'मुझे उस भारत पर विश्वास, जिसे कोई नहीं रोक सकता', गौतम अदाणी ने लखनऊ IIM में बताई अपनी सफलता की कहानी
अदाणी समूह के अध्यक्ष गौतम अदाणी ने भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) में विद्यार्थियों से कहा जब मैं आपको देखता हूं तो मुझे विकसित भारत संभावना दिखाई देती है। मुझे एक सर्वश्रेष्ठ भारत का सपना नजर आता है। मुझे उस भारत पर विश्वास है जिसे कोई नहीं रोक सकता। ये संभावना ये सपना और ये विश्वास आज की मुद्रा नहीं ये भविष्य का भरोसा है।

जागरण संवाददाता, लखनऊ। अदाणी समूह के अध्यक्ष गौतम अदाणी ने भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) में विद्यार्थियों से कहा, ''जब मैं आपको देखता हूं तो मुझे विकसित भारत संभावना दिखाई देती है। मुझे एक सर्वश्रेष्ठ भारत का सपना नजर आता है। मुझे उस भारत पर विश्वास है, जिसे कोई नहीं रोक सकता। ये संभावना, ये सपना और ये विश्वास आज की मुद्रा नहीं, ये भविष्य का भरोसा है।'' उन्होंने संस्थान में अपनी सफलता की कहानी साझा करने के साथ भावी उद्यमियों को देश के विकास में भूमिका निभाने के लिए प्रेरित भी किया।
गौतम अदाणी ने कहा कि कहा, ''जब मैंने पहली बार बंदरगाह बनाने की अपनी मंशा की घोषणा की थी, तो ज्यादातर लोगों ने सोचा कि मैं पागल हो गया हूं। जब मैंने यह विचार प्रस्तुत किया तो कुछ बैंकरों ने हंसते हुए कहा कि आप हमसे कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि हम उस भूमि का वित्तपोषण करेंगे जो पानी के नीचे है, लेकिन मुद्रा की कोई पहुंच नहीं थी, कोई उद्योग नहीं था, कोई मिसाल नहीं थी। नक्शे आपको केवल वहीं ले जाएंगे जहां कोई पहले से गया है, लेकिन कुछ नया बनाने के लिए, आपको एक कंपास की आवश्यकता होती है, जो संभावनाओं की ओर इशारा करता है।''
उन्होंने कहा, ''मेरी जिंदगी की यात्रा ने मुझे सिखाया है कि भविष्य कभी भी उतना स्पष्ट और व्यवस्थित नहीं होता है, जितना वह क्लासरूम में दिखता है। असल जिंदगी में भविष्य उलझा हुआ होता है। अनिश्चित होता है और कई बार बेहद कठोर भी। आपको इसी सच्चाई के लिए तैयार रहना चाहिए। मैंने अब तक यही सीखा है और अब भी सीख रहा हूं कि असली दुनिया ऐसे लम्हों से बनी होती है, जिनका कोई उदाहरण पहले नहीं होता।''
उन्होंने कहा, ''आज मैं आपके सामने कोई नक्शा थमाने नहीं, बल्कि आपको यह कहने आया हूं कि अब वक्त है नक्शा दोबारा खींचने का और नेतृत्व की परिभाषा को चुनौती देने का। मैं आपसे एक ऐसी सोच अपनाने का आग्रह करता हूं। जो आपको यह हिम्मत दे सके कि आप सावधानी के बजाए दृढ़ विश्वास चुनें।
राजीव प नरसिम्हा राव के नेतृत्व में आया उदारीकरण
गौतम अदाणी ने कहा, ''जब तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी और नरसिम्हा राव के नेतृत्व में भारत में उदारीकरण शुरू हुआ तो मैंने देखा कि एक नई पीढ़ी के लिए एक बड़ा अवसर सामने है। उस बाजार में, जो अब तक मुख्यतः आपूर्ति की कमी से जूझता रहा था, मैंने एक बड़ा दांव खेला और व्यापार जगत में कदम रखा। लक्ष्य था भारत का सबसे बड़ा ट्रेडिंग हाउस बनाना। सिर्फ तीन वर्षों में हमने यह लक्ष्य हासिल कर लिया।''
रणनीतिक रूप से भी अहम है इंडो-ऑस्ट्रेलियन कॉरिडोर
गौतम ने कहा, ''एक समय अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने हमें खलनायक बना दिया। हमें अदालतों में घसीटा गया। संसदों में बहस हुई और अखबारों की सुर्खियों में आलोचना का निशाना बनाया गया। हमारी अनुमति प्रक्रिया में देरी हुई। रेलवे परियोजना पर सवाल उठे और उस भूमि पर हमारे अस्तित्व के अधिकार को भी चुनौती दी गई। जहां भी देखा, एक ही संदेश था- पीछे हटो, लेकिन हम नहीं हटे। आज हमारा कारमाइकल प्रोजेक्ट क्लीनर कोल से ऑस्ट्रेलिया की इंडस्ट्रीज को ऊर्जा दे रहा है और एक ऐसा इंडो-ऑस्ट्रेलियन कॉरिडोर बना चुका है, जो व्यापारिक ही नहीं, रणनीतिक रूप से भी अहम है।''
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