लक्ष्मी काटसिन की फैक्ट्री में बनते थे ब्लास्ट प्रूफ वाहन और बुलेट प्रूफ जैकेट, कंपनी ने बनाई अरबों की संपत्ति
टेक्सटाइल क्षेत्र में अग्रणी रही श्री लक्ष्मी काटसिन मिल के डायरेक्टर के कानपुर स्थित घर और दफ्तर में सीबीआइ की टीम ने छापा मारकर पूछताछ की और दस्तावेज भी खंगाले। विदेश निर्यात उत्पाद से आमदनी का ब्योरा भी देखा।

कानपुर, जेएनएन। छह हजार करोड़ रुपये से भी ज्यादा की जालसाजी में फंसी कभी टेक्सटाइल क्षेत्र में अग्रणी रही श्री लक्ष्मी काटसिन मिल के कार्यालय और फैक्ट्रियों में सीबीआइ छापा पड़ने के बाद अबतक न जानने वालों के जेहन में एक सवाल उठ रहा है कि अाखिर यह कंपनी किसका उत्पादन करती रही। दरअसल, टेक्सटाइल क्षेत्र की इस कंपनी के कानपुर, फतेहपुर, रुड़की और नोएडा में दफ्तर और फैक्ट्रियां हैं। कंपनी ने काफी कम समय में अरबों की संपत्ति अर्जित की है।
शनिवार को कंपनी के मालिक एमपी अग्रवाल के यहां सीबीआइ की टीम ने छापा मारा। घर, गेस्ट हाउस, फैक्ट्रियों व कार्यालयों में उनकी संपत्ति के दस्तावेज खंगाले। कानपुर के अलावा फतेहपुर की रहसूपुर, सौंरा व अभयपुर इकाई में भी मशीनों के कागजात देखे। बैंकों से लिए गए ऋण व उसके खर्च की पड़ताल सीबीआइ कर रही है। विदेश में निर्यात किए गए उत्पादों से कंपनी को हुई आमदनी का ब्योरा भी जुटाया है। कृष्णापुरम स्थित कंपनी के मुख्य कार्यालय में सीबीआइ की टीम ने करीब छह घंटे तक पूछताछ की।
बुलेट प्रूफ जैकेट और ब्लास्ट प्रूफ वाहन बनते थे
लक्ष्मी काटसिन मिल की फतेहपुर जिले के सौरा, मलवां, रेवाड़ी, अभयपुर में हाईवे के किनारे करोड़ों की कीमत के प्लांट के साथ दो सौ बीघा से अधिक की भूमि है, जिसकी कीमत अरबों रुपये की है। फैक्ट्री में तौलिया, बेड शीट, बुलेट प्रूफ जैकेट्स, ब्लास्ट प्रूफ वाहन के अलावा प्रतिरक्षा उत्पाद तैयार होते थे। अब फैक्ट्री बंद होने से चार हजार से अधिक कर्मचारी बेरोजगार हो गए है। कर्मचारियों का दो साल का वेतन व लाखों रुपया एरियर का बकाया है। इसी तरह कानपुर समेत अन्य जगहों पर भी संपत्तियां हैं।
23 बैंकों ने स्वीकृत की थी लिमिट
कंपनी को करीब 23 बैंकों के संगठन ने मिलकर धनराशि की लिमिट स्वीकृत की थी। इसमें सेंट्रल बैंक ने 525.71 करोड़, यूनियन बैंक आफ इंडिया ने 309 करोड़, केनरा बैंक ने 275.40 करोड़, बैंक आफ बड़ौदा ने 344.85 करोड़, पंजाब नेशनल बैंक ने 243. 40 करोड़, इंडियन बैंक ने 212.51 करोड़, सारस्वत बैंक ने 111.96 करोड़, ओरिएंटल बैंक आफ कामर्स ने 129.57 करोड़, स्टेट बैंक आफ पटियाला ने 76.79 करोड़, आंध्रा बैंक ने 68.44 करोड़, इलाहाबाद बैंक ने 73.56 करोड़, सिंडिकेट बैंक ने 391.35 करोड़ रुपये स्वीकृत किए थे।
हाल ही में नीलाम हुईं कुछ संपत्तियां
कंपनी की प्रापर्टी में से कुछ हिस्सा हाल ही में नीलाम हुआ है। कर्ज तले दबी कंपनी को बेचने की कवायद पिछले तीन साल से चल रही है। काफी प्रयास के बाद नोएडा व फतेहपुर की यूनिटें नीलाम की जा सकीं। कानपुर, अभयपुर, मलवां, फतेहपुर, रेवाड़ी बुजुर्ग फतेहपुर, हरियाणा व रुड़की यूनिटों की नीलामी होनी बाकी है। इनकी कीमत अरबों रुपये है। फैक्ट्री बंद होने से चार हजार से अधिक कर्मचारी बेरोजगार हो गए हैं। उनका दो साल का वेतन व लाखों रुपया एरियर का बकाया है।
बड़ी कंपनियों ने भी पैर पीछे खींचे
तौलिया बनाने वाली मुंबई की नामी कंपनी वेलस्पन के अलावा ट्राइजेंट कंपनी ने श्री लक्ष्मी काटसिन की प्रापर्टी खरीदने में करीब डेढ़ साल पहले दिलचस्पी दिखाई थी। दोनों कंपनियों को विलय के लिए प्लान जमा करना था, लेकिन जब मिल की विभिन्न इकाइयों की हालत देखी तो उन्होंने पैर पीछे खींच लिए। इन दोनों कंपनियों के आगे आने से पहले श्री लक्ष्मी काटसिन ने बैंकों को 650 करोड़ रुपये का प्रस्ताव दिया था, लेकिन बैंक एक हजार करोड़ से कम पर नहीं माने। अब वही रकम ब्याज व पेनाल्टी मिलाकर आठ गुना बढ़ गई है।
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