अगले 18 महीने पर्यटकों के लिए बंद रहेगी चौरासी कुटिया, पर्यटकों के लिए निराशाजनक खबर
उत्तराखंड के ऋषिकेश में स्थित चौरासी कुटिया, जिसे बीटल्स आश्रम भी कहा जाता है, मरम्मत कार्य के चलते अगले 18 महीनों के लिए पर्यटकों के लिए बंद रहेगा। वन विभाग के अनुसार, संरचनाएं जर्जर हो गई हैं और उन्हें तत्काल मरम्मत की आवश्यकता है। इस कदम से पर्यटकों को निराशा होगी, लेकिन भविष्य में अनुभव बेहतर होगा।

जागरण संवाददाता, ऋषिकेश। योग एवं ध्यान की स्थली चौरासी कुटिया अगले 18 महीने पर्यटकों के लिए बंद रहेगी। इस अवधि में चौरासी कुटिया मे जीर्णोद्धार कार्य होने होने हैं, जिनके जनवरी 2026 से शुरू होने की उम्मीद है।
वन विभाग इस ऐतिहासिक स्थल को यूनेस्को की धरोहर में स्थान दिलाना चाहता है, इसलिए यहां लगभग 101 करोड़ की लागत से जीर्णोद्धार समेत अन्य विशेष कार्य कराये जा रहे हैं।
पौड़ी जिले के लक्ष्मणझूला क्षेत्र में राजाजी नेशनल पार्क के अंतर्गत 15 एकड़ क्षेत्र में फैली चौरासी कुटिया को बीटल्स आश्रम के नाम से भी जाना जाता है। इस धरोहर को मूल स्वरूप में विकसित करने के लिए वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की ओर से 100.88 करोड़ की धनराशि स्वीकृत की गई है।
इसके लिए कार्यदायी संस्था की जिम्मेदारी लोनिवि को सौंपी गई है, जबकि कार्ययोजना गुजरात की कंपनी कंसल्टेंसी एंड रिसर्च ने तैयार की। कार्यदायी संस्था को सभी कार्य 18 महीने के भीतर पूरे करने का लक्ष्य दिया गया है। इसमें मूलस्वरूप में किसी तरह का बदलाव नहीं किया जाएगा।
1970 के दशक में हुई थी स्थापना
महर्षि महेश योगी ने 1970 के दशक में ऋषिकेश के स्वर्गाश्रम क्षेत्र में वन विभाग से भूमि लीज पर लेकर शंकराचार्य नगर की स्थापना की थी। योग साधना और ध्यान के लिए यहां उन्होंने अद्भुत वास्तु शिल्प वाली 84 कुटियों का निर्माण किया। गुफा के आकार में बनी इन कुटियों के बीच में ध्यान केंद्र बना हुआ है।
साधकों के ठहरने के लिए केंद्र में 135 गुंबदनुमा कुटिया भी हैं। जबकि, अतिथियों के लिए तीन मंजिला अतिथि गृह, एक बड़ा सभागार, महर्षि ध्यान विद्यापीठ और महर्षि का आवास है। 84 कुटिया समेत अन्य आवासों को गंगा नदी के छोटे पत्थरों से सजाया गया है। गुफाओं की दीवारों पर इन्ही पत्थरों से 84 योग आसनों की मुद्राएं अंकित की गई हैं।
बीटल्स ने दी नई पहचान
इस स्थान को देश-दुनिया में प्रसिद्धि महर्षि महेश योगी और भावातीत ध्यान के कारण ही नहीं, इंग्लैंड के मशहूर म्यूजिकल बैंड ‘द बीटल्स’ की वजह से भी मिली। इंग्लैंड के लिवरपूल के चार युवकों जान लेनन, पाल मैक-कार्टने, रिंगो स्टार और जार्ज हैरिसन ने वर्ष 1960 में इस बैंड की स्थापना की थी।
16 फरवरी 1968 को ये युवक अपनी पत्नी और महिला मित्र के साथ पहली बार ऋषिकेश महर्षि महेश योगी के ध्यान केंद्र में आये। नशे के आदी ये चारों युवक शांति तलाशने यहां आए थे। महर्षि के संपर्क में आने के बाद योग-अध्यात्म के अनुभव ने उनकी जिंदगी और जीने का नजरिया ही बदल डाला।
करीब 45 दिन महर्षि के आश्रम में रहे बीटल्स से जुड़े ये चारों युवा 'फैब फोर' के नाम से मशहूर हुए। जिस नशे के जरिये फैब फोर शांति की खोज कर रहे थे, वही अब नशे की दुनिया छोड़ योग और अध्यात्म की दुनिया में इस कदर लीन हो गए कि यहां के शांत वातावरण में उन्होंने 'ॐ शांति' का जाप करते हुए 48 गीतों की रचना कर डाली।
इन गीतों ने द व्हाइट एलबम और एबी रोड नामक पाश्चात्य एलबम में जगह पाकर विश्वभर में धूम मचाई। इसके बाद चौरासी कुटिया को बीटल्स आश्रम के नाम से भी जाना जाने लगा। वन क्षेत्राधिकारी गौहरी रेंज राजेश जोशी ने कहा कि इस स्थल में अध्यात्म एवं प्रकृति का अदुभत संगम देखने को मिलता है। इसे विश्व मानचित्र में विशेष स्थान दिलाने का प्रयास किया जा रहा है।
महर्षि महेश योगी की योग एवं ध्यान स्थली की प्रसिद्धि विश्वभर में है। बीटल्स ग्रुप के यहां आने से पश्चिमी देशों में भी इस स्थल ने खास पहचान बनाई। हर साल हजारों की संख्या में विदेशी पर्यटक भी यहां भ्रमण के लिए आते हैं। इस ऐतिहासिक धरोहर को मूल स्वरूप में विकसित किया जाएगा। इसका उद्देश्य यहां के भावातीत ध्यान, योग एवं संगीत के महत्व से पर्यटकों को रूबरू कराना है।
-सुबोध उनियाल, वन मंत्री, उत्तराखंड

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