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    62 लाख आनलाइन ठगी के शिकार मर्चेंट नेवी कर्मी ने सब कुछ लुटा दिया, खुद की गाढ़ी कमाई गंवाई, पत्नी की जमा पूंजी भी खाली की

    By Jagran News Edited By: Brijesh Srivastava
    Updated: Mon, 17 Nov 2025 05:59 PM (IST)

    कौशांबी में मर्चेंट नेवी कर्मी रामदत्त त्रिपाठी शेयर मार्केट में निवेश के नाम पर 62 लाख रुपये की ऑनलाइन ठगी के शिकार हो गए। उन्होंने एक फर्जी कंपनी के झांसे में आकर अपनी और पत्नी की जमा पूंजी गंवा दी। पुलिस ने मामला दर्ज कर 20 लाख रुपये फ्रीज कराए हैं। साइबर एक्सपर्ट अनजान लिंक से बचने की सलाह देते हैं।

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    साइबर अपराधियों के चंगुल में फंसे शेयर बाजार में निवेश के नाम पर कौशांबी निवासी मर्चेंट नेवी कर्मी ने 62 लाख रुपये गवाए।  

    जागरण संवाददाता, कौशांबी। लालच बुरी बला है। यह जुमला सभी लोग बचपन से सुनते आते हैं, लेकिन बहुत ही कम लोग इस पर अमल कर पाते हैं। यही लालच कभी-कभी जिंदगी भर का दर्द बन जाती है। कुछ ऐसी लालच में फंसे मर्चेंट नेवी कर्मी रामदत्त त्रिपाठी के साथ भी यही कहानी का दोहराव हुआ।

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    पत्नी का फिक्स डिपाजिट भी तुड़वा दिया  

    रामदत्त ने शेयर मार्केट में निवेश के लिए बिना जांच पड़ताल के एक फ्राड कंपनी पर भरोसा करके न खुद का बैंक खाली कर दिया था, बल्कि पत्नी के नाम पर भविष्य संवारने के लिए फिक्स डिपाटिज तक तुड़वा लिया। करीब 62 लाख रुपये की आनलाइन ठगी के शिकार रामदत्त की शिकायत पर पुलिस ने केस दर्ज कर 20 लाख रुपये जालसाजों के खाते में फ्रीज कराने में कामयाबी हासिल की।

    साइबर क्राइम थाने में मुकदमा दर्ज कराया था

    कड़ा धाम निवासी रामदत्त त्रिपाठी उन्नतशील किसान के साथ ही मर्चेंट नेवी में नौकरी करते हैं। उन्होंने तीन अक्टूबर को साइबर क्राइम थाने में मुकदमा दर्ज कराया था, कि शेयर मार्केट में आइपीओ निवेश (इनिशियल पब्लिक आफरिंग) के नाम पर साइबर ठगों ने एक से 23 सितंबर के बीच 61 लाख 19 हजार 211 रुपये की आनलाइन धनराशि ट्रांसफर कराई गई थी। यह पैसा उन्होंने अपने व पत्नी के नाम बचत खाते में जमा रुपयों से ट्रांसफर किया था। लालच के कारण उन्होंने फिक्स डिपाजिट में किए गए निवेश की पालसी तोड़वा दी थी।

    साइबर ठगों ने कई किश्तों में कराया निवेश 

    रामदत्त के मुताबिक शेयर मार्केट की आइपीओ निवेश की जो कंपनी प्रदर्शित की जा रही थी, वह गूगल पर सर्च करने पर भी मिली। साइबर ठगों ने निवेश कई किश्तों में कराया। विश्वास जमाने के लिए उनके द्वारा जमा की गई रकम से ज्यादा रामदत्त के खाते में प्रदर्शित की गई। पुलिस ने रामदत्त के मामले में केस दर्ज कर छानबीन किया तो एक बडे रैकेट का राजफाश हुआ।

    पकड़े गए ठग मध्य प्रदेश में भोपाल के हैं

    पकड़े गए साइबर ठग रणदीप मडावी, धीरज मालवीय, शुभम पटेल सभी निवासी भोपाल मध्य प्रदेश की कुबूलदारी पर चेन्नई में एक से 52 लाख, तमिलनाडु में एक अन्य से 20 लाख, बेंगलुरु से एक व्यक्ति से 12 लाख और कर्नाटक में ही एक अन्य पीड़ित से भी 12 लाख, महाराष्ट्र के पिंपरी में 14 व मुंबई में 18 लाख, रोहतक में एक लाख, दिल्ली में 55 लाख, अमृतसर में 30 लाख, कौशांबी में 62 लाख रुपये ठगे थे। कुल दो करोड़ 76 लाख रुपये की ठगी का राजफाश हुआ। जिसमें से सिर्फ 20 लाख रुपये साइबर थाने की पुलिस फ्रीज कराने में कामयाब हो सकी। 

    आयकर की टीम भी करती है मामले की जांच

    साइबर थाना प्रभारी विनोद सिंह का कहना है कि उन्होंने नकद में रुपया बरामद नहीं किया है। जालसाजों के खाते में 20 लाख रुपये फ्रीज कराए गए। घटना में शामिल रहे फ्राड कंपनी के अन्य सदस्यों की गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं। उनकी गिरफ्तारी के बाद बड़े पैमाने पर हुए जालसाजी का राज खुलेगा। रामदत्त त्रिपाठी का प्रकरण मीडिया में प्रकाशित हुआ है। ऐसे मामलों में आयकर विभाग की टीम अपने स्तर पर जांच कर सकती है। 

    इन बातों का रखें ख्याल

    साइबर मामलों के एक्सपर्ट इंस्पेक्टर विनोद सिंह का कहना है कि अनजान लिंक बिल्कुल भी टच नहीं करें। अगर लिंक टच करने पर कोई पर्सनल डेटा या मोूबाइल नंबर डालने को कहा तो यह साइबर फ्राड हो सकता है। अगर लिंक भेजने वाले को मोबाइल नंबर मालूम नहीं था तो वह उसे भेजता कैसे। फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप आदि पर लिंक आ सकते हैं। अनजान लिंक को डिलीट करना ही बेहतर है। लिंक में अगर कोई मोबाइल नंबर है तो उस पर अपनी तरफ से काल करें। काल अगर नहीं उठती है तो वह फ्राड है।

    साइबर कंट्रोल रूम नंबर 1930 पर फोन करके सूचना दें

    फोन करके तस्दीक होने पर ही बाद अगला कदम उठाते। ऐेसे किसी लिंक को टच नहीं करें, जिसके लिए आपने अनुमति ही नहीं दी हो। इसके बाद भी अगर साइबर ठगी का एहसास हो तो तत्काल साइबर कंट्रोल रूम के नंबर 1930 पर फोन करके सूचना दें। थानों पर भी साइबर हेल्प डेस्क स्थापित की गई है। वहीं पर सूचना दी जा सकती है। गंभीर मामले का शिकार हो गए हों तो तत्काल साइबर थाने आकर सूचना दी जाए। जागरूकता ही साइबर ठगी के मामलों में कमी ला सकती है।

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