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    Chhath Puja 2022: उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर 36 घंटे के व्रत का हुआ पारण, छठी मइया की जयकार से गूंजा लखनऊ

    By Jagran NewsEdited By: Vikas Mishra
    Updated: Mon, 31 Oct 2022 08:07 AM (IST)

    Chhath Puja 2022 छठ मइया के पारंपरिक गीतों का गुलदस्ता पेशकर व्रती महिलाओं ने माहौल को भक्ति से सराबोर कर दिया। पति व पुत्र के सिर पर रखी टोकरी के पीछे सूप में जलता दीपक छठ मइया के प्रति आस्था और विश्वास का उजाला चारों तरफ फैला रहा था।

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    Chhath Puja 2022: लखनऊ के लक्ष्मण मेला स्थल घाट समेत सभी घाटों पर अर्घ्य के लिए जुटे श्रद्धालु

    Chhath Puja 2022: लखनऊ, जागरण संवाददाता। आस्था और विश्वास के साथ सोमवार को व्रती महिलाओं ने उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर छठ मइया की पूजा-अर्चना की। टोकरी में प्रसाद के संग भोर से ही गोमती घाटों पर श्रद्धालुओं के आने का क्रम शुरू हो गया था। सूर्योदय के समय तक घाटों पर छठ मइया के प्रतीक (सुशोबिता) पर व्रती महिलाओं का जमावड़ा देखते ही बन रहा था। सूर्य उदय के पहले ही व्रती महिलाएं पानी के बीच दूध और गंगाजल लेकर सूर्य देव को अर्घ्य के लिए मुस्तैद हो गईं थीं। सूर्योदय के संग ही अर्घ्य देकर महिलाओं ने परिवार के सुख-समृद्धि की कामना की। 

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    छठ मइया के पारंपरिक गीतों का गुलदस्ता पेशकर व्रती महिलाओं के समूह ने माहौल को भक्ति से सराबोर कर दिया। पति व पुत्र के सिर पर रखी टोकरी के पीछे सूप में जलता दीपक छठ मइया के प्रति आस्था और विश्वास का उजाला चारों तरफ फैला रहा था। कुछ महिलाएं तो पहले से ही घाट पर मौजूद थीं तो दूसरी ओर दूर से आई महिलाएं उजाला होने से पहले घाटों पर अपनी दस्तक दे चुकी थीं। स्वर्ग से उगीं न सुरुजमल पुर खेते करीं न अजोर, करीं अरजी तोहार..., केरवा फरेला घवद से ओहे पे सुगा मंडराय... और देवी मइया सुन ला अरजिया हमार...जैसे गीतों के संग भोर में व्रतियों का दल पूजन स्थल पर पहुंच गया था।

    घाटों पर पूरब की ओर मुंह करके खड़ी व्रती महिलाएं टकटकी लगा उगते सूर्य से जल्दी उगने की कामन कर रही थीं। धीरे-धीरे भरी कोसी और सूप-सुपली के साथ कमर भर पानी में जा उतरीं। संतान सुख और पति की दीर्घायु के साथ सुख-समृद्धि की कामना लिए सोमवार को भोर से ही व्रती महिलाएं उगते सूर्य को महापर्व डाला छठ का दूसरा अर्घ्य देने को आतुर दिखीं। सुबह 6:29 से सात बजे तक महिलाओं ने उगते सूर्य को अर्घ्य दिया। घर पर वापस लौटने के साथ ही प्रसाद वितरण कर चार दिवसीय महाव्रत का पारण किया। प्रसाद ग्रहण करने के पहले व्रती महिलाओं ने घर पर भी छठी मइया की पूजा-अर्चना की।