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    घंटों सिर झुकाकर मोबाइल देखने से कंधा हो रहा जाम, सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस का खतरा; डॉक्टरों ने दी चेतावनी

    By Jagran NewsEdited By: Sakshi Gupta
    Updated: Tue, 27 May 2025 04:58 PM (IST)

    मोबाइल के अत्यधिक उपयोग से युवाओं में सर्वाइकल स्पोंडिलाइटिस की समस्या बढ़ रही है। मेडिकल कॉलेज में कंधे जाम की शिकायत लेकर मरीज आ रहे हैं। चिकित्सक घंटों मोबाइल देखने को इसका मुख्य कारण बता रहे हैं जिससे स्पाइनल कॉर्ड की डिस्क में खराबी आ रही है। फिजियोथेरेपी से मरीजों को राहत मिल रही है। बचाव के लिए सही आसन और योगाभ्यास करने की सलाह दी जा रही है।

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    सिर झुकाकर घंटों मोबाइल देखने से कंधा हो रहा जाम।

    जागरण संवाददाता, कौशांबी। सिर झुकाकर घंटों मोबाइल स्क्रीन देखने से लोगों को सर्वाइकल स्पोंडिलाइटिस की दिक्कत हो रही है। इससे कंधा जाम हो जा रहा है। जिसको लेकर मरीज मेडिकल कालेज के हड्डी विभाग में आ रहे है।

    आज कल मोबाइल लोंगो का हिस्सा बन गया है। दिन हो या रात लोग ज्यादातर समय मोबाइल पर ही बिता रहे है। इससे लोंगों का गंधा दर्द करने लगता है। चिकितसकों का कहना है की घंटों सिर झुकाए रहने से स्पाइनल कॉर्ड की डिस्क में खराबी आने लगती है, जिससे कंधा जाम हो जाता है। जिससे रोगियों को हाथ घुमाने, उठाने में तकलीफ हो जाती है।

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    मेडिकल कालज के हड्डी और फिजियोतिरेपी विभाग में कंधा जाम की दिक्कत वाले हर दिन लगभग 40 से 50 मरीज इलाज के लिया आ रहे है। इनमें 18 से 65 वर्ष तक लोग शामिल रहे हैं। रोगियों को सर्वाइकल स्पोंडलाइटिस का मुख्य कारण घंटों सिर झुकाकर मोबाइल स्क्रीन देखने के कारण होता है। इलाज के साथ साथ फिजियोथिरेपी से मरीज ठीक भी हो रहे है।

    फिजियोथिरेपी विभाग के प्रभारी डॉ. दीपक द्रिवेदी ने बताया कि ज्यादा देर तक सर झुका कर बैठने या मोबाइल स्क्रीन देखने से कंधे दर्द होने लगते है। धीरे धीरे यह लोंगो में लोंगो के कंधो की गंभीर समस्या बन जाती है और कंधा जाम होने लगता है। बताया की समस्या होने पर मरीज एमआरआई व स्पाइनल कॉर्ड जाँच कराई जाती है।

    जाँच के बाद यह पता चलता है तंत्रिकाओं के दबने के कारण कंधे की चाल प्रभावित हो जाती है और कंधे में जकड़न पैदा हो जाती है और हाथ इधर-उधर ऊंचाई से घुमाने में भी दिक्कत होने लगी। उन्होंने बताया कि गर्दन पर दबाव बढ़ने की वजह से डिस्क खिसकने लगती है। इससे तंत्रिकाएं प्रभावित होती हैं। इसके साथ ही झनझनाहट रहती थी। इसे सर्वाइकल रेडिकुलर सिंड्रोम भी कहते हैं।

    10-11 वर्ष के बच्चों को भी हो रही दिक्कत

    डॉ. चंद्रशेखर ने बताया कि इस अध्ययन में 18 वर्ष से अधिक आयु के रोगियों को शामिल किया गया था। पेन मेडिसिन की क्लीनिक में इस तरह की परेशानी वाले 10-11 वर्ष की उम्र के बच्चे भी आ रहे हैं। घंटों सिर झुकाकर मोबाइल फोन की स्क्रीन देखते रहने के कारण उनके कंधे भी जाम हो रहे हैं।

    कैसे करें बचाव

    • कंप्यूटर या लैपटॉप पर काम करते वक्त कोशिश यही होनी चाहिए कि आपकी पीठ और गर्दन हमेशा सीधी रहे।
    • अपने लिए ऐसी मेज और कुर्सी का चुनाव करें जिस पर काम करते समसय आपको आगे की ओर झुकना न पड़े।
    • ज्यादा देर तह झुक कर मोबाइल का इस्तेमाल न करें।
    • इस बात का विशेष ध्यान रखें कि आपका बिस्तर न हो बहुत ज्यादा सख्त हो और न ही बहुत ज्यादा मुलायम
    • बेहतर होगा कि सोते समय तकिए का इस्तेमाल न किया जाए। अगर इसके बिना आपको सोने में बहुत तकलीफ होती है तो इस बात का ध्यान रखें कि तकिया ज्यादा ऊंची न हो।
    • नियमित योगाभ्यास ही इस समस्या का सही समाधान है।
    • मकरासन, भुजंगासन, अर्ध नौकासन और सूर्य नमस्कार करने से इस समस्या से काफी राहत मिलती है।
    • किसी विशेषज्ञ से सीखने के बाद इन आसनों को अपनी दिनचर्या में शामिल करें।
    • इन सभी प्रयासों से काफी हद तक सर्वाइकल स्पॉण्डिलाइटिस की समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है।

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