Cyclonic Montha: कानपुर में बेमौसम वर्षा से बदला मौसम: मोंथा चक्रवात का असर, मौसम विज्ञानी ने जताई चिंता
कानपुर में मोंथा चक्रवात के प्रभाव से अचानक बेमौसम बारिश हुई, जिससे मौसम में बदलाव आया। मौसम वैज्ञानिकों ने इस अप्रत्याशित वर्षा पर चिंता व्यक्त की है, क्योंकि इसका फसलों और जनजीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इस वर्षा से तापमान में गिरावट आई है, जिससे लोगों को गर्मी से राहत मिली है, लेकिन इससे कई समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं।

जागरण संवाददाता, कानपुर। अरब सागर के चक्रवाती सिस्टम और बंगाल की खाड़ी में सक्रिय मोंथा चक्रवात का असर सोमवार को कानपुर में दिखा। सुबह से छाए बादलों ने दोपहर से बूंदाबांदी की शुरुआत कराई तो शाम से हवा की रफ्तार भी तेज हो गई। शाम नौ बजे तक काकादेव में 3.1 और सिविल लाइंस में 2.9 मिमी वर्षा दर्ज हो गई। पूर्वी उत्तर प्रदेश में सोमवार शाम को वर्षा कराने वाले बादलों के रात तक कानपुर में भी असर दिखाने की संभावना है।
मौसम विज्ञानियों के अनुसार मंगलवार तक कानपुर और आस -पास में 15 से 20 मिमी तक पानी बरस सकता है इससे फसलों पर विपरीत असर पड़ सकता है। जिन खेतों में बोआई हो चुकी है उनमें बीजों के सड़ने का खतरा है।
चारों ओर से आ रहे मौसमी बदलाव से कानपुर और आस -पास के इलाकों में बेमौसम की वर्षा की संभावना बढ़ गई है। मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार सोमवार की सुबह से बादलों के आने का सिलसिला शुरू हो गया था। दोपहर तक पूरे शहर में बदली छा गई । दोपहर 12 बजे के बाद हल्की बूंदाबांदी शुरू हुई । शहर के अलग -अलग हिस्सों में रुक-रुक कर बूंदाबांदी होती रही।
मौसम विशेषज्ञ डा. एसएन सुनील पांडेय ने बताया कि अरब सागर और बंगाल की खाड़ी दोनों में दो चक्रवाती प्रणाली सक्रिय हैं, जिसका सीधा असर कानपुर और आस - पास के मौसम पर दिख रहा है। हवा की औसत रफ़्तार जो पिछले सप्ताह एक किमी प्रति घंटा से भी कम रही वह सोमवार को बढ़कर 1.7 किमी प्रति घंटा हो गई। शाम को हवा की गति बढ़ी है इससे बादलों के तेजी से आने के आसार हैं। जो रात में ही वर्षा करा सकते हैं। बंगाल की खाड़ी में चक्रवाती तूफान ‘मोंथा’ अपना असर दिखा रहा है इससे भी पूर्वी उत्तर प्रदेश में मौसम बदला है।
बेमौसम वर्षा से फसलों को नुकसान की आशंका
अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में होने वाली बेमौसम वर्षा से फसलों को नुकसान की आशंका है। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञानी डा. आरके यादव ने बताया कि अभी खरीफ फसलों की पूरी तरह से कटाई नहीं हो सकी है। धान की फसल खेतों में है। अगर वर्षा होती है तो उनकी तैयार फसल खराब हो जाएगी। कटाई का काम भी रोकना पड़ सकता है। गेहूं की बोआई का काम भी पिछड़ जाएगा। खेतों में नमी बढ़ जाएगी तो बोआई रोकनी पड़ेगी। गेहूं अथवा आलू की जो बोआई एक या दो दिन पहले की गई है। उसके भी खराब होने का खतरा है।
सोमवार को तापमान
दिन का अधिकतम तापमान 27.4 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 19 डिग्री रहा है। न्यूनतम तापमान सामान्य से 2.6 डिग्री अधिक और अधिकतम तापमान सामान्य से 5.7 डिग्री कम रहा है। चकेरी एयरफोर्स स्टेशन पर दिन का अधिकतम तापमान 30 डिग्री और न्यूनतम तापमान 25.4 डिग्री रहा है।

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