दिल्ली विस्फोट मामले में सहारनपुर का लिंक क्यों तलाश रही एटीएस? लखनऊ स्थित ठिकाने से बरामद कार का कनेक्शन आया सामने
दिल्ली विस्फोट मामले में एटीएस सहारनपुर आरटीओ कार्यालय में वाहनों के रिकॉर्ड खंगाल रही है। डॉ. परवेज के ठिकाने से मिली आल्टो कार का लिंक तलाशा जा रहा है। एनआईए ने भी डॉ. शाहीन और परवेज के करीबियों से पूछताछ शुरू कर दी है। जांच में पता चला है कि आतंकियों ने नेपाल से फोन खरीदे थे और डॉ. शाहीन को मीट कारोबारियों से फंडिंग मिली थी।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) की टीम ने दिल्ली विस्फोट मामले में सहारनपुर के वाहनों का लिंक खंगालना शुरू कर दिया है। पिछले दिनों डा. शाहीन के भाई डा. परवेज के लखनऊ स्थित ठिकाने से बरामद की गई आल्टो कार (यूपी 11 बीडी 3563) भी सहारनपुर के आरटीओ कार्यालय में पंजीकृत है।
डा. परवेज ने यह कार अपने करीबी सनी नामक युवक के जरिए सहारनपुर निवासी मोहम्मद शोएब से खरीदी थी। एटीएस ने शोएब से भी पूछताछ की है। उसने बताया कि यह कार वर्ष 2017 में उसे शादी में मिली थी, लेकिन कर्ज न चुका पाने के कारण उसने इसे 2.2 लाख रुपये में आनलाइन बेच दिया था। एटीएस सनी की भी तलाश कर रही है।
आतंक के डाक्टर माड्यूल और आतंकी हमले की साजिश में इस्तेमाल किए गए 32 वाहन वाहन फरीदाबाद, हरियाणा, दिल्ली और सहारनपुर से संबंधित हैं। इनमें डा. परवेज के ठिकाने से बरामद आल्टो कार सहित चार वाहन एटीएस की टीम ने बरामद किए हैं।
आतंकियों को वाहन उपलब्ध कराने वालों की तलाश में एटीएस की टीम पिछले तीन दिनों से सहारनपुर के एआरटीओ कार्यालय में वाहनों के रिकार्ड खंगाल रही है और वाहनों के स्वामित्व की जानकारी जुटा रही है। एटीएस के सूत्रों के अनुसार छह नवंबर को सहारनपुर से गिरफ्तार किए गए डा. अदील के करीबी दो लोगों ने वाहन उपलब्ध कराए थे। इन वाहनों का इस्तेमाल आतंकियों ने विस्फोटक सामग्री ले जाने के लिए किया था।
एनआइए ने की 50 से अधिक लोगों से पूछताछ
एनआइए ने दिल्ली विस्फोट मामले की आरोपित डा. शाहीन व डा. परवेज के करीबी लोगों से पूछताछ शुरू कर दी है। एटीएस ने अभी तक की गई जांच और पूछताछ की जानकारी एनआइए के साथ साझा की है। इसके आधार पर एनआइए की टीम ने सोमवार को 54 लोगों से पूछताछ की है। एनआइए की टीम डा. शाहीन व डा. परवेज को पासपोर्ट बनवाने के लिए दस्तावेज उपलब्ध कराने वालों की तलाश कर रही है। एनआइए की टीम ने सोमवार को डा. परवेज के ठिकाने की भी जांच की है।
कश्मीर की कंपनी के हवाले थी फैक्ट्रियों की सुरक्षा की कमान
डा. शाहीन को कई मीट कारोबारियों ने आतंक के लिए फंडिंग की थी। देवबंद की एक संस्था ने इन कारोबारियों की मीट फैक्ट्रियों की सुरक्षा के लिए कश्मीर की एक कंपनी को काम दिलाया था। सूत्रों के अनुसार इन्हीं मीट फैक्ट्रियों से डा. शाहीन को फंडिंग की गई थी। इस राशि का इस्तेमाल शाहीन ने कहां पर किया था इसकी जांच एटीएस द्वारा की जा रही है। एटीएस की टीमें मीट कारोबारियों से भी पूछताछ कर रही हैं।
नेपाल से खरीदे थे इस्तेमाल किए गए फोन
आतंकियों द्वारा इस्तेमाल किए गए कई फोन नेपाल से खरीदे गए थे। जांच एजेंसियां इसकी पड़ताल कर रही हैं कि नेपाल में पहले इन फोन का इस्तेमाल कौन लोग कर रहे थे और इन्हें नेपाल से भारत कैसे लाया गया। बरामद किए गए ज्यादातर फोन बटन वाले हैं।

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