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    प्रेमी के लिए बेटे के खून से मां ने रंगे हाथ, बीमा के लालच में दी दर्दनाक मौत

    Updated: Fri, 31 Oct 2025 02:27 PM (IST)

    कानपुर देहात में एक मां को बेटे की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया। उसने बीमा के 40 लाख रुपये पाने के लालच में प्रेमी और उसके भाई के साथ मिलकर बेटे की हत्या कर दी।

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    हत्यारोपित ममता के बारे में जानकारी देतीं एसपी श्रद्धा नरेंद्र पांडेय (दाएं) व मौजूद सीओ प्रिया सिंह। पुलिस

    जागरण संवाददाता, कानपुर देहात। कानपुर देहात में मां ने अपने ही खून से हाथ रंग लिए। प्रेमी के लिए मां ने बेटे को मार डाला। उसे बीमे के 40 लाख के लालच में दर्दनाक मौत दी।

    बीमा के 40 लाख रुपये पाने के लालच में मां ने प्रेमी व उसके भाई के साथ बेटे केा मार डाला। योजनाबद्ध ढंग से साजिश रची। पहले अपने प्रेमी के साथ मिलकर दो साल में बेटे के नाम पर चार बीमा पालिसी कराईं। 26 अक्टूबर को प्रेमी व उसके भाई की मदद से बेटे की हथौड़े से सिर पर वार कर हत्या करा दी। शव कानपुर-दिल्ली हाईवे पर मुंगीसापुर के पास फेंक कर दुर्घटना का रूप देने का प्रयास किया।

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    बीमा की रकम से बसाना चाहती थी प्रेमी के साथ जिंदगी


    गुरुवार को गिरफ्तारी के बाद हत्यारोपित मां ने बताया कि पूरी योजना बनाकर वह रिश्तेदारी चली गई थी, जिससे उसपर शक न जाए। बेटे का शव मिलने पर गांव लौटी। बीमा की रकम मिल जाने पर प्रेमी के साथ कहीं बाहर जाकर बसने व जिंदगी बिताने का सपना देखा था। एसपी श्रद्धा नरेंद्र पांडेय ने बताया कि पुलिस ने काल डिटेल रिकार्ड (सीडीआर) में मिले बीमा पालिसी में दर्ज मिले एक आरोपित के मोबाइल फोन नंबर व परिवारीजन से मिले साक्ष्यों के आधार पर पड़ताल की तो परतें खुलती चली गईं।

    हाईवे किनारे मिला था शव

    एसपी के अनुसार, 27 अक्टूबर की सुबह मुंगीसापुर बल्हारामऊ के पास अंगदपुर बरौर निवासी प्रदीप शर्मा उर्फ सुक्खा का शव हाईवे किनारे मिला था। उसके बाबा जगदीश नारायण की तहरीर पर अंगदपुर के मयंक व उसके भाई ऋषि कटियार पर हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया था। ऋषि को मुठभेड़ व मयंक को गांव के बाहर से बुधवार को पकड़ा गया था।

    इस तरह बनाई पूरी योजना


    मां ममता ने बताया कि करीब चार वर्ष पहले पति की मौत हो गई थी। इसके बाद पड़ोसी मयंक उर्फ ईशू से प्रेम संबंध हो गए। फिर योजना बनाकर वर्ष 2023 में प्रदीप के नाम पहली बीमा पालिसी चार लाख रुपये की कराई। इसके बाद दो वर्ष के भीतर छह लाख, आठ लाख व 15 लाख कुल 33 लाख की बीमा पालिसी कराई। नामिनी होने के कारण प्रदीप की मृत्यु पर बीमा क्लेम की धनराशि 40 लाख रुपये ममता को मिलती। योजना के अनुसार, दीपावली पर जब प्रदीप घर आया तो ममता दो दिन बाद ही अपनी रिश्तेदारी में चली गई थी। कुछ लोगों ने मयंक व ऋषि द्वारा अपनी गाड़ी से प्रदीप को ले जाते देख लिया था, जिससे बाबा जगदीश ने नामजद मुकदमा लिखा दिया था।