इंटर पास दो भाइयों ने बनाई वेबसाइट, लॉटरी टिकट खरीदते ही फंस जाता था मुर्गा, हैरान कर देगी दोनों की करतूत
कानपुर में एसटीएफ लखनऊ ने ऑनलाइन गेमिंग और लॉटरी के नाम पर ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है। पुलिस ने दो सगे भाइयों को गिरफ्तार किया है जो लोगों को दस गुना मुनाफे का लालच देकर ठगते थे। वे भाग्यलक्ष्मी वेबसाइट के जरिए 20 मिनट में लोगों से मोटी रकम हड़प लेते थे। पुलिस ने आरोपियों से मोबाइल लैपटॉप एटीएम कार्ड और फर्जी आधार कार्ड बरामद किए हैं।

जागरण संवाददाता, कानपुर। किदवई नगर में स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) लखनऊ ने आनलाइन गेमिंग और लॉटरी के जरिए जीत का लालच देकर ठगी करने वाले गिरोह का राजफाश किया है। टीम ने दो सगे भाइयों को गिरफ्तार किया, जिनकी पहचान वाराणसी के लहरतारा निवासी रजत केशरी और किशन केशरी के रूप में हुई है।
पुलिस ने इनके पास से पांच मोबाइल फोन, तीन लैपटाप, तीन एटीएम कार्ड, दो पैन कार्ड और एक फर्जी समेत तीन आधार कार्ड भी बरामद किए हैं। एसटीएफ ने आरोपितों के खिलाफ आइटी एक्ट की धाराओं में किदवई नगर थाने में मुकदमा दर्ज कराया है।
यह है पूरा मामला
एसटीएफ लखनऊ के एडीसीपी विशाल विक्रम सिंह के मुताबिक गिरोह प्रदेश में वेबसाइट के जरिए लाेगों को ठगी का शिकार बनाता था। आरोपितों ने पूछताछ में बताया कि इंटर तक पढ़ाई करने बाद वह शहर आ गए थे। यहां कुछ सालों तक नौकरी करने के बाद वर्ष 2022 में दोनों भाई पूणे (महाराष्ट्र) अपने मौसा महेंद्र केशरी के पास चले गए थे।
वहां वेबट्रान टेक्नोलाजी प्रा.लि. के निदेशक रजनीश दुबे के जरिए वेबसाइट बनवाई। इसके बाद नकली दस्तावेजों के जरिए सिम कार्ड खरीदते और फिर वाट्सएप ग्रुप बनाकर लोगों को दस गुना मुनाफे का लालच देकर ठगी करते थे। टिकट बुकिंग के बाद साफ्टवेयर के जरिए कम खरीदे गए नंबर को विजेता घोषित कर रकम हड़प लेते थे।
गिरोह शहर के अलावा वाराणसी, जौनपुर, चंदौली, प्रयागराज समेत अन्य राज्यों में सक्रिय था। गिरोह के अन्य सदस्यों, जिनमें आरोपितों का मौसा महेंद्र केशरी, संदीप कटारिया, शिवम केशरी, सत्यम केशरी, और संदीप पाठक शामिल हैं। सभी की गिरफ्तारी के प्रयास जारी है।
'भाग्यलक्ष्मी' बेवसाइट के जरिए 20 मिनट में हड़प लेते थे रकम
एसटीएफ लखनऊ के एडीसीपी ने बताया कि आरोपित 'भाग्यलक्ष्मी' वेबसाइट से लोगों को ठगी का शिकार बनाते थे। इसके लिए शहर में काउंटर एजेंट्स बना रखे थे, जिनके जरिए शून्य से लेकर नौ नंबर तक के अंकों की बिक्री होती थी। इसके अलावा वाट्सएप पर भी नंबरों की बिक्री की जाती थी।
इसके बाद डेटा को द फन वेबसाइट पर फीड किया जाता था, जिसके जरिए ठगों को उस अंक की जानकारी हो जाती थी, जो सबसे कम बिका होता था। 20 मिनट बाद परिणाम की घोषणा करके माेटी रकम हड़प लेते थे। पूछताछ में करोड़ों रुपये की ठगी किए जाने का खुलासा हुआ है।
लेनदेन को फर्जी दस्तावेजों पर बना रखी थीं कई फर्में
एडीसीपी विशाल विक्रम सिंह ने बताया कि रुपयों के लेनदेन के लिए मौसा महेंद्र केशरी के कहने पर ही आरोपितों ने फर्जी दस्तावेजों के जरिए कुछ फर्में बना रखी थी। उन्हीं फर्माें के नाम पर खोले गए खातों से ही रुपयों का लेनदेन होता था। उन बैंक खातों की भी जानकारी जुटाई जा रही है, ताकि रुपयों की भी रिकवरी की जा सके।
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