'भाजपा को हराना है तो सपा-कांग्रेस छोड़ बसपा से जुड़ें मुसलमान', मायावती ने भाईचारा कमेटियों संग बैठक में की अपील
बसपा 2027 के विधान सभा चुनावों के लिए मुस्लिमों के बीच पकड़ बनाने की कोशिश करेगी। मायावती ने कहा कि भाजपा को हराने के लिए मुस्लिम समाज को सपा-कांग्रेस छोड़ बसपा का समर्थन करना चाहिए। उन्होंने भाईचारा कमेटियों को पार्टी की नीतियों का प्रचार करने के निर्देश दिए। बसपा ने 18 मंडलों में मुस्लिम भाईचारा संगठन का गठन किया है। मायावती ने कहा कि बसपा ने हमेशा मुस्लिम समाज के हितों की रक्षा की है।

भाजपा को हराना है तो सपा-कांग्रेस छोड़ बसपा से जुड़ें मुसलमान: मायावती
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। आगामी विधान सभा चुनाव के लिए बसपा अपनी ताकत बढ़ाने को मुस्लिमों के बीच पकड़ बनाने की कोशिश तेज करेगी। समाज में यह संदेश दिया जाएगा कि भाजपा को केवल बसपा ही हरा सकती है। मंगलवार को पार्टी के मुस्लिम समाज भाईचारा संगठन की बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने कहा कि मुस्लिम समाज को एकजुटता के साथ, सपा व कांग्रेस आदि पार्टियों के बजाय सीधे बसपा को ही समर्थन जरूरी है, जिससे भाजपा की घातक राजनीति को चुनाव में हराया जा सके।
पुराने चुनावों का अनुभव है कि मुस्लिम समाज के एकतरफा समर्थन व वोट देने के बावजूद सपा, भाजपा को हराने में नाकाम रही थी। उन्होंने भाईचारा कमेटियों के कोआर्डिनेटर को समाज के बीच जाकर यह संदेश पहुंचाने और पार्टी की नीतियों का प्रचार करने के निर्देश दिए।
मंगलवार को राज्य मुख्यालय में हु़ई बैठक में बसपा सुप्रीमो ने कहा कि सभी 18 मंडलों में दो-सदस्यीय मुस्लिम भाईचारा संगठन का गठन किया गया है। अब हर विधान सभा क्षेत्र में दो संयोजक बनाए जाएं। वे मुस्लिम समाज के बीच छोटी-छोटी बैठकें कर उन्हें बसपा के मिशन और पार्टी की सरकार में किए गए 100 प्रमुख कार्यों-निर्णयों के बारे में बताएं।
मायावती ने कहा कि प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र से मुस्लिम समाज के कम से कम 100 लोगों को पार्टी का सदस्य बनाया जाए। उन्होंने कहा कि पार्टी के नेता बसपा का नीला पटका और टोपी पहनें। ऐसे में बैठक में शामिल मायावती के भतीजे और पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक आकाश आनंद, राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्र सहित सभी पदाधिकारियों ने नीला पटका और टोपी पहन रखी थी।
बसपा सुप्रीमो ने कहा कि पार्टी ने हमेशा मुस्लिमों के हितों के साथ उनकी भागीदारी और सुरक्षा सुनिश्चित की है जबकि दूसरे दल मुस्लिम समाज को केवल वोट के लिए इस्तेमाल करते हैं और सरकार बनने पर भुला देते हैं। वर्ष 2022 के विधान सभा और उससे पहले के चुनावों से साफ है कि यूपी में मुस्लिमों के पूरे समर्थन के बाद भी सपा-कांग्रेस आदि भाजपा को नहीं हरा पा रहे हैं। दूसरी तरफ मुस्लिम समाज का कम समर्थन मिलने पर भी बसपा ने भाजपा को हराकर दिखाया है। हकीकत में सपा-कांग्रेस आदि के गलत कार्यकलापों से ही भाजपा यूपी में मजबूत हुई है।
उन्होंने शमसुद्दीन राईन पर कार्रवाई का उल्लेख करते हुए कहा कि सपा-कांग्रेस जैसी विरोधी पार्टियों के घिनौने हथकंडों के साथ पार्टी में कुछ स्वार्थी व अवसरवादी लोगों की चुनौती का सामना करना पड़ता है और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई भी करनी पड़ती है। इसका ताजा उदाहरण ‘शमसुद्दीन राईन‘ हैं। वह पार्टी को नुकसान पहुंचाते हुए दूसरे नसीमुद्दीन सिद्दीकी बनना चाह रहे थे। मुस्लिम समाज के बाद मायावती ने पहली नवंबर को ओबीसी समाज को लेकर बैठक बुलाई है।
एसआईआर को लेकर सतर्कता, सौंपी जिम्मेदारी
भारत निर्वाचन आयोग द्वारा कराए जा रहे मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को बसपा सतर्कता बरतेगी। पार्टी सुप्रीमों ने बड़े नेताओं से लेकर कार्यकर्ताओं को एसआईआर पर निगाह रखने के निर्देश दिए। मायावती ने हर बूथ पर बीएलए के माध्यम से पूरी प्रक्रिया में सक्रियता बरतने की हिदायत दी।

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