अब यूपी में क्लीनिकल ट्रायल के लिए लेनी होगी मरीज की सहमति, कमेटी पेशेंट को देगी ये जानकारी
उत्तर प्रदेश के राजकीय मेडिकल कॉलेजों में क्लीनिकल ट्रायल के लिए नई एसओपी जारी की गई है। मरीजों की सुरक्षा और गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिए, दवा परीक्षण से पहले मरीज और परिवार की स्वैच्छिक सहमति अनिवार्य होगी। एथिकल कमेटी नियमित रूप से प्रक्रिया की समीक्षा करेगी और वित्तीय लेनदेन में पारदर्शिता बनाए रखेगी। अनियमितता पाए जाने पर मुख्यालय को सूचित किया जाएगा।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। राजकीय मेडिकल कालेजों, चिकित्सा संस्थानों और शिक्षण कार्य कर रहे अस्पतालों को क्लीनिकल ट्रायल (नैदानिक परीक्षण) के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का पालन करना होगा। उत्तर प्रदेश प्रोमोट फार्मा काउंसिल से जारी एसओपी की सभी नैतिक समिति (एथिकल कमेटी) को जानकारी दी गई है।
चिकित्सा शिक्षा महानिदेशालय से जारी एसओपी के अनुसार क्लीनिकल ट्रायल के लिए मरीजों की सुरक्षा, गोपनीयता और अधिकार मुख्य हैं। प्रत्येक संस्थान की एथिकल कमेटी को दवाओं के परीक्षण से पूर्व मरीज व उसके परिवार से जरूरी अनुमति लेनी होगी।
उनकी सहमति या अनुमति स्वैच्छिक होना जरूरी होगा। दवा के दुष्प्रभाव की सूचना भी दर्ज करनी होगी। एथिकल कमेटी नियमित बैठक कर पूरी प्रक्रिया की समीक्षा करेगी। वित्तीय लेनदेन में पारदर्शिता रखनी होगी। यदि कोई अनियमितता मिलती है, तो उसकी जानकारी मुख्यालय को देनी होगी।

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