी की और सिविल सेवा की तैयारी शुरू कर दी। 2011 में इंजीनियरिंग सेवा में टाप किया और नौकरी शुरू कर दी लेकिन पढ़ने का शौक हमेशा बना रहा। 2015 में एनर्जी आडीटर का सर्टिफिकेट कोर्स पूरा किया है। एसबीआइ में मैनेजर रहे पिता अनिल कुमार सिंह से ज्ञानार्जन की प्रेरणा मिली है। अभी धनबाद में सीनियर डीईई के पद पर तैनात हैं और वैवाहिक मामलों की काउंसलिंग भी कर रहे हैं।

    आइएएस बनना चाहती हैं श्रुति ओमर

    सीएसजेएमयू के स्कूल आफ लाइफ साइंस एंड बायोटेक्नोलाजी की छात्रा श्रुति ओमर ने जीव विज्ञान संकाय में 90.28 प्रतिशत अंक के साथ विभाग में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है। कुलाधिपति कांस्य पदक से सम्मानित होने वाली श्रुति आइएएस बनना चाहती हैं। पिता अरुण प्रकाश ओमर व्यवसायी, मां सविता ओमर घर संभालती हैं। उन्होंने कन्नौज में रहकर 12वीं की पढ़ाई पूरी की थी।

    वेदिका ने पिता को समर्पित किया मेडल

    पीएसआइटी से बीबीए करने वाली वेदिका वर्मा ने अपना मेडल पिता धर्मेंद्र वर्मा को समर्पित किया है। इसी साल जुलाई में पिता को खोने वाली वेदिका बताती हैं कि वह चाहते थे कि मैं बिजनेस मैनेजमेंट में शीर्ष स्थान हासिल करूं। आज व्यवसाय प्रबंधन में 84.46 प्रतिशत अंक के साथ विश्वविद्यालय में टाप किया है लेकिन पिता नहीं हैं। इसका मलाल है। अभी दिल्ली में नौकरी कर रही हूं, लेकिन एमबीए पूरा कर पिता के सपनों को साकार करना है। मां रेखा वर्मा गृहिणी हैं।

    आइएएस बनना चाहती है मुस्कान

    पिता के सपनों को पूरा करने के लिए सामाजिक विज्ञान संकाय में 91.60 प्रतिशत अंक लाकर टाप करने वाली मुस्कान अब आइएएस बनना चाहती हैं। विश्वविद्यलाय के स्कूल आफ आर्ट्स एंड सोशल साइंस की छात्रा मुस्कान ने बताया कि नवीं कक्षा में पढ़ने के दौरान आर्मी में नौकरी करने वाले पिता पिंटू सिंह की लद्दाख में रोड एक्सीडेंट के दौरान मृत्यु हुई थी। बैंक में कार्यरत मां मीरा वर्मा ने ही मुस्कान और छोटे भाई को पाला - पाेसा है। हरदोई की मूल निवासी मुस्कान ने कहा कि पिता का सपना बेटी को आइएएस बनाने का था। उसे पूरा करना है।

    मां की तरह प्रोफेसर बनेंगी अंशिका

    विश्वविद्यालय के अभियांत्रिकी एवं प्रौद्यौगिकी संकाय में 9.94 सीपीआइ पाकर शीर्ष स्थान पाने वाली अंशिका शर्मा की मां प्रो. नीतू शर्मा बीएचयू में प्रोफेसर हैं। कंप्यूटर साइंस से बीटेक करने के बाद अंशिका को एचसीएल में नौकरी का मौका मिला लेकिन उसे छोड़ अब एमटेक कर रही हैं। उनके पिता अरुण शर्मा बिजनेसमैन हैं। मां और पिता दोनों चाहते हैं कि बेटी प्रोफेसर बने।

    ला प्रोफेसर बनना चाहती हैं काजल

    विधि संकाय में 81.37 प्रतिशत अंक प्राप्त कर अटल बिहारी वाजपेयी स्कूल आफ लीगल स्टडीज की काजल सिंह को कुलपति स्वर्ण पदक मिला है। काजल के पिता संतोष कुमार सिंह यूपी में सब इंस्पेक्टर हैं। मूलत: गोंडा की रहने वाली काजल अब चाहती हैं कि वह विधि कालेज में प्रोफेसर बनें। मां सुमन सिंह घर संभालती हैं और वह भी काजल को नेट की तैयारी करने के लिए प्रोत्साहित करती हैं।

    बैंक से रिटायर होने के बाद हासिल किया मेडल

    पीरोड निवासी आराधना तिवारी ने एलएलबी में कुलाधिपति कांस्य पदक हासिल किया है। उन्होंने बताया कि बीएससी करने के बाद एलआइसी और बैंक में नौकरी की। वीआरएस लेने के बाद वीएसएसडी कालेज से एलएलबी में प्रवेश लिया। इससे पहले उन्होंने इतिहास, हिंदी और अर्थशास्त्र में भी परास्नातक किया है। वह बताती हैं कि पढ़ना अच्छा लगता है और ज्ञान प्राप्त करने की कोई उम्र नहीं होती है। इसलिए सेवानिवृत्त होने के बाद पढ़ाई पूरी की है।

    बेटी कर रही थी एमबीए तो एमए में लिया प्रवेश, मिला मेडल

    पदक प्राप्त करने के लिए बेटी के साथ समारोह में पहुंची बर्रा निवासी अंजना दीक्षित को एमए दर्शनशास्त्र में तीन प्रायोजित स्वर्ण पदक मिले हैं। शिक्षिका रह चुकी अंजना ने बताया कि बेटी एन्द्रियां ने जब जागरण कालेज में एमबीए की पढ़ाई शुरू की तो घर में बैठे रहना अखरने लगा। तब डीएवी कालेज में दर्शनशास्त्र में प्रवेश लिया। बरेली के स्कूल में प्रधानाचार्य अनिल कुमार त्रिपाठी ने पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया।

    मां के सपनों ने बार - बार बनाया विजेता

    जीत शर्मा को शिक्षा संकाय में परास्नातक स्तर पर सर्वश्रेष्ठ विद्यार्थी के लिए कुलाधिपति कांस्य पदक और शिक्षा संकाय में सर्वश्रेष्ठ विद्यार्थी का कुलपति स्वर्ण पदक समेत दो प्रायोजित स्वर्ण पदक डा. ब्रज किशोरी दुबे स्मारक स्वर्ण पदक और स्वर्गीय दीपशिखा सरदेसाई स्मारक स्वर्ण पदक दिया गया है। जीत शर्मा ने बताया कि उनकी मां ने बचपन से ही शिक्षक बनने के लिए प्रेरित किया। अभी पीएचडी कर रहा हूं । 2023 में बी एड का कुलाधिपति स्वर्ण पदक मिल चुका है अब डिग्री कालेज में प्रोफेसर बनने का लक्ष्य है। मेरी बार - बार सफलता का श्रेय मां को जाता है। जिन्होंने हर कदम पर प्रेरित किया।