Lucknow News: यजदान अपार्टमेंट ध्वस्तीकरण शुरू, नजूल की जमीन पर हुआ था अवैध निर्माण
Lucknow News लविप्रा इंजीनियरों और अफसरों की मिलीभगत से नजूल की जमीन पर बन गया था अपार्टमेंट। शासन को भेजे गए थे दोषियों के नाम। अब लविप्रा के जिन अफसरों और इंजीनियरों का हाथ है उनके खिलाफ कार्रवाई की फाइल ही गायब हो गई है।

लखनऊ, जागरण संवाददाता। प्राग नारायण रोड की नजूल की जमीन पर लविप्रा के अफसरों और इंजीनियरों की मिलीभगत से बने यजदान अपार्टमेंट को गिराने का काम सोमवार से शुरू हो गया। जिस कंपनी को बिल्डिंग गिराने का ठेका 40 लाख रुपये में दिया गया है, उसके 30 मजदूरों ने छठे तल पर छत तोड़ने का काम शुरू किया। हालांकि शाम को न्यायालय ने लविप्रा से यजदान अपार्टमेंट को गिराने को लेकर जवाब मांगा गया है। इस पर अब मंगलवार सुबह लविप्रा न्यायालय में अपना पक्ष रखेगा। वहीं, यजदान अपार्टमेंट को बनवाने में लविप्रा के जिन अफसरों और इंजीनियरों का हाथ है, उनके खिलाफ कार्रवाई की फाइल ही गायब हो गई है।
नजूल की जमीन पर एलडीए से पास कराया नक्शा
यजदान बिल्डर्स ने नजूल की जमीन पर पहले पांच मंजिला अपार्टमेंट बनाने का मानचित्र लविप्रा से पास कराया। इसके बाद वर्ष 2017 में अपने इस प्राेजेक्ट को यूपी रेरा में पंजीकृत करा लिया। रेरा में पंजीकरण होने के बाद अपार्टमेंट पांच की जगह छह मंजिला बन गया। इसके 48 फ्लैटों को 40 से 46 लाख रुपये में बेचा गया। नजूल भूमि की एनओसी प्राप्त किए बिना ही वर्ष 2015 में यजदान अपार्टमेंट का निर्माण शुरू कर दिया गया था। वर्ष 2016 में लविप्रा ने नोटिस भेजकर इस अपार्टमेंट को सील करा दिया।
बिल्डर ने जब 2017 में प्रोजेक्ट को रेरा में पंजीकृत कराया उसी समय लविप्रा ने शमन मानचित्र के 75 लाख रुपये जमा करवा लिया। वर्ष 2019 में यजदान अपार्टमेंट को गिराने के आदेश दिए गए। आदेश के बावजूद तत्कालीन अधिशासी अभियंता और अवर अभियंता की मिलीभगत से रात दिन निर्माण हाेता रहा। बिल्डर ने 38 लोगों से पूरा पैसा जमा कराकर उनकी रजिस्ट्री भी कर दी। बीती 30 मार्च को लविप्रा ने अपार्टमेंट के कुछ हिस्से को गिरा दिया था।
दोषी लविप्रा अफसरों के नामों की फाइल गायब
यजदान अपार्टमेंट बनने के समय ओपी मिश्र अधिशासी अभियंता थे, जबकि उनके बाद जहीरुद्दीन और फिर कमलजीत सिंह इस पद पर तैनात रहे। सहायक अभियंता के पद पर रहते हुए एके सिंह के पास प्रवर्तन इंचार्ज की जिम्मेदारी थी। प्रवर्तन बनने से पहले लविप्रा में थानावार व्यवस्था थी। अवर अभियंता सुशील वर्मा और जेएन दुबे के समय यजदान अपार्टमेंट बनकर तैयार हुआ। जेएन दुबे को होटल लेवाना सुईट्स अग्निकांड का दोषी मानते हुए हटाया गया था।
उम्मीद के लिए भटकते रहे खरीदार
जिस सपने के आशियाने को खरीदने के लिए 38 लोगों ने अपनी जीवन भर की पूंजी लगा दी, उनके सामने जब हथौड़ा चला तो आंखें नम हो गईं। इस अपार्टमेंट में फैजल ने भी 90 लाख रुपये लगाकर दो फ्लैट खरीदे थे। उनके साथ अन्य आवंटी लविप्रा उपाध्यक्ष डा. इंद्रमणि त्रिपाठी से मिलने पहुंचे। उन्होंने कहा कि यूपी रेरा पर भरोसा कर उन्होंने फ्लैट खरीदा था। लविप्रा के दोषी अफसरों और इंजीनियरों पर कोई कार्रवाई ही नहीं हुई।
लविप्रा उपाध्यक्ष ने खरीदारों के सामने यूपी रेरा के सचिव को फोन कर बिल्डर से उनकी जमा पूंजी वापस दिलाने को कहा। वहीं लविप्रा उपाध्यक्ष ने कहा कि उनकी पहले आओ पहले पाओ योजना के खाली फ्लैटों को वह पसंद कर लें। जब बिल्डर से उनका रुपया मिल जाएगा तो वह लविप्रा को जमा कर फ्लैट प्राप्त कर सकते हैं। अभी पांच साल में इन फ्लैटों की अदायगी करनी होती है। यजदान के खरीदारों के लिए यह समय सीमा भी बढ़ायी जा सकती है।

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