Updated: Sat, 04 Oct 2025 09:12 AM (IST)
आधार सत्यापन के अभाव में वाहनों से जुड़े फर्जीवाड़े बढ़ रहे हैं। जालसाज फर्जी आधार कार्ड का इस्तेमाल कर धोखाधड़ी कर रहे हैं। परिवहन विभाग केवल पत्राचार कर रहा है जबकि 45 सेवाएं ऑनलाइन हैं। विभाग ने आधार सत्यापन के लिए पत्र भेजा है लेकिन निर्णय नहीं हुआ। वाहन को आधार से लिंक करने से फर्जी पंजीकरण रोका जा सकता है। लर्निंग लाइसेंस की जांच भी अधूरी है।
                      धर्मेश अवस्थी,                      लखनऊ। बैंकों में खाता खोलने से पहले आधार का सत्यापन होता है, लेकिन लाखों रुपये के वाहन खरीदने या बेचने वालों के आधार नंबर की जांच का कोई प्रबंध नहीं है। आधार सत्यापन न होने से जालसाजी की घटनाओं की शुरुआत उन देवानंद से करें जो ओमप्रकाश बनकर 30 अगस्त को बाइक बेचने ट्रांसपोर्ट नगर आरटीओ कार्यालय पहुंचे थे, या उन संतोष वर्मा का उल्लेख करें, जिन्होंने लर्निंग डीएल बनाने के लिए फर्जी तरीके से आधार कार्ड की फोटो से वीडियो बना लिया।                             
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                                       ऐसे प्रकरणों की लंबी सूची है। घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए परिवहन विभाग सिर्फ पत्राचार कर रहा है। वहीं, परिवहन की 45 सेवाएं आनलाइन हो चुकी हैँ।                   परिवहन कार्यालयों में प्रतिदिन विभिन्न कार्यों से पहुंचने वाले जेब में आधार कार्ड रखकर जाते जरूर हैं, लेकिन आधार सही है या नहीं, यह अधिकारी-कर्मचारी नहीं जान पाते।                                     
                                                  जांच का प्रबंध न होने से उपलब्ध कराए गए आधार को ही सही मानना पड़ता है। 30 अगस्त को बाइक संख्या यूपी 32 एफएम 6632 की आनलाइन बिक्री करने के लिए जालसाजों ने ओमप्रकाश पुत्र गया प्रसाद निवासी ईश्वरी खेड़ा, मजरा भौरा खुर्द नगराम की ओर से आवेदन किया था।                                     
                                                 वरिष्ठ सहायक को आधार कार्ड पर आशंका हुई। ओमप्रकाश बनकर आए जालसाज ने पूछताछ में स्वीकारा कि वह देवानंद पुत्र शिवमंगल निवासी सिकंदरपुर अमोलिया मोहारीखुर्द गोसाईगंज का रहने वाला है।                                     
                                                          जालसाज के पास बाइक की मूल आरसी तक नहीं थी। आवेदन दिया गया था कि मूल गुम हो गई है, डुप्लीकेट जारी कर दी जाए। वाहन के पंजीकरण का मोबाइल नंबर भी बदलने का अनुरोध किया था। अभिलेख के साथ दर्ज ओम प्रकाश का मूल आधार संख्या 501189457361 पटल सहायक श्रवण कुमार को दिखने पर फोटो अलग मिली।                                              
                                                            देवानंद आरटीओ कार्यालय में ओम प्रकाश बनकर फर्जी 8789253695 नंबर का आधार लेकर पहुंचा था। एफआइआर दर्ज होने के बाद पुलिस इस मामले में तेजी से जांच करके एक माह बाद भी निष्कर्ष तक नहीं पहुंच सकी। एआरटीओ प्रशासन प्रदीप कुमार सिंह ने बताया, परिवहन कार्यालय में नियमित ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने व वाहनों की बिक्री के समय आधार सत्यापन की जांच के लिए विभाग ने पत्र भेजा है, लेकिन अब तक इस पर निर्णय नहीं हो सका है।                                              
                                                                                   सत्यापन की जगह लिंक करने का अनुरोध                                                                   
                                                                                वाहन को आधार से लिंक करने से डुप्लीकेट ड्राइविंग लाइसेंस और फर्जी वाहन पंजीकरण को रोका जा सकता है। इससे धोखाधड़ी कम करने और वाहन चोरी या आपात स्थिति में मालिक की पहचान करने में मदद मिलती है।                                                                   
                                                                                   केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने ड्राइविंग लाइसेंस व पंजीकृत वाहन मालिकों के लिए मोबाइल नंबर व आधार अपडेट करने की सुविधा आनलाइन शुरू की है।                                                                                                                                                इसके लिए आरटीओ कार्यालय जाने की जरूरत नहीं है। पूरी प्रक्रिया parivahan.gov.in पोर्टल पर उपलब्ध है।                                                                   
                                                                                                              कार्यालयों में लर्निंग लाइसेंस की जांच अधूरी                                                                                            
                                                                                                           फर्जी लर्निंग डीएल सामने आने के बाद परिवहन विभाग के सभी कार्यालयों में पूर्व में जारी आनलाइन लर्निंग लाइसेंस में भी गहन जांच व व्यापक सुरक्षा आडिट के लिए निर्देश जारी हुए थे। उस पर कुछ नहीं हो सका है। वैसे इस प्रकार की किसी भी गड़बड़ी या धोखाधड़ी की सूचना विभागीय हेल्पलाइन या आइजीआरएस पोर्टल पर तुरंत दर्ज करा सकते हैँ।                                                                                            
                                                                                                                                                                                                                                                                                                                    पहले भी हो चुकी धोखाधड़ी                                                                                                                         
                                                                                                                                                           24 जून 2025 को सुशांत गोल्फ सिटी स्थित ओमेक्स न्यू हजरतगंज बिल्डिंग में अवैध रूप से रहने वाली उज्बेकिस्तान की दो महिलाओं के पकड़े जाने के बाद जांच में यह तथ्य सामने आया कि उज्बेकी महिला ने ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए फर्जी दस्तावेज की मदद ली थी।                                                                                                                                         
                                                                                                                                                              उज्बेकी महिला को जारी डीएल में उसका पता वी-104 ओमैक्स आर-वन, आर्चिड-वी दर्ज है।                                     -आठ अगस्त 2024 को सामने आया था कि लखनऊ के मोहिबुल्लापुर स्थित नायक नगर निवासी रामकुमार वर्मा का ड्राइविंग लाइसेंस बन गया, जबकि उनकी छह माह पहले ही मृत्यु हो चुकी थी। इसी के बाद लर्निंग डीएल के साफ्टवेयर में एनआइसी ने मुस्कुराने व पलक झपकाने की व्यवस्था की थी।                                                                                                                                                          
  
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