Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    ‘मिशन अंतरिक्ष का यह स्वर्णिम काल…’ लखनऊ पहुंचने पर शुभांशु शुक्ला ने स्पेस को लेकर बताई बड़ी बातें

    Updated: Mon, 25 Aug 2025 03:41 PM (IST)

    इसरो के गगनयात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने कहा कि भारत गगनयान मिशन और अंतरिक्ष स्टेशन की योजना बना चुका है जिसे क्रियान्वित किया जाना है। उन्होंने अंतरिक्ष यात्रा को चुनौतीपूर्ण बताया और माइक्रोग्रैविटी में रहने की कठिनाइयों का उल्लेख किया। शुभांशु ने अंतरिक्ष में किए गए प्रयोगों को गगनयान मिशन के लिए महत्वपूर्ण बताया और कहा कि अंतरिक्ष से भारत को देखना अद्भुत था।

    Hero Image
    लखनऊ पहुंचने पर शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष को लेकर बताई बड़ी बातें

    जागरण संवाददाता, लखनऊ। देश के नए सितारे एवं भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के गगनयात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने कहा कि भारत और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) पहले से ही मिशन गगनयान और अंतरिक्ष स्टेशन के प्लान बना चुका है। बस हमें उन्हें क्रियान्वित करना है। यह मिशन अंतरिक्ष का स्वर्णिम काल है, जिसमें आप कई सारे सफल प्लान देखेंगे, जब भारत की धरती से कोई भारतीय अंतरिक्ष केंद्र जाएगा।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    गोमतीनगर विस्तार में पत्रकारों से बातचीत में शुभांशु ने कहा कि मिशन अंतरिक्ष बहुत चुनौतीपूर्ण है। हमने ऐसी स्थिति बनाई है कि हम वहां जा कर रह सकते हैं। मिशन के सारे पहलू पूरे कर पाएं, इसके लिए पूरी टीम लगी थी। 

    अंतरिक्ष यात्रा का बहुत यूनिक अनुभव था। इसकी कल्पना करना मुश्किल है। मेरी जो यात्रा रही है, उसमें मैंने एक ही चीज फालो किया है कि जीवन में जब कभी भी चुनौती आपके सामने हो तो उसे स्वीकार करिए और आगे बढ़िए। फिर आपको पता चल जाएगा कि आप सही कर रहे या गलत। 

    अंतरिक्ष में ऐसा क्या-क्या सीखा, जो भारत के मिशन गगनयान में काम आएगा? इस पर ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने कहा कि मैंने अंतरिक्ष में कई प्रयोग किए। सभी प्रयोग सफल रहे। ये सभी भारत के 'गगनयान मिशन' के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं। 

    माइक्रोग्रैविटी में शरीर पर पड़ने वाले असर के बारे में उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष में माइक्रोग्रैविटी के कारण कोई भी काम करना ही नहीं, रहना भी मुश्किल होता है। वहां शुरुआत के कुछ दिन चुनौतीपूर्ण रहे। फिर सब सामान्य होने लगा। वहां से लौटने के बाद भी चुनौतियां थीं, लेकिन उन सभी से पार पाया। पहली बार अंतरिक्ष से भारत को देखना काफी अच्छा लगा। 

    अपने परिवार व अपनी आस्था के बारे में कहा कि आस्था तो सभी में रहती है, लेकिन कहीं ना कहीं मुझे अपनी टीम में भी आस्था थी। उन पर भरोसा था। इसी भरोसे से मैं अंतरिक्ष तक जा पाया। 

    अगर आपको धरती या अंतरिक्ष दोनों से कोई एक चुनना हो तो क्या चुनेंगे? इस पर शुभांशु ने सीधे उत्तर देने की बजाए कहा कि अंतरिक्ष बहुत चुनौतीपूर्ण मिशन है। यह ऐसा मिशन है जिसमें हम धरती को बेहतर बनाने के लिए अंतरिक्ष में जाते हैं। पहली बार भारतीय वैज्ञानिक को अंतरिक्ष में शोध का अवसर मिला। मैं गर्व से कहता हूं कि हमने 100 प्रतिशत प्रयोग किए।