विद्युत संशोधन विधेयक वापस लेने के लिए केंद्रीय ऊर्जा मंत्री को पत्र, AIPF ने बताया निजीकरण
विद्युत संशोधन विधेयक को वापस लेने की मांग करते हुए केंद्रीय ऊर्जा मंत्री को एक पत्र भेजा गया है। इस विधेयक का कई राज्यों में विरोध हो रहा है, खासकर किसानों द्वारा, जो मुफ्त बिजली खोने की आशंका जता रहे हैं। विधेयक में बिजली वितरण कंपनियों के निजीकरण का प्रावधान है, जिससे बिजली की दरों में वृद्धि हो सकती है।
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राज्य ब्यूरो, लखनऊ। आल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन (एआइपीईएफ) ने केंद्रीय विद्युत मंत्री मनोहर लाल खट्टर को प्रस्तावित विद्युत (संशोधन) विधेयक-2025 पर आपत्तियां भेजी है। एआइपीईएफ ने विधेयक तत्काल वापस लेने की मांग की है। कहा है कि विधेयक का उद्देश्य पूरे बिजली क्षेत्र का निजीकरण करना है, जिससे किसानों और घरेलू उपभोक्ताओं की दिक्कतें बढ़ेंगी।
एआइपीईएफ के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने कहा है कि यह विधेयक लागू हुआ तो दशकों में बनी एकीकृत और सामाजिक रूप से संचालित बिजली व्यवस्था ध्वस्त हो जाएगी। बिजली वितरण और उत्पादन के सबसे लाभदायक हिस्से निजी कंपनियों को दे दिए जाएंगे। घाटा और सामाजिक दायित्व सार्वजनिक क्षेत्र को ही उठाना पड़ेगा।
विधेयक बड़े पैमाने पर निजीकरण के लिए बनाया गया है। इससे देश भर में बिजली क्षेत्र में कार्यरत लाखों कार्मिकों की आजीविका खतरे में पड़ेगी। इससे पहले भी वर्ष 2014, 2018, 2020, 2021 और वर्ष 2022 में ऊर्जा मंत्रालय ने विद्युत (संशोधन) विधेयक पेश किए थे, कड़े विरोध के चलते ये विधेयक पारित नहीं हो सके थे। विधेयक 2025 का नया मसौदा भी पिछले पांच विधेयकों से मिलता-जुलता ही है।
निजीकरण का माडल लेकर घूम रहा पावर कारपोरेशन: परिषद
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने सवाल किया है कि पावर कारपोरेशन सही मायनों में बिजली के क्षेत्र मेें सुधार चाहता है या बिजली कंपनियों को उद्योगपतियों को सस्ती दरों पर बेचना चाहता है। बिजली के क्षेत्र में सुधार का अर्थ निजीकरण नहीं होना चाहिए।
परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा है कि कारपोरेशन एक वर्ष से निजीकरण का माडल लेकर चल रहा है। उसके इस माडल में विद्युत नियामक आयोग ने दर्जनों कमियां निकाली है। सात महीने से अधिक समय बीत जाने पर भी कारपोरेशन इन कमियों पर आयोग को जवाब नहीं दे पा रहा है। परिषद बिजली के क्षेत्र में सुधार के लिए एक व्यावहारिक माडल बनाकर कारपोरेशन को देने के लिए तैयार है।तकनीकी दक्षता बढ़ाकर, वितरण हानियां कम कर और जवाबदेही तय करते हुए बिना किसी निजीकरण के इस क्षेत्र में सुधार किया जा सकता है।

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